RE: Desi Sex Kahani पापा के दोस्तो ने जम के पेला
गतान्क से आगे..................
नहाने के बाद तनवीर साहिब चले गये क्यूँ के उनको किसी काम से जाना था जब के मैं और वसीम साहिब खाने के लिए रुक गये. खाना खाने के दोरान मे अस्घर साहिब से बोली, अस्घर साहिब ऐसा लगता है जेसे मैं आप से पहले भी कही मिल चुकी हूँ. मेरी बात सुनकर अस्घर साहिब मुस्कराए और बोले, सोनिया शायद तुम्हे याद ना हो मगर मैं तुम्हे देखते ही पहचान गया था आख़िर मैं तुम जेसी खूबसूरत लड़की को भूल सकता हूँ. मैं बोली, हमारी मुलाक़ात कहा हुई है? अस्घर साहिब मुस्कराए और बोले, मैं और जब्बार (जब्बार मेरे अब्बू का नाम है) कॉलेज मे ऐक साथ पढ़ते थे खैर हम दोनो बोहत आछे दोस्त तो नही थे पर अच्छी सलाम दुवा थी. 2 साल पहले मेरी बेटी की शादी थी और तुम अपने बाप के साथ आई थी और मैं अब सोच रहा हूँ के तुम्हारे बाप से दोस्ती बढ़ानी पड़े गी. मैं मुस्कराई और बोली, हा हा अस्घर साहिब क्यूँ नही और आज आप ने मुझे चोद कर जो माज़ा दिया है मैं ये माज़ा आप से फिर लेना चाहती हूँ. अस्घर साहिब ने मेरी कमर मे हाथ डाल कर मुझे अपनी तरफ घसीटा और बोले, मेरी जान फिर कभी क्यूँ मैं वो माज़ा तो अभी देने को तय्यार हूँ. मैं मुस्कराई और बोली, अस्घर साहिब देर बोहत होगई है अम्मी अब्बू परेशान होरहे होंगे और आप के घर वाले भी तो आने वाले होंगे. अस्घर साहिब हँसे और बोले, मैं यहा नही रहता हूँ ये फ्लॅट तो मैं ने इसी काम के लिए ले रखा है. अस्घर साहिब की बात सुनकर मैं मुस्करा दी और फिर वसीम साहिब बोले, सोनिया मूड तो मेरा भी होरहा है चोदने का तुम ऐक ऐक बार हम दोनो से और चुदवा लो. मैं ने घड़ी की तरफ देखा जो रात के 8 बजा रही थी. वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, तुम फिकर ना करो तुम्हारे बाप को मैं संभाल लूँगा. मैं मुस्कराई और बोली, अगर ऐसी बात है तो मुझे कोई अतराज़ नही है. मैं जो कपड़े पहन चुक्की थी अस्घर साहिब और वसीम साहिब ने मुझे फिर नंगा कर दिया और खुद भी नंगे होगये. फिर अस्घर साहिब और वसीम साहिब ने मुझे ऐक ऐक बार के बजाय 2, 2 बार चोदा. फिर जब मैं और वसीम साहिब घर पहुँचे तो रात के 10 बज गये थे. अब्बू ऑफीस से आचुके थे और परेशान होरहे थे. हमे देखते ही अब्बू वसीम साहिब से बोले, यार वसीम कहा रह गये थे मैं तो बोहत परेशान होरहा था. वसीम साहिब हँसे और बोले, अरे यार इस मे परेशान होने की क्या बात है. तुम्हारी बेटी मुझे हयदेराबाद की सैर करवा रही थी फिर रास्ते मे गाड़ी खराब होगई इसलिए देर होगाई और फिर सोनिया मेरे साथ थी तो परेशानी की क्या बात थी. अब्बू वसीम साहिब की बात सुनकर बोले, यार तेरी बात तो ठीक है पर परेशानी तो थी ना. वसीम साहिब हँसे और बोले, अरे जेसे सोनिया तेरी बेटी है वैसे ही मेरी बेटी है अब ये अपना चेहरा सही कर और जा कर आराम कर और हमे भी आराम करने दे बोहत तक गये हैं हम दोनो. अम्मी ने खाने का पूछा तो हम ने मना कर दिया के खाना खा कर आए हैं. फिर जब वसीम साहिब उपर अपने कमरे मे गये तो मैं भी पीछे पीछे उनके कमरे मे चली गई और जाकर उनसे लिपट गई और बोली, अछा तो जनाब अब मैं आप की बेटी जेसी हूँ. मेरी बात सुनकर वसीम साहिब ने मेरे होंटो को चूमा और बोले, मेरी जान कहने से क्या फ़र्क़ पड़ता है वैसे तुम हो तो मेरी बेटी के बराबर और वैसे अगर तुम मेरी बेटी भी होती तो फिर भी मैं तुम्हे चोद देता. मैं मुस्कराई और बोली, ऐसे केसे चोद देते. वसीम साहिब ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिराया और अपने कपड़े उतारते हुए बोले, ऐसे चोद देता जेसे मैं तुम्हे अभी चोदुन्गा. मैं लेटी होई मुस्कराने लगी. अपने कपड़े उतारने के बाद वसीम साहिब ने मेरे कपड़े भी उतार दिए और मुझ पर चढ़ कर लेट गये. थोड़ी देर बाद ही मेरी लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ कमरे मे गूँज रही थी और वसीम साहिब तेज़ी के साथ अपना लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे. मुझे पता था के अम्मी, अब्बू या शार्फ़ो बाबा मे से कोई भी रात मे उपर नही आता इस लिए मैं बेफ़िक्र थी और हम ने अंदर से दरवाज़ा भी लॉक करना ज़रूरी नही समझा था. अभी वसीम साहिब को मुझे चोदते हो 20 मिनिट ही हुए थे के दरवाज़े पर खटका हुआ तो हम दोनो चौंक पड़े और फिर इस से पहले हम कुछ समझते के दरवाज़ा खुला और शार्फ़ो बाबा कमरे के अंदर आ गये.
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