RE: Hindi Porn Stories संघर्ष
संघर्ष--24
पंडित जी ने धन्नो की बात सुनने के बाद बोले "क्यों पहली शादी मे क्या बात हो गयी थी...?" इस सवाल को सुन कर धन्नो ने एक गहरी साँस लेते हुए अब पंडित जी की ओर मुँह करके आराम से बैठ गयी और बोली "क्या अपना दुख सुनाउ पंडित जी आप तो दुनिया देख ही रहे हैं...लोगो को दूसरों की खुशी और चैन पसंद नही है और मेरे गाओं के लोग तो और ही जलने और ईर्ष्या करने वाले हो गये हैं. ...मेरी बेटी की बहुत बढ़िया शादी कुच्छ साल पहले हुई थी की गाओं के कुच्छ बदमाशों ने पता नही कौन सी चाल चली की मेरी बेटी की पूरी जिंदगी ही चौपट हो गयी..और आज आप देख ही रहे हैं की उसकी दूसरी शादी की समस्या मेरे सामने खड़ा है." इतना सुन कर पंडित जी ने अपने माथे पर कुच्छ सिकुड़न लाते हुए पुच्छे "तुमने अपनी बेटी की शादी जब किया तो इसमे गाओं वाले भला क्या कर सकते हैं जिससे तुम्हारी बेटी का रिश्ता खराब हो जाय...? शादी के बाद लड़की ससुराल गयी फिर गाओं वाले क्या कर सकते हैं...?" पंडित जी के इस बात को सुनकर धन्नो लगभग गाओं वालों पर गुस्साते हुए बोली "पंडित जी आप यही तो नही जानते हैं ..साँप का एक मुँह होता है लेकिन मेरे गाओं मे जो साँप हर गली मे घूम रहे हैं उनके कई मुँह हैं...और जिसे डॅन्स लिए वह बर्बाद ही हो जाता है...यदि आप मेरे गाओं मे रहते तब आपको कुच्छ बताने की ज़रूरत नही पड़ती और या तो आप गाओं मे रहते या तो गाओं छ्चोड़कर भाग जाते....." फिर बात को आगे बढ़ाते हुए धन्नो ने पंडित जी से अब काफ़ी खुल कर बात करने लगी "मेरे गाओं मे हर तरफ अवेर ही आवारे ही हैं...किसी को कोई काम तो है नही और एक शराब की दुकान भी खुल गयी है ..उनका स्वर्ग ...और जिसके पास कुच्छ पैसे हैं वो नशे मे धुत इधेर उधर मदराते रहते हैं...ऐसे मे इन आवारों से क्या उम्मीद कोई कर सकता है....ये कमीने हमेशा मौके की तलाश मे ही रहते हैं की क्या बुढही क्या जवान क्या कुँवारी क्या शादी शुदा..कोई यदि अकेले दीख जाए तो उल्टी सीधी बाते बोलना शुरू कर देते हैं और इन आवारों से सभी शरीफ औरतें बच कर ही रहती हैं ...आख़िर इज़्ज़त तो सबको प्यारी है...मैं भी इसी घबराहट मे अपने मुसामी की शादी जल्दी ही करवा दी लेकिन जिस दिन मेरी बेटी की बारात आई उसी दिन गाओं के किसी आवारे ने किसी बाराती से मेरी सीधी सादी बेटी के बारे मे कुच्छ अफवाह फैला दी और जब कुच्छ दिन बाद जैसे ही यह बात उसके दूल्हे को पता चला तबसे मेरी बेटी से सब झगड़ा करने लगे...क्या बताउ पंडित जी मेरी बेटी की सास बहुत ही हरामी थी जो रोज मेरी बेटी को गंदी गंदी गाली देती थी...आख़िर कुच्छ ही दिन बीते थे की मेरी बेटी से भी बर्दाश्त नही हुआ और उसने भी अपने सास को जबाव मे खूब गालिया देने लगी और बात जब मार पीट तक पहुँच गयी ...और मेरी भी बेटी ने उनके इस अत्याचार का जबाव देते हुए अपनी सास का बॉल पकड़ कर खूब पीटा और दूसरे ही दिन सुबह ही सौच के बहाने निकली और यहाँ से दस कोस दूर अपने ससुराल से पैदल ही भाग आई...और मेरी बेटी ने मुझे सब कुच्छ बताया तो मैने यही कहा की जो कुच्छ किया बढ़िया किया..." पंडित जी धन्नो की बात को ध्यान से सुन रहे थे और धन्नो ने अपनी बात आगे कही "और क्या करूँ पंडित जी जब उन्होने ने मेरी जवान बेटी के चरित्रा को खराब बताते हुए गाली दी और मारपीट करने लगे तो मेरी बेटी आख़िर कब तक बर्दाश्त करती....और इसकी सास तो बहुत हरजाई थी पंडित जी...मुझे तो बाद मे पता चला की इसकी सास उस गाओं की एक नंबर की .....अब मैं क्या बताउ मुझे बताने मे भी लाज लगती है...मुझे पता ही नही था की वो सब इतने खराब हैं नही तो मैं उनके यहाँ अपनी बेटी की शादी ही नही करती " धन्नो इतना बोलते हुए अपनी नज़ारे पंडित जी की ओर से हटाते हुए नीचे झुका ली. पंडित जी भी समझ गये की धन्नो अपनी समधन को क्या कहना चाहती थी. धन्नो की बातें सावित्री भी काफ़ी ध्यान से सुन रही थी. पंडित जी भी धन्नो की ओर देखते हुए आगे बोले "तो उस बाराती से तुम्हारे गाओं वाले ने कौन सी बात कह दी कि रिश्ता ही टूट गया?" पंडित जी के इस सवाल को सुनकर धन्नो समझ गयी की पंडित जी कुच्छ और जानना चाहते हैं. और कुच्छ सोचते हुए अपनी नज़रें पंडित जी की ओर नही की और फिर बोलना सुरू कर दी "अब जो कुच्छ भी उस कमीने ने कहा पंडित जी नतीजा तो सामने आ ही गया...रिश्ता टूट ही गया...शादी के पहले जब मेरी बेटी मुसम्मि जवान हुई तभी से गाओं के कुत्ते उसके पीच्चे पड़ने लगे. मेरी बेटी बेचारी बहुत ही सीधी है पंडित जी मानो एक दम गई की तरह...वो बेचारी क्या करती इन कामीनो का..किसी भी तरह अपनी इज़्ज़त को शादी तक बचा कर रखी उन हाआमजादों से.. सच कहती हूँ पंडित जी कोई भी आवारा मेरी बेटी को च्छू भी नही सका...और वहीं पर गाँव की दूसरी लड़कियाँ तो उन कामीनो से.........क्या कहूँ लाज लगती है कहते हुए भी....बस इन अवारों को इसी बात का बदला लेना था की बड़े ही इज़्ज़त और शान से मेरी बेटी शादी करके अपने ससुराल जा रही है और उन्हे यह बर्दाश्त नही हुया तो क्या करते ..उस बाराती से मेरी बेटी के बारे मे झूठी बात बोल दी की जिस मुसम्मि को सब कुँवारी और आनच्छुई लोग समझ रहे हो उस मुसम्मि का रस गाओं के बड़े बुढहे सब ...........
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