RE: Hindi Porn Stories संघर्ष
धन्नो ने कहा "मैं तो सोचती हूँ की आप के ही घर पर लड़की को दीखा दिया जाय" इस पर सगुण मे कहा "ठीक रहेगा तो चलो परसों दोपहर के 12 बजे मैं लड़के के बाप को लेकर आउन्गा. लड़का बाहर मे नौकरी करता है और उसकी उम्र करीब 27 के आस पास होगी और वैसे भी तो दूसरी शादी मे मन चाहा लड़का मुस्किल होता है मिलना बोलो यदि पसंद है तब तुम परसों दोफर के 12 बजे तक मेरे घर पर आ जाना" "ठीक है सगुण चाचा" धन्नो ने जबाव दिया और आगे पुछि "आप के घर पे कौन कौन है " इसपर सगुण ने कहा " इस समय तो वो मयके गयी है और मेरे एक बेटा अपने बहू और बच्चो को लेकर बाहर ही रहता है ...मेरा घर एक दम खाली है ..तुम्हे कोई परेशानी नही होगी सही समय तक बेटी मुसम्मि को ले कर आ जाना " इतना कह कर सगुण ने अपनी साइकल पर बैठा और अपने घर के ओर चल दिया. फिर सावित्री और धन्नो अपने गाओं के ओर चलने लगी और अब एक दम से अंधेरा होना सुरू हो गया था. फिर भी सावित्री इस आदमी के बारे मे जानना चाहती थी इस वजह से पुछि "कौन था चाची " इस पर धन्नो ने कहा "अरे बहुत सामाजिक आदमी हैं..सगुण चाचा .इन्होने ने बहुत सारी शादियाँ कराई हैं और मुसम्मि की भी यही शादी कराए थे. तेरी मा भी इन्हे जानती है. चलो परसों मैं भी मुसम्मि को लड़कों वालों को दिखवा कर शादी पक्की करवा लेना चाहती हूँ. ....अच्छा ए बता की जब मैं पेशाब कर रही थी तब ये ही साइकल से गुज़रे थे क्या?" इस पर सावित्री एक दम चुप रही और हल्की सी मुकुरा दी . धन्नो ने सावित्री की ओर देखकर हंसते हुए गलियाँ देती बोली "अरे कुत्ति कहीं की तू तो आज मेरी गांद को सगुण चाचा को दीखवा ही दी ...है राम क्या सोचेंगे मेरे बारे मे की कैसी औरत है सड़क पर गांद खोलकर मुतती है...." इस पर सावित्री ने कुच्छ नही बोली. लेकिन उसके मन मे यही था की उस समय जिस अंदाज मे सावित्री को देख कर मुस्कुराए उससे लगता था की सगुण एक रंगीन किस्म के आदमी भी थे. और दूसरी बार जब गाल को मीसा तब भी उनकी नियत बहुत अच्छी नही लगी. धन्नो ने सावित्री से कहा "देखो कल मैं तुम्हारे दुकान पर आउन्गि कुच्छ समान तो लेना ही पड़ेगा जब लड़की को दिखवाना है." सावित्री ने धन्नो से कहा " ठीक है चाची आना"
उसके बाद दोनो गाओं मे घुसने से पहले ही एक दूसरे से अलग अलग हो गयीं ताकि सावित्री की मा को ऐसा कुच्छ भी ना मालूम हो जिससे वो सावित्री पर गुस्सा करे.
सावित्री घर पहुँचने के बाद तुरंत पेशाब करने घर के पीच्छवाड़े गयी और पेशाब की और फिर वापस घर के काम मे लग गयी. रश्ते मे धन्नो चाची ने जो भी बात उसकी मा सीता के बारे मे बताई थी वह सावित्री के दिमाग़ मे घूम रहा था. लेकिन जब मुसम्मि के शादी की बात याद आते ही उसका भी मन लालच से भर गया की उसकी भी शादी जल्दी हो जाती तो बहुत अच्छी होती. लेकिन सावित्री अपनी ग़रीबी को भी भली भाँति जानती थी. लेकिन पता नही क्यूँ सगुण चाचा के नाम से कुच्छ आशा की किरण दिखाई दे रही थी. अंदर ही अंदर शादी की इच्छा प्रबल होती जा रही थी. सावित्री यही सोच रही थी की आख़िर वो कैसे अपनी मा या किसी से खूद के शादी के बारे मे कहे. वैसे आज जो कुच्छ भी दुकान मे पंडिताइन के साथ हुआ वह सावित्री के मन मे एक दर्द की तरह याद आ रहा था. लेकिन सावित्री को जब जब ये बात याद आती की कैसे उसने पंडिताइन को खूब पीटा तब उसका मनोबल काफ़ी उँचा हो जाता. शायद उसे अपनी ताक़त का असली अहसास होने लगा था.
दूसरे दिन जब सावित्री दुकान पर चलने की तैयारी की तभी खंडहर के पास आवारों की याद आते ही मन घबरा गया. लेकिन पता नही क्यूँ उनकी गंदी बाते सावित्री को फिर से सुनने की इच्च्छा हो रही थी. उन अवारों की गंदी हरकत अब अच्च्छा लग रहा था. रश्ते पर चलते चलते खंडहर आ गया और सावित्री की नज़रें इधेर उधेर शायद उन आवारों को ही तलाशने लगी थी. तभी पीछले दिन वाले दोनो आवारा खंडहर के एक दीवाल के पास बैठे नज़र आ गये. सावित्री को काफ़ी डर लगने लगा था. उसे ऐसा लग रहा था की आज भी वी दोनो ज़रूर कुछ अश्लील बात बोलेंगे. आख़िर जैसे ही सावित्री उस खंडहर के पास रश्ते पर बैठे हुए दोनो अवारों के पास से गुज़री ही थी की दोनो उसे ही घूर रहे थे और मुस्कुरा रहे थे. अचानक एक ने बोला "हम पर भी तो कुच्छ दया करो मेरी जान....हम लोग एक अच्छे इंसान हैं ..तुम जैसे चाहो वैसे हम दोनो पेश आएँगे...बस एक बार हमे भी अपना रस पीला दो..." सावित्री बिना कुच्छ बोले रश्ते पर चलती रही तभी उसे लगा की दोनो बदमाश उसके पीछे पीछे चल रहे हों. सावित्री के अंदर हिम्मत नही थी की वो पीछे पलट कर देखे. लेकिन जब दूसरे बदमाश की आवाज़ उसके कान मे टकराई तो उसे लगा की दोनो ठीक उसके पीछे ही चल रहे हों. दूसरे ने कहा "रानी ...हम दोनो रात मे 12 बजे के करीब तुम्हारे घर के पीछे वाले बगीचे मे आ कर हल्की सी सिटी मारेंगे और तुम धीरे से आ जाना....ज़रूर आना ...कोई ख़तरा नही है..हम दोनो पक्के खिलाड़ी है..
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