RE: Bhabhi Sex Stories कुछ नहीं होगा भाभी !
उसने अंदर डालते ही बस... चुदाई चालू कर दी उसके झटके काफी तेज थे जैसे
उसने कभी चूत देखी ही ना हो।
मैं झड़ने लगी- रवि ! आह ! मजा आ गया आह...
आह करती हुए मैं झड़ने लगी।
उधर सुनीता का हाल बुरा था, उसने कहा- तुम दो दो होते हुए भी मेरी चूत को
प्यासा छोड़ा हुआ है? कोई तो करो !
सुशील ने देर न करते हुए अंदर डाल दिया, सुनील ने सुनीता के मुँह में डाल
दिया, सब काम में व्यस्त थे, बस कमरे में आह उह्ह की आवाज आ रही थी, इतना
मोहक नजारा था कि कोई भी देख ले तो बिना कुछ करे ही उसका पानी निकल जाये।
थोड़ी देर में सुनीता आह की आवाज के साथ अकड़ गई और झड़ने लगी।
रवि के झटकों की गति और तेज हो गई, मैंने कहा- कोई भी कही नहीं निकलेगा !
सभी मेरे मुँह में ही अपना वीर्य डालेंगे।
रवि ने कहा- आह भाभी ! मैं आ रहा हूँ।और वो मेरे मुँह में आ गया और झड़ने
लगा। उसकी धार इतनी तेज थी कि मेरे गले तक जा पहुँची। क्या स्वाद था उसके
पानी का ! कह नहीं सकती।
उधर रवि झटके लगा रहा था, मेरा पूरा मुँह उसके वीर्य से भर गया, मैं मजे
से सारा का सारा गटक गई।
अब सुशील की बारी थी- मैं क्या करूँ भाभी?
मैंने कहा- आ जाओ मेरे राजा मेरे मुँह में !
वो भी आ गया और झटकों के साथ मेरे मुँह में वीर्य की बारिश करने लगा।
क्या स्वाद बन गया था अब रवि का और सुशील का मिल कर ! मजा आ रहा था।
उधर सुनील सुनीता के मुँह में झटके लगा रहा था, वो वहीं झड़ गया और सुनीता
ने भी सारा वीर्य गटक लिया और सुनीता और मैं मुँह से मुँह मिला कर एक
दूसरे को एक दूसरे के मुँह में रखे हुए वीर्य का स्वाद चखाने लगी।
थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर से दौर शुरू हुआ, मैंने रवि का लिंग मुँह
में ले रखा था, थोड़ी देर में ही उसका खड़ा होने लगा। यह देख कर सुनीता ने
भी सुशील का लिंग मुँह में ले लिया और सुनील का हाथ से मैंने पकड़ लिया।
अब सुनील ने मेरी चूत में लिंग डाल दिया और आराम से लेट गया, बोला- आज
रात भर मैं यह एक ही दौर करूँगा।
थोड़ी देर में रवि ने सुनीता की चूत में लिंग डाल दिया और धीरे धीरे हिलने
लगा। सुशील का लिंग सुनीता के मुँह में था। फिर रवि सुनीता के मुँह में
पहुँच गया, सुशील मेरे पास आ गया। सुनील सुनीता की चूत में !
बस ऐसा ही चलता रहा, इसी खेल में करीब एक घंटा ही गुजर गया, सुनीता और
मैं तीन बार झड़ गए। अब बारी उन तीनों की थी, वो भी अब करीब आ चुके थे,
सुनील तो सुनीता की चूत में ही झड़ गया, सुशील और रवि दोनों का उबाल एक
साथ आया था तो सुशील सुनीता के मुँह में और रवि मेरे मुँह में झड़ने लगा।
हमने इस बार वीर्य अंदर नहीं गटका बल्कि एक दूसरे के मुँह में डाल कर
उसका मिक्स स्वाद बनाया और आधा आधा दोनों ने पी लिया।
आज मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था और इसका कारण था कि तीन अलग अलग
आकार के लिंग घुसे थे इस मेरी चूत में, जिनमें रवि का तूफान बहुत तेज था।
सुनीता का भी यही हाल था।
खैर हमने ऐसे 3 दिन मजा किया और फ़िर सुनीता अपने घर जाने की बात करने
लगी, उसने सबको धन्यवाद दिया, फ़िर दोबारा इस खेल में फिर शामिल होने का
वादा किया, उसके बाद सुनीता चली गई।
अब मैं अकेली और वो तीन शेर ! अभी विनोद को आने में पाँच दिन और थे तो
रवि सुशील और सुनील के साथ मैंने खूब मस्ती की। अब सारे लिंग मुझ अकेली
को ही झेलने थे।
सुनीता के जाते ही पहले तो हमने आराम किया फिर से सेक्स का खेल शुरू हो गया।
रवि और सुशील तो हमेशा सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, हम सभी नंगे थे,
मैंने रवि का लिंग कड़क देख उसको छू लिया, वो मेरे बूब्स दबाने लगा। उधर
सुशील मेरी चूत चाटने लगा और सुनील ने अपना लिंग मेरे मुँह के हवाले कर
दिया।
रवि का लिंग सबसे बड़ा था तो मैंने कहा- चलो, मैं तुम तीनो के लिंग नापती हूँ।
मैंने इंच-टेप लिया और रवि का सात इंच, सुशील का लगभग साढ़े छः इंच और
सुनील का साढ़े पाँच इंच !
सुनील को शर्म आई।
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