RE: Hindi Sex Stories दोस्त का परिवार
भुवा: दीनू क्या तुम सहर में कसरत करते हो ?
दीनू: हां भुवा रोज सुबहा उठकर कसरत करता हूँ.
भूवजि: इसलिए तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदूरस्त हैं. क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो खास तोर पर सरीर के निचले हिसें पर ?
दीनू: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसों का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ.
भुवा: हां आज मैने तुम्हारे सरीर के अलावा अंदर का अंग भी दोपहर को देखा था वाकई काफ़ी मोटा लंबा और तंदूरस्त है. हर मर्द का इस तरह का नहीं होता हैं.
भुवा की बात सुन कर मैं शरम के मारे लाल हो गया. पूरे मकान मैं हम दोनो अकेले थे. और इसतरह की बातें कर रहे थे.
मैने भी भुवा की से कहा. भुवा आप भी बहुत सुंदर हो और आपका बदन भी सुडोल है.
भुवा: दीनू मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढ़ाओ. तुमने तो अभी मेरा बदन पूरी तरह देखा ही कहाँ हैं. मैने बोला आप ने तो मुझे दिखाया ही नहीं और मेरे सरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया. इतना सुनते ही वो झट बोली मुझे कहाँ अच्छी तरह कहाँ तुम्हारे दर्शन हुए. चलो एक शर्त पर तुम्हे मेरे अंदुरूनी भाग दिखा दूँगी अगर तुम मुझे अपना दिखाओगे तो ?
मैने झट से लूँगी से लंड निकाल कर उन्हे दिखा दिया. भुवा ने भी अपने वादे के अनुसार नाइटी उपर कर के अपनी चूत दिखा दी और मुस्कराती बोली राजा बेटा खुश हो अब. हाई जालिम चूत थी. चूत देखते ही मेरा लंड तन कर फरफारने लगा. कुछ देर तक मेरे लंड की ओर देखने के बाद भुवा मेरे पास आई और झट से मेरी लूँगी खोल दी.
फिर खड़े होकर अपनी नाइटी भी उतार दी और नंगी हो गयी. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा. जब मैं पलंग पर बैठ कर भुवा की मस्त रसीली चूंची को देख रहा था तो मारे मस्ती के मेरा लंड छत की ओर मुँह उठाए उनकी चूत को सलामी देरहा था.
भुवा मेरी जाँघो के बीच बैठ कर दोनो हाथों से मेरे लौरे को सहलाने लगी. कुछ देर यूँही सहलाने के बाद अचानक भाभी ने अपना सर नीचे झुकाया और अपने रसीले होंटो से मेरे सुपारे को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया. मैं एकदम चौंक गया. मैने सपने मे भी नही सोचा था कि ऐसा होगा.
“भुवा ये क्या कर रही हो. मेरा लंड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है.” “चूसने के लिए और किस लिए? तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चुसाइ का मज़ा लो. एक बार चुस्वा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.” भुवा मेरे लंड को लॉलिपोप की तरह मुँह ले लेकर चूसने लगी.मैं बता नही सकता हूँ कि लंड चुसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था. भुवा के रसीले होन्ट मेरे लंड को रगर रहे थे.
फिर भुवा ने अपने होन्ट गोल कर के मेरा पूरा लंड अपने मुँह मे लेलिया और मेरे आंडो को हथेली से सहलाते हुए सिर उपर नीचे करना शुरू कर दिया मानो वो मुँह से ही मेरा लंड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैने भी अपनी कमर हिला कर भुवा के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. मैं तो मानो सातवें आसमान पर था.
बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोरी ही देर मे लगा कि मेरा लंड अब पानी छोड़ देगा. मैं किसी तरह अपने उपर काबू कर के बोला, “भूवजिीइईईईई मेरा पानी छूटने वाला है.” भुवा ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नही दिया बाल्की अपने हाथो से मेरे चूतर को जाकड़ कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरू कर दिया. मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लंड उनके मुँह मे पेलने लगा.
कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और भुवा गतगत करके पूरे पानी पी गयी. सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके तोड़ी पर फैल गया. कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूंची पर भी जा गिरी. झरने के बाद मेने अपना लंड निकाल कर भुवा के गाल्लो पर रगड़ दिया. क्या खूबसूरत नज़ारा था. मेरा वीर्य भुवा के मुँह गाल होन्ट और रसीली चूंची पर चमक रहा था.
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