Hindi Sex Stories दोस्त का परिवार
10-23-2017, 11:55 AM,
#10
RE: Hindi Sex Stories दोस्त का परिवार
कुछ देर बाद होश आया तो मैने उनके रसीले होंठो का चुंबन लेकर उन्हे जगाया. मा ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फूस-फूसा कर बोली, “बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे लंबे लंड नेतो कमाल कर दिया, क्या गजब का ताक़त है तुम्हारे लंड मे.” मैने उत्तर दिया, “कमाल तो आपने कर दिया है , आजतक तो मुझे मालूम ही नही था कि अपने लंड को इस्तेमाल कैसे करना है. 


यह तो आपकी मेहेरबानी है जो कि आज मेरे लंड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.” अबतक मेरा लंड उनकी चूत के बाहर झांतो के जंगल मे रगर मार रहा था. मा ने अपनी मुलायम हथेलिओं मे मेरा लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया. उनकी उंगली मेरे आंडो से खेल रही थी. उनकी नाज़ुक उँगलिओ का स्पर्श पाकर मेरा लंड भी जाग गया और एक अंगराई लेकर मा की चूत पर ठोकर मारने लगा. मा ने कस कर मेरे लंड को क़ैद कर लिया और बोली, “बहुत जान है तुम्हारे लंड मे, देखो फिर से फड़-फादाने लगा, अब मैं इसको नहीं छोड़ूँगी.” 


हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे. मा ने मुझको चित लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा कर लंड को हाथ से उमेठेने लगी. साथ ही साथ अपनी कमर हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगर्ने लगी. उनकी चूत पिछली चुदाई से अभीतक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था. अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर मा की तरफ मुँह करके लेट गया. उनकी चूंची को मुँह मे दबा कर चूस्ते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा. उन्होने एक सिसकारी लेकर मुझे कस कर चिप्टा लिया और ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुदवाने लगी. अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रही थी. 


मेरा लंड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सख़्त हो गया था. अब मा की हद से ज़्यादा बेताबी बढ़ गयी थी और खुद चित हो कर मुझे अपने उपर खीच लिया. मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली, “आओ मेरे राजा, सेकेंड राउंड हो जाए.”मैने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया. मा चिल्ला उठी और बोली, “जीओ मेरे राजा, क्या शॉट मारा है अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फार दो मेरी चूत को.” 

मा का आदेश पा-कर मैं दूने जोश मे आ गया और उनकी चूंची को पकड़ कर हुमच हुमच कर मा की चूत मे लंड पेलने लगा. उंगली की चुदाई से उनकी की चूत गीली हो गयी थी और मेरा लंड सतसट अंदर-बाहर हो रहा था. वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब पूरे जोश के साथ दे रही थी.


मा ने दोनो हाथो से मेरी कमर को पकड़ रखा था और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत मे लंड घुस्वा रही थी. वो मुझे इतना उठाती थी कि बस लंड का सुपरा अंदर रहता और फिर ज़ोर नीचे खिचति हुई घाप से लंड चूत मे घुस्वा लेती थी. पूरे कमरे मे हमारी सांस और घपा-घाप, फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. जब हम दोनो की ताल से ताल मिल गयी तब मा ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरे चूतर को पकड़ लिया और कस कस कर दबोचते हुए मज़ा लेने लगी. कुछ देर बाद मा ने कहा, “आओ एक नया आसान सिखाती हूँ,” और मुझे अपने उपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लंड ‘पक’ की आवाज़ साथ बाहर निकल आया. 


मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लंड पूरे जोश के साथ सीधा खरा था. मा उठ कर घुटनो और हथेलिओं पर मेरे बगल मे बैठ गयी. मैं लंड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा. मा ने मेरा लंड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा, “ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो, चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लंड को घुसाओ.” मैं भी उठ कर उनके के पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लंड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगर्ने लगा. 

क्या मस्त गोल गोल गद्दे दार गंद थी. मा ने जाँघ को फैला कर अपने चूतर उपर को उठा दिए जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ नज़र आने लगी. उनका का इशारा समझ कर मैने लंड का सुपरा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया. 



मा ने एक सिसकारी भर कर अपनी गंद पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दी. मैं भी मा की पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनो चुची को पकड़ कर मसल्ने लगा. वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतर को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगी. उनके मुलायम चूतर मेरी मस्ती को दोगुना कर रहे थे. मेरा लंड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था. 


कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद मा बोली, “चलो राज्ज्जा अब आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नही जाता.” मैं उठा कर सीधा हो गया और मा के चूतर को दोनो हाथों से कस कर पकड़ कर चूत मे हमला शुरू कर दिया. जैसा कि मा ने सिखाया था मैं पूरा लंड धीरे से बाहर निकाल कर ज़ोर से अंदर कर देता. 

शुरू मे तो मैने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढता गया और धक्को की रफ़्तार बढ़ती गयी. धक्का लगाते समय मैं मा के चूतर को कस के अपनी ओर खीच लेता ताकि शॉट तगरा परे. मा भी उसी रफ़्तार से अपने चूतर को आगे-पीछे कर रही थी. हम दोनो की साँसे तेज हो गयी थी. मा की मस्ती पूरे परवान पर थी. 


नंगे जिस्म जब आपस मे टकराते तो घाप-घाप की आवाज़ आती. काफ़ी देर तक मैं उन्हे कमर पकड़ धक्का लगाता रहा. जब हालत बेकाबू होने लगी तब मा को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा. हम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थे पर कोइ भी रुकने का नाम नही ले रहा था.

तभी मा ने मुझे कस कर जाकड़ लिया और अपनी टाँगे मेरे चूतर पर रख दिया और कस कर ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झार गयी. उनके झरने के बाद मैं भी भाभी की चूंची को मसल्ते हुए झार गया और हाफ्ते हुए उनके उपर लेट गया. हम दोनो की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और हम दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे. 

क्रमशः...........
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