RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
मैने मां की चुचीओ को दोनो हाथो मे कस कर दबा कर रख्खा और दना दन चुदाई करने लगा. मां आंख़ बन्द कर चुदाई का मजा ले रही थी. वो कमर और चुत्तर हिला हिला कर लंड को चुदाई मे मदद दे रही थी.
“साली , आंख खोल और देख , तेरा बेटा कैसा चुदाई कर रहा है. ...रंडी, खोलना आंख....”
मां ने आंखे खोली. उसकी आंखो मे कोई ‘भाव’ नही था. ऐसा भी नही लग रहा था की वो मुझसे नाराज है...ना ही ये पता चल रहा था कि वो बेटे के लंड का मजा ले रही है..लेकिन मै पुरा मजा लेकर चोद रहा था...
“ साली, तु नही जानती....तेरे बूर के चक्कर मे मै रन्डीओ के पास जाने लगा और ऐसी ऐसी रंडी की तलाश करता था जो तुम्हारी जैसी लगती हो...लेकिन अब तक जितनी भी बुर चोदी सब की सब ढीली ढाली थी...लेकिन आज मस्त, कसी हुई बूर चोदने को मिली है...ले रंडी तु भी मजा ले...”
और उसके बाद बिना कोइ बात कीये मै मां को चोदता रहा और वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवाती रही. कुछ देर के बाद मां ने सिसकारी मांरनी शुरु की और मुझे उसकी सिस्कारी सुनकर और भी मजा आने लगा. मैने धक्के क स्पीड् और दम बढा दिया और खुब दम लगा कर चोदने लगा..
मां जोर जोर से सिसकारी मांरने लगी.
“रंडी, कुतिया जैसा क्यो चिल्ला रही है, कोई सुन लेगा तो....”
“तो सुनने दो....लोगो को पता तो चले कि एक कुतिया कैसे अपने बेटे से मरवाती है....मांर दे , फाड् दे इस बूर को....मांदरचोद , मां कि बूर इतनी ही प्यारी है तो हरामी पहले क्यो नही पटक कर चोद डाला...अगर तु हर पिछली होली मे यहा रहता और मुझे चोदने के लिये बोलता तो मै ऐसे ही बूर चीयार कर तेरा लौडा अन्दर ले लेती....चोद बेटा ..चोद ले....लेकीन देख तेरा बाप और दादा कभी भी आ सकते है... जल्दी से बूर मे पानी भर दे.”
“ ले मां, तु भी क्या याद रखेगी कि किसी रन्डी बाज ने तुझे चोदा था...ले कुतिया, बन्द कर ले मेरा लौडा अपनी बूर मे.” मै अब चुची को मसल मसल कर , कभी मां कि मस्त जांघो को सहला सहला कर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था..
“आह्ह्ह्ह्ह...बेटा, ओह्ह्ह्ह्ह..बेटा...अह्ह्ह्ह्ह....मांर राजा....चोद...चोद....”
और मां ने दोनो पाव उपर उठाया और मुझे जोर से अपनी ओर दबाया और मां पस्त हो गयी और हांफने लगी.
“बस बेटा, हो गया....निकाल ले....तुने खुश कर दिया.....”
“मां बोलती रही और मै कुछ देर और धक्का लगाता रहा और फिर मै भी झर गया. मैने दोनो हाथो से चुची को मसलते हुये बहुत देर तक मां की गालो और ओंठो को चुमता रहा. मां भी मेरे बदन को सहलाती रही और मेरी चुम्मा का पुरा जबाब दिया. फिर उसने मुझे अपने बदन से उतरा और कहा,
“बेटा, कपडे पहन ले...सब आने बाले होंगे.”
“फिर कब चोदने दोगी?” मैने चूत को मसलते हुये पुछा.. ”अगले साल, अगर होली पर घर मे मेरे साथ रहोगे !” मां ने हंस कर जवाब दिया. मैने चूत को जोर से मसलते हुये कहा, “ चुप रंडी, नखडा मत कर, मै तो रोज तुझे चोदुंगा.”
“ये रंडी चालू मांल नही है.... तु कालेज जा कर उन चालु रंडीओ को चोदना...” मां कहते कहते नंगी ही किचन मे चली गयी .
मैने पीछे से पकर कर चुत्तर को मसला और कहा,
“मां, तु बहुत मस्त मांल है...तुझे लोग बहुत रुपया देंगे , चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाउंगा. “ मैने मां की गांड में अंगुलि पेली और वो चिहुंक गयी .. मैने कहा, “रंडी बाद मे बनना, चल साली अभी तो कपडा पहन ले...”
“रूम से ला दे ...जो तेरा मन करे.” वो बोली और पुआ तलने लगी.
मै तुरत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर मां को पहनाया .
“साडी नही पहनाओगे? “ मां ने मेरी गालो को चुमते हुये कहा...
“मां, तु बहुत मस्त मांल है...तुझे लोग बहुत रुपया देंगे , चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाउंगा. “ मैने मां की गांड में अंगुलि पेली और वो चिहुंक गयी .. मैने कहा, “रंडी बाद मे बनना, चल साली अभी तो कपडा पहन ले...”
“रूम से ला दे ...जो तेरा मन करे.” वो बोली और पुआ तलने लगी.
मै तुरत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर मां को पहनाया .
“साडी नही पहनाओगे? “ मां ने मेरी गालो को चुमते हुये कहा...
“नही रानी, आज से घर मे तुम ऐसी ही रहोगी , बिना साडी के...” ”तेरे दादा के सामने भी ...!” उसने पुछा. “ ठीक है सिर्फ आज भर..कल से फिर साडी भी पहनुंगी.
मां खाना बनाती रही और मै उसके साथ मस्ती करता रहा. .
करीब आधे घंटे के बाद दरवाजे पर दस्तक हुई और मैने दरवाजा खोला. मेरे बाबुजी अकेले थे. मैने दरवाजा बंद किया.
“मां कहाँ है?” बाबुजी ने पुछा... ”पुआ तल रही है...” मैने जवाब दिया.
हम दोनो किचन में आये और मां ने हमें मुस्कुरा कर देखा और हमें 2-2 पुआ खाने को दिया. बाबुजी ने मां को बिना साडी के देखा . मां ने साडी और भी नीचे बांध लिया था. पीछे से चूत्तरों की उठान भी दिखने लगी थी. मां की चिकनी चिकनी कमर और उसके नीचे चूत्तरों की उठान मुझे दुबारा मादक बना रही थी. और मन कर रहा था कि बाबुजी के सामने ही मां को चोद डालूं. मै थोडा आगे बढा और फिर ठिठक गया. साली ने साया इतना नीचे बांध रख्खा था कि साया के उपर से काले –काले झांट की झलक भी दिखने लगी थी. मालती बहुत ही मदमस्त और चूदासी लग रही थी. साया के उपर से झांट देख कर मेरा लौडा टन –टनाने लगा था. मेरा मन मां के साथ और मस्ती मारने का करने लगा था.
|