RE: Hindi Sex Stories दोस्त का परिवार
थोड़ी देर बाद भुवा और सुमन हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि चलो दीनू बेटे खाना ख़ालो. अब हम तीनो खाना खाने बैठ गये. भुवा मेरे सामने बैठी थी और सुमन मेरे लेफ्ट साइड की ओर बैठी थी. सुमन पालती मारकर बैठी थी और भुवा पैर पसारे बैठी थी. खाना खाते समय मैने कहा भुवा आज खाना तो जाएकेदार बना है. भुवा ने कहा मैने तुम्हारे लिए खास बनाया हैं. तुम यहाँ जितने दिन रहोगे गाओं का खाना खा खाकर और मोटे होजाओगे. मैं हंस पड़ा और कहा अगर ज़्यादा मोटा होऊँगा तो मुस्किल हो जाए गी.
भुवा आंड सुमन हंस पड़ी. थोड़ी देर बाद भुवा ने कहा सुमन तुम खाना खा कर खेत मैं खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सब ने खाना खाया सुमन बर्तन धो कर खेत मैं खाद डालने लगी. मैं और भुवा चटाई बिच्छा कर आराम करने लगे.
मुझे नींद नहीं आरही थी. आज मैं भुवा या सुमन को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आगयी पता ही नहीं चला. जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैने देखा कि मेरा मोटा लंड लंड तन कर खड़ा था और लूंघी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था. इतने में भुवा कमरे मैं आई मैने झट से आँखे बंद कर ली. थोड़ी देर बाद थोड़ी आँख खोल कर देखा कि भुवा की नज़र मेरे खड़े हुवे मोटे लंड पर टिकी थी.
हैरत भरी निगाहों से मेर लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. कुच्छ देर बाद उन्होने आवाज़ दे कर कहा “दीनू बेटा उठ जाओ अब घर चलना है” मैने कहा ठीक है और उठकर बैठ गया मेरा लंड अब भी लूँगी से बाहर था. भुवा मेरी ओर देखते हुवे बोली “दीनू बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या ? मैं मुस्किल से कहा नहीं तो भुवा, क्यों क्या हुवा. वो बोली नीचे तो देखो क्या दिख रहा हैं.
जब मैने नीचे देखा तो मेरा लंड लूँगी से निकला हुआ था. मैं शरम से लाल हो कर अपना लंड अंडरवेर मैं छुपा लिया. ऐसा करते समय भुवा हंस रही थी. हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैने कहा कि मैं बाज़ार होके आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 व्हिस्की की बॉटल ले आया.
जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे.मुझे आया देख कर भुवा ने आवाज़ दी बेटा आकर खाना ख़ालो मैं बोला भुवा अभी भूक नहीं हैं थोड़ी देर बाद खा लूँगा. फिर मैने पुछा मा और सुमन कहाँ हैं (क्योंकि मा और सुमन ना तो रसोई घर में थे नहीं आगन में थे) भुवा ने कहा कि हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन हैं इसलिए भाभी और सुमन रिस्तेदार के यहाँ गये हैं और सुबह 5-6 बजे लोटेंगे.
मैने कहा “ठीक हैं भुवा, अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विश्की पी सकता हूँ ? भाभी बोली “ठीक हैं तुम आँगन में बैठो मैं वहीं खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विशकी पीने लगा. करीब आधे घंटे बादभुवा खाना लेकर आई तब तक मैं 3-4 पेग पी चुक्का था और मुझे थोडा विशकी का नशा होने लगा था.
भुवा और मैं खाना खाने के बाद, भुवा के कमरे में आ गये. मैने पॅंट को शर्ट निकाल कर लूँगी और बनियान पहन ली. भुवा ने भी सारी खोल कर केवल नाइटी पहनी हुई थी. जब भुवा खड़ी होकर पानी लाने गयी तो मुझे उनकी पारदर्शी नाइटी से उनका सरीर दिखाई दिया. उन्होने नाइटी के अंदर ना तो ब्लाउस पहना था नहीं पेटिकोट पहना था इसलिए लाइट की रोसनी के कारण उनका जिस्म नाइटी से झलक रहा था. जब वो पानी लेकर वापस आई. हम बैठ कर बातें करने लगे.
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