RE: Incest Sex Kahani प्यार का रिश्ता
मैं शिवानी के लहनगा के नाडे पर और शिवानी की नाभि पर हाथ फिरा रहा था और मैने अपनी नंगी छाती शिवानी की पीट से सटाई तो शिवानी सीत्कार कर उठी... 'उईईईई.... सीईईईई मनु.... तुम्हारा बदन तो ताप रहा है..... मुझे गुदगुदी होती है........" शिवानी बोली
मैने हाथ लेनहगा के ऊपेर से ही चूत पर रखा तो वाहा शिवानी ने मेरा हाथ दबा दिया......" हाअ .... मनुव यही हाईईईईईईईई इसकू प्यार करोओओओ प्लज़्ज़्ज़....... " "लाइट बंद कर दो...."
मैने शिवानी से कहा प्ल्ज़ तुम अपनी आँख बंद करो... जब तक मैं ना काहू आँख मत खोलना..... ..
शिवानी ने वैसा ही किया मैने रूम की सारी लाइट्स ऑफ कर दी... कमरे मे सिर्फ़ चाँद की रोशनी और नीचे फर्श लेवेल पर लगे नाइट लॅंप की रोशनी थी....... ऐसे मे शिवानी का बदन किसी संगेमरमर की मूरत के समान दमक रहा था.......
मैं अब पूरा नंगा हो गया था मेरा लंड आज अपनी साइज़ दुगुना फूला हुआ और सख़्त महसूस हो रहा था.....
मैं जाकर शिवानी से चिपक गया शिवानी से अब रहा नही जा रहा था....." "मनु मुझे कुछ हो रहा है.... "
मैने उसको शांत करते हुए शिवानी के लेन्ह्गे का नाडा खींच दिया जिससे वो खुलकर शिवानी के पैर तले जा गिरा..... शिवानी पॅंटी भी पिंक ही पहने हुए थी.... मैने शिवानी की पॅंटी के ऊपेर से ही जैसे उसकी कुँवारी लपलपाति चूत पर हाथ रखा शिवानी बहुत जोरो से कसमसा गई.... शिवानी की पॅंटी चूत के हिस्से से नीचे तक बहुत गीली थी...... मैं शिवानी की पॅंटी लाइन्स से उसको टीज़ कर रहा था......
" जान आँख खोल कर अपना बदन देखो कितना मादक लग रहा है"
शिवानी ने धीरे धीरे अपनी आँख खोली और झट से बंद कर ली... वो तो ऐसे शर्मा रही थी जैसे मैं उसका नंगा बदन पहली बार देख रहा हू..... मैने शिवानी की पॅंटी सरका दी... अब तक मैने शिवानी को अपना शरीर नही दिखाया था..... शिवानी की पॅंटी सरका कर मैने उसको दो कदम आईने की तरफ आगे चलने को कहा उसने ऐसा ही किया शिवानी की पॅंटी उसके शरीर से भर निकाल कर मैने पॅंटी के गीले हिस्से को सुँगा और चूसा उस्मआ से शिवानी के यौबान रस और पेशाब की मिलीजुली खुसबू आ रही थी........
मैने शिवानी की पॅंटी लेकर उसको भी सूंघने को कहा पर उसने पहले इनकार किया पर बाद मे मान गई थोडा सुँगा और झट से अलग कर दी.... मैं अब पूरा शिवानी की पीठ से सॅट गया था... जिससे मेरा लंड शिवानी की गांद मे जा लगा और शिवानी की चूत को मैने अपनी हथेली मे और दूसरी हथेली मे एक मम्मे को भरकर भींच लिया.... शिवानी कराह उठी.....
" उम्म्म्म.... सीईईईई हे ... भगवाअमन्न्णणन् मुझे क्या हो रहा है...... मनु मुझे बेड पर ले चलो नही तो मैं गिर पड़ूँगी... अब मेरी टांगे जवाब दे रही है...."
" अभी चलते है जान पहले अपने बदन के उस हिस्से का दीदार तो कर्लो जो सबसे पवित्र और हसीन है....जाअंन्न थोड़ा पैर फैलाओ..... "
शिवानी ने अपने दोनो पैर फैला दिए और थोड़ा नीचे को झुक गई जिससे शिवानी की पिंक चूत बिना बालो वाली मेरे सामने थी मैने कहा शिवानी देखो तुम्हारी चूत अंदर से कितनी रस भरी और गुलाबी है.....
मैने शिवानी की चूत मे उपेर से नीचे तक अपनी उंगली का अगला हिस्सा फिराया शिवानी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी.......
फिर शिवानी एक दम पलट गई और मेरा नंगा बदन देखकर मेरे से किसी नागिन की भाती लिपट गई....... मेरा लंड शिवानी के पेट मे गड़ रहा था मैं शिवानी के मम्मो को चूस और चबा रहा था... शिवानी की मस्त मखमली गांद को नोच रहा था....
" मुझे वाहा ले चलो....." उसने पलंग की तरफ इशारा करते हुए कहा....
मैं उसके पलग पर ले गया ... पूरे कमरे मे गुलाब और चंदन की खुसबू आ रही थी... पलंग गुलाब की पंखुड़ियो से सज़ा हुआ था ... पंखुड़ियों के कारण पलंग की चादर दिख नही रही थी......
शिवानी को मेरी बीबी की बात याद आई की पहले दूध पिलाना है दूध एक चाँदी के गिलास मे भरकर वही सिरहाने रखा था.... मैने शिवानी के हाथ से दूध पिया और थोड़ा सा छोड़ दिया.. मैने शिवानी को पलंग पर इस तरह से लिटाया की शिवानी की टाँगे ज़मीन पर और शरीर पलंग पर रहे. मैने शिवानी की टांगे फैलाई तो शिवानी सफाचट गुलाबी चूत खुल गई.... बचा हुआ दूध शिवानी की चूत के ऊपेर से लुड़काया और नीचे जीव लगाकर उसके मैं चाटने लगा... अब शिवानी के मूह से उ... सीईइ आअहह मत करो.... बहुत अछा लग रहा हाई.... हाआअ मैं जल राहियी हूओ...... ओह... ऐसा निकल रहा था और वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबाते जा रही थी इधर मेरा लंड अपने पूरे उफान पर था........ शिवानी मेरी थोड़ी सी ही चूत चटाई से एक बार झार गई मैं दूध के साथ साथ उसका पूरा पानी चाट गया मैने शिवानी की चूत को सॉफ कर शिवानी की क्लाइटॉरिस को अपने होंठो मे दबाकर जीव से फ्लिक करना शुरू किया......
" शिवानी अब अपनी गांद उछाल रही थी... एयेए मनुव्व अब सहन नही हूता... प्लज़्ज़्ज़ मुझे औरत बना दूओ अपना मेरी मे अंदर करदो.....फाड़ दो मेरि....:
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