RE: Desi Sex Kahani पापा के दोस्तो ने जम के पेला
गतान्क से आगे..................
अब्बू की बात सुनकर मुझे अपने कानो पर यकीन ही नही हुआ. मैं अपनी किस्मत को कोसने लगी के जिस आदमी ने रास्ते भर मेरा रेप किया वो ही मेरे अब्बू का दोस्त निकला. अब्बू की बात सुनकर मैं घूम शुम होगई थी. यहा मेरी हालत खराब होरही थी उधर वसीम के चेहरे पर चमक आगाई थी और वो मुस्करता हुआ अब्बू से बोला, यार तुझे हमारा इंट्रोडक्षन करवाने की ज़रूरत नही है मैं तेरी बेटी को अछी तरहा जानता हूँ. वसीम की बात सुनकर मैं सन्नाटे मे आगाई के कही वो अब्बू को सब कुछ ना बता दे, मेरे पूरे जिस्म मे कपकपि शुरू हो चुक्की थी, ऐक तरफ मेरी हालत बिगड़ चुक्की थी दोसरि तरफ अब्बू खुशी और हेरात से बोले, अरे यार वो केसे? वसीम मुस्काराया और बोला, यार हम ने ऐक ही कॉमपार्टमेंट मे सफ़र किया है और तुम यकीन करो मेरा सफ़र बोहत अछा गुज़रा है तुम्हारी बेटी बोहत अछी कंपनी देती है और बोहत फार्मबरदार है. वसीम की बात सुनकर मैं सिर्फ़ उसे देख कर ही रह गई. जब के अब्बू वसीम से मेरी तारीफ सुनकर खुशी से बोले, अरे वाह ये तो और अछा होगया के तुम दोनो का पहले से ही इंट्रोडक्षन होगया है अब जान पहचान होगाई है तो घर मे भी तुम्हे बोरियत नही होगी सोनिया ट्रेन की तरहा तुम्हे घर मे भी कंपनी दे दिया करे गी. वसीम हस्ते हुए बोला, हा यार ज़रूर मुझे सोनिया की कंपनी मिले गी तो मेरा वक़्त भी अछा कट जाए गा. अब्बू मुझे देख कर बोले, सोनिया बेटी तुम इतनी खामोश क्यूँ हो किया तुम्हे खुशी नही होई, मुझे किया खुशी होनी थी अलबत्ता मुझे तो सदमा होगया था पर मैं ने अब्बू से सब कुछ छुपाना था इसी लिए मैं फीकी सी हँसी हँसी और बोली, नही अब्बू ऐसी तो कोई बात नही है बस ज़रा मेरी तबीयत ठीक नही है. मेरी बात सुनकर अब्बू हँसे और फखार से बोले, अरे बेटी तुम्हे रास्ते मे ही वसीम को बता देना था अपनी तबीयत के बारे मे मेरा दोस्त डॉक्टर है. अब्बू फिर वसीम से बोले, यार तो घर चल कर सोनिया का चेक-अप कर लेना. वसीम हंसा और बोला, हा हा यार ज़रूर क्यूँ नही अगर सोनिया ने रास्ते मे ही मुझे बताया होता तो मैं रास्ते मे ही इसका एलाज़ कर देता. मैं इन दोनो की बाते सुने जा रही थी और अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी के नज़ाने अभी मेरे नसीब मे और किया लिखा था. मैं अब्बू को बता भी नही सकती थी के आप का दोस्त जिस पर आप को फखार है उसने रास्ते भर मेरे साथ किया सलूक़ किया है. वसीम मुस्करा मुस्करा कर मुझे देखे जा रहा था. मुझे उसकी नज़रे ज़हर लग रही थी और मैं सोच रही थी के मैं जल्दी से घर पहुचने तक मुझे इसकी मनहूस नज़रों से छुटकारा मिले, पर मैं जानती थी के मुझे घर मे भी ये शक्स सकून नही लेने देगा. फिर जब हमारा मुलाज़िम (शार्फ़ो बाबा) ने आकर