RE: Desi Sex Kahani पापा के दोस्तो ने जम के पेला
दर्द के मारे मेरे मुँह से चीख निकल गई. वसीम साहिब ने पूछा, क्या बोहत दर्द हुआ है मेरी जान. मैं मुस्कराई और बोली, नही वसीम साहिब ये तो माज़ा है दर्द नही आप मेरे चीखने की परवाह ना करे और खूब तेज़ झटके मारे. वसीम साहिब ने अपना लंड टोपी तक बाहर निकाला और वापिस ऐक झटके से जड़ तक मेरी चूत मे घुस्सा दिया. उनका ये झटका पहले झटके से ज़ियादा ज़ोरदार था और मेरे हलक़ से पहले से ज़ियादा तेज़ चीख निकली. वसीम साहिब बोले, सोनिया कही तुम्हारी चीखे तुम्हारे मा बाप तक ना पहुच जाए. मैं मुस्कराई और बोली, आप बेफिकर होकर मुझे चोदे ये कमरा कोने पर है और 2न्ड फ्लोर पर है अम्मी अब्बू निचले फ्लोर पर हैं मेरी चीखे नीचे नही जासकती आप बस तेज़ तेज़ झटके मारे. मेरी बात से वसीम साहिब का डर निकल गया के मेरी चीखे नीचे जाएँगी और फिर उन्हो ने खूब तेज़ रफ़्तारी के साथ मेरी चुदाइ शुरू करदी और मैं माज़े और दर्द से तड़पने लगी. वसीम साहिब ने सुबह 6 बजे तक खूब तेज़ी के साथ मेरी चूत और गंद की चुदाइ करी.
चुदाइ ख़तम हो जाने के बाद मे खुशी के मारे वसीम साहिब से लिपट गई और बोली, वसीम साहिब मैं आप की बोहत शूकर गुज़ार हूँ आप ने मेरी ज़िंदगी को माज़े से भरपूर कर दिया है. मैं पागल थी जो आप पर गुस्से कर रही थी आप ने तो मुझ पर एहसान किया है मुझे ऐक भरपूर लाज़्जत से रूबरू करवाया है मैं आप का ये एहसान सारी ज़िंदगी नही भूलूंगी और आज आप ने मुझे चोद कर अपना गुलाम बना लिया है. वसीम साहिब मेरी बाते सुनकर मुस्कराए और उन्हो ने मुझे प्यार से चूम लिया और बोले, मेरी जान तुम मेरी गुलाम नही बालके मेरे लंड की रानी हो और जहा तक एहसान की बात है तो मैं ये एहसान रोज़ करता रहूँगा . वसीम साहिब की बात पर मैं हंस पड़ी और मैं ने उन्हे चूम लिया. उसके बाद मैं अपने कमरे मे आकर सोगई. सुबह जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 10 बज रहे थे. मैं जल्दी से नहा कर नीचे आई तो वसीम साहिब नाश्ता करते हो मिले शायद वो भी अभी उठे थे. अब्बू ऑफीस जा चुके थे जब के अम्मी और शार्फ़ो बाबा किचन मे थे. मैं वसीम साहिब को देख कर खुशी से मुस्कराई और मैं ने आगे बढ़ कर उन्हे किस कर लिया. फिर जब मे वसीम साहिब के साथ नाश्ता कर रही थी तो अम्मी भी आगई. अम्मी के सामने वसीम साहिब मुझ से कहने लगे, सोनिया बेटी क्या तुम मुझे हयदेराबाद की सैर नही कर्वाओ गी. मैं ने अम्मी को देखा तो अम्मी कहने लगी, सोनिया वसीम साहिब की ज़िमेदारी तो तुम्हारे अब्बू ने तुम्हे ही दी है और अब ये तुम्हारे मेहमान हैं इसलिए इनकी सारी मेहमानदारी तुम ने ही करनी है और अब तुम्हारे मेहमान ने घूमने की फरमाइश करी है तो ये तुम्हारा फ़र्ज़ है के अपने मेहमान की फरमाइश पूरी करो. अम्मी की बात सुनकर मैं खुश होगई और मैं ने अम्मी से कहा, अम्मी आप बेफिकर रहे मैं अपने मेहमान की मेहमान नवाज़ी मे कोई कसर ना छोड़ूँगी. ये कह कर मैं वसीम साहिब को देख कर मुस्कराने लगी तो वसीम साहिब भी मुस्करा दिए.
नाश्ता करने के बाद मे वसीम साहिब के साथ कार मे बैठ कर चल दी. कार मे ही ड्राइव कर रही थी जब के वसीम साहिब मेरे जिस्म के साथ मस्तियाँ कर रहे थे. मैं मुस्करा कर बोली, वसीम साहिब कही ऐसी जगह चलते हैं जहा आप मेरी खूब ज़बरदस्त तरीके से चुदाई कर सके क्या ख़याल है किसी होटेल मे चले? वसीम साहिब बोले, अगर तुम को कोई अतराज़ ना हो तो यहा मेरा ऐक दोस्त है मुझे उस से कुछ काम था वाहा वो काम भी होजाय गा और तुम्हे चोदने के लिए मुझे ऐक पार्ट्नर भी मिल जाय गा मैं ज़रा ट्रेन की याद ताज़ा करना चाहता हूँ अगर तुम्हे अतराज़ नही हो तो? मैं मुस्कराई और बोली, अरे वसीम साहिब मैं अतराज़ करने वाली कोन होती हूँ जो आप बोलेंगे वो ही होगा आख़िर आप मेरे मेहमान हैं और मेहमान की हर ख्वाइश को पूरा करना मेज़बान का फ़र्ज़ होता है. मेरी बात सुनकर वसीम साहिब मुस्कराने लगे और बोले, वाइज़ मैं ने घर से निकलते वक़्त तुम से पूछे बगैर ही अपने दोस्त को फोन कर दिया था के मैं वाहा किस काम से आरहा हूँ. वसीम साहिब की बात सुनकर मैं ने उनकी तरफ देखा तो वो बोले, किया तुम्हे बुरा लगा? मैं मुस्कराई और बोली, नही वसीम साहिब बुरा लगने की कोई बात ही नही है, ये तो आप का अपना पन है जो मुझे बोहत अछा लगा, और जहा तक आप के दोस्त की बात है तो आप ने मुझे कुछ काबिल समझा है जब ही तो मुझ से पूछे बगैर अपने दोस्त को बोल दिया, और जहा तक बात चुदाई की है आप अकेले मुझे चोदे या अपने दोस्त के साथ मिल कर मुझे किया अतराज़ होना है,
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