RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
मां ने अपनी चूची मसलते हुये कहा, “ कि मै बेबकूफ हुं कि बल्लु और उसके दोस्तो से नही चुदवाया यह सोच कर कि उनके जाने के बाद मुझे नंगा देख कर तुम लोग मुझे एक के बाद एक चोदते रहोगे....”
मां ने घुंडी को रगडा और कहा ,” अब कोई दुसरा मर्द ढुंढना पडेगा जो मुझे चोद चोद कर थका डाले..”
मां का इतना कहना था कि दादा ने अपना जांघिया उतारा और मां को गोदी मे उठा कर बेड रुम मे ले जा कर बेड पर पट्का और बिना कोई चुम्मा चाटी के अपना तनतनाया हुआ लौडा बूर मे पेल दिया...एक बार मां भी कराह उठी.. “राजा धीरे...”
उसके बाद करीब 15 मिनत तक दादा जी दना दन अपनी बहु कि चुदाई करते रहे और उस रंडी का बेटा और घरवाला चुदाई देखता रहा. जब मुझे लगा कि दादाजी झरने बाले है मैने बाबुजी से कहा कि दादाजी के लंड बाहर निकालने के बाद वो अपनी बीबी को चोदे . मैने कहा कि मै बाद मे चोदुंगा..
दादाजी ने अपना पानी बूर मे गिराया और कुछ देर के बाद लंड बाहर खींच लिया .. झांतो के बीच रंडी की खुली हुई चूत दीख रही थी. मैने बाबुजी को धक्का दिया,
“बाबुजी, रंडी आपका लंड का इंतजार कर रही है...”
बाबुजी खडे हुये और जाकर अपनी बीबी को चोदने लगे...
दादाजी मेरे बगल में बैठे थे . उनका लौडा थोडा ढीला हो गया था.
“दादाजी कैसा है रंडी का चूत, मजा आया चोदने मे..?.” मैने पुछा.
“अरे, कुछ मत पुछ बेटा, तेरी मां बहुत मस्त माल है.. जब भी मौका मिले कुतिया को खुब चोद...बहुत गरमी है साली के चूत मे... “ दादा ने अपना लौडा सहलाते हुये कहा,
“पहले तो सोचा था कि कल चला जाउंगा लेकिन नही अभी 8-10 दिन और रहुंगा और रंडी कि जम कर चुदाई करुंगा. आज या कल साली का झांट साफ कर दिन भर बूर चुसता रहुंगा ..और कुतिया को लौडा चुसाउंगा .....दादा ने जांघिया के उपर से मेरा लौडा सहलाया और कहते रहे ,
“ मादरचोद को तु भी खुब चोद और कल जा कर बल्लु और उसके दोस्तो को बुला कर ला.. सब मिल कर इस माल का मज़ा लेंगे..”
दादा मेरा लौडा सहला रहे थे मुझे बहुत अछा लगा, और मैने जांघिया उतार दिया. मेरा लौडा भी मां को चोदने को बेकरार था.
दादा ने लंड अपनी मुठ्ठी मे लेकर दबाया और कहा कि मै किसी तरह से बल्लु और उसके घर मे कोई जवान लडकी हो या उसकी मां हो या बहन हो तो उसे भी साथ लाउं जिससे हमें भी बल्लु कि तरह नया माल का मजा मिले. दादा मेरे लंड को मसल रहे थे तो अचानक मैने भी दादा का लंड लेकर मसलने लगा.. ये पहला मौका था कि मैने किसी और का लंड पकडा था और आशचर्य मुझे लंड पकडना अछा लग रहा था . मुझे ध्यान आया कि बल्लु कि एक छोटी और एक बडी बहन है.. और शायद दोनो कि शादी हो चूकि है...मुझे ये सोचकर बहुत आनन्द आया कि कल या परसो मां मेरे और दादा के सामने बल्लु और उसके दोस्तो से मरवायेगी और मै और दादा बल्लु की बहन और मां को चोदेंगें. तभी देखा की बाबुजी रंडी की बूर से लंड नीकाल कर उठ गये है. बाबुजी ने मेरा लौडा दबाया और कहा ,
“जा बेटा , अपनी कुतिया मां को इतना चोद कि साली चुदाना भुल जाये ... “
लेकीन मैने बाबुजी और दादा कि तरह सत सत चुदाई श्रु नही की. मै कुछ देर तक मां को चुम्मा लिया, चुची को चुसा , बूर को भी फैला कर उससे खेला और उसके बाद मैने लंड को बुर मे पेला. मै खुब जोर जोर से धक्का मार रहा था. ये पहला मौका नही था कि मै लोगों के सामने चोद रह था. मैने पहले कई बार अपने दोस्तो के साथ एक रंडी की बारी बारी से चुदाई की है...और मै मां को पुरा दम लगा कर चोदता रहा.. मुझे खुश रखने के लिये या मां को सच मुच बहुत मजा आ रहा था , वो जोर जोर से सिसकारी मारने लगी. ”आह्ह्ह....बेटा...आह्ह्ह्ह...और पेलो....फाड दे चूत को.....ठंडा कर दे बूर को...आह्ह्ह्ह....बहुत मजा आ रहा है....चोद अपनी मां को... चोद चोद कर रंडी बना दे.. बहुत मस्त लौडा है तेरा बेटा, रोज चोद..जब मन करें चोद... आह्ह्ह्ह.......
और इस तरह सिसकारी मारते मारते वो ठन्डी हो गयी और पैर फैला कर शांत हो गयी. मै चुदाई कर ही रहा था कि दादाजी मां के बगल मे आकर बैठ गये और चुचि को मसलते हुये पुछा ,
“बोल कुतिया, हम लोग मर्द है कि नही...” ”हां राजा, तुम तीनो मर्द हो...मेरी बूर खुश हो गयी... अब जो बोलो सब करुंगी ...” मां ने दादा के लौडे को सहलाते हुये कहा. ळेकिन मैने दादा को टोका .. ”दादाजी आज बहुत हो गया ...अभी हम लोग थोडा आराम करते है..क्योंकी घंटे बाद लोग बाग गुलाल खेलने आयेंगे. आप मां के साथ सो जायीये .”
मैने बूर से लंड खींचा और मां के मुह पर लंड रगडते हुये कहा,
“मां मेरा पानी अभी नही निकला है, रात को पहले मै चोदुंगा. “
दादा और मां एक साथ और हम अलग अलग बेड पर सो गये. ऎक घंटे के बाद उठे और सबने साफ , नये सफेद कपडे पहने. मां ने गोटा लगे हुये नये कुर्ता और सलवार् पहना. उनहोने खुब सुन्दर मेक-अप किया. मां को सजा धजा देख कर दादा ने कहा ,
“रानी, तुमको देखकर सारे मर्द पागल हो जायेंगे..”
बानुजी ने कहा , “ और हां लोगो को कपडे के अन्दर हाथ डालने से मना मत करना ... सलवार थोडा ढीला बांधो और कुर्ता का एक बट्न खोल कर रख्हो.”
जैसा बाबुजी ने कहा , मां ने कपडा ठीक किया.
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