अब्बू से कहा के साहिब गाड़ी मे समान रख दिया है तो अब्बू ने शार्फ़ो बाबा को मेरा समान भी पकड़ा दिया और उसके साथ साथ गाड़ी तक आगे. शार्फ़ो बाबा पहले शायद वसीम का समान रख कर आये थे. कार मे मैं अगली सीट पर बैठ गई ताकि वसीम की हरकतों से बच सकू. शार्फ़ो बाबा कार ड्राइव कर रहे थे. शार्फ़ो बाबा की उमर कोई 65 या 70 साल होगी. मैं ने जब से होश संभाला था शार्फ़ो बाबा को घर मे देखा था. मैं शार्फ़ो बाबा की बोहत लड़ली थी और बिटिया बिटिया कहते हुए शार्फ़ो बाबा की ज़बान नही थकती थी. घर पहुँचे तो अम्मी ने खुशी से मेरा इस्तक़्बाल किया. मैं अम्मी के सीने से लग गई मेरा बोहत रोने को दिल चाह रहा था मगर मैं रो नही सकती थी मैं ने खामोश रहना था ताकि मेरे मा बाप की इज़्ज़त मे कोई फ़र्क़ ना आए. अभी घर आए हुए कुछ देर भी नही गुज़री थी के मुझे ऐक और सदमा सहना पड़ा. जब मुझे ये पता चला के अब्बू ने वसीम के लिए मेरे कमरे के बराबर वाला कमरा सेट करवाया है तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मैं ने जल्दी से अपने आप को संभाला. अब्बू ने मुझे से कहा, बेटी तुम अपने मेहमान को इनका कमरा दिखाओ ताकि ये आराम कर सकैं. अपना मेहमान का सुनकर मेरी जान जल कर रह गई. मैं ने खोखार नज़रों से वसीम को देखा तो वो मुझे देख कर हँसने लगा. मैं अम्मी और अब्बू के सामने अपनी केफियत को ज़ाहिर नही करना चाहती थी इसलिए मैं वसीम से बोली, आइए वसीम साहिब मैं आप को आप का कमरा दिखा दूं. मैं ने पलट कर सीढ़ियों की तरफ कदम बढ़ाए तो वसीम मेरे पीछे पीछे आने लगा. हमारा घर डबल स्टोरी था निचले हिस्से मे अम्मी और अब्बू का कमरा था जब के मेरा कमरा उपर के फ्लोर पर था. दोनो फ्लोर पर 5, 5 कमरे थे. शार्फ़ो बाबा भी निचले फ्लोर पर रहते थे. मेरे और वसीम के कमरे के बीच मे भी ऐक दरवाज़ा था जो दोनो कमरों को आपस मे मिलाता था. फिर जब मैं वसीम को लेकर उसके कमरे मे आई तो वसीम ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के मुझे लिपटा लिया. मैं मचल कर बोली, छोड़ मुझे कमीने हरामी छोड़ मुझे, मैं बुरी तरहा से अपने हाथ पैर चलाने लगी. वसीम की गिरफ़्त काफ़ी मज़बूत थी इसलिए मैं खुद को छुड़ा नही पाई. वसीम हंस कर बोला, ऐसे केसे छोड़ दूँ मेरी जान अभी तो मैं ने तुम्हारा चेक-अप भी तो करना है. मैं मचलती हुई बोली, मुझे नही करवाना है चेक-अप छोड़ो मुझे वरना मैं शोर मचा दूँगी. वसीम हंसा और बोला, हा हा मचाओ शोर और बुलाओ अपने बाप को और अपने बाप को बताओ के मैं ने रास्ते भर तुम्हारे साथ किया किया है. फिर जब मैं ये बात ज़माने भर को बताउन्गा तो तुम्हारे बाप की बोहत इज़्ज़त हो जाय गी. वसीम की बात सुनकर मैं ठंडी पड़ गई और मैं ने अपनी जिदो जेहाद ख़तम करदी.
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