RE: Hindi Porn Stories संघर्ष
कमरे मे केवल पंडिताइन के रोने की आवाज़ आ रही थी पंडिताइन ने फिर कुच्छ सोचा और रोना कम करते हुए सावित्री के नंगे शरीर पर आँखे लाल लाल कर के देखी और सावित्री से पुच्हीं "अरी रंडी हरजाई बुर्चोदि तेरा क्या नाम है रे जो लंड के लिए यहाँ डेरा डाल ली है....किस रंडी की बुर से पैदा हुई है तू भोसड़ी कही की....तेरी बुर मे कीड़ा पड़ जाए जो तू इन बुढ्ढो का लंड लील रही है....बोल..." अब पंडिताईएन की आवाज़ तेज होने लगी और उनका शरीर भी गुस्से से काँपने लगा. सावित्री को मानो बिजली मार दी है और शरीर मे जान ही ना रह गयी हो. पंडिताईएन की आवाज़ और गाली कान मे पड़ते ही सावित्री एक दम से कांप गयी. पंडित जी भी अपनी पत्नी के ठीक पीछे चुपचाप खड़े थे और उन्हे भी अब कुच्छ बोलने की हिम्मत नही रह गयी थी. जब पंडिताइन ने गंदी गलिओं की बौच्हर कर दी तब सावित्री की घबराहट और बढ़ गयी लेकिन दूसरे पल पंडिताईएन ने सावित्री के मुँह पर एक जोरदार चॅटा जड़ दी. चाँते की आवाज़ पूरे कमरे मे गूँज उठी. सावित्री चाते का दर्द को कम करने के लिए चुचिओ पर का हाथ गाल पर ले जा कर सहलाने लगी. लेकिन पंडित जी ने कुच्छ भी नही बोले बल्कि पंडिताईएन का आक्रामक तेवर देखकर वो भी डर से गये. पंडिताइन ने अपने साड़ी के पल्लू को अपने कंधे से घुमाकर कमर मे खोस ली मानो कोई काम करने जा रही हों. सावित्री ऐसा देख कर समझ गयी कि पंडिताइन अब उसे बहुत मार मारेंगी. और वो भी डर के वजह से रोने लगी. फिर भी पंडितानी का आक्रामक तेवर मे कोई बदलाव नही आया और सावित्री पर टूट पड़ी. सावित्री के काले और लंबे बॉल को पकड़ कर काफ़ी ज़ोर से हिलाया की सावित्री दर्द के मारे चिल्ला उठी "आरी एम्मी म्मैइ बाअप हो राम रे माई......" और पंडिताइन ने थप्पाड़ों को बरसात कर दी. सावित्री एक दम नगी होने के वजह से थप्पड़ काफ़ी तेज लग रहे थे. और पंडिताइन ने गुस्से मे सावित्री के बॉल को इतनी ज़ोर से झकझोरा की नंगी सावित्री का पैर फिसला और चटाई पर गिर पड़ी. संयोग ठीक था की कहीं चोट नही आई लेकिन गिरने के बाद सावित्री का काला और बड़ा चूतड़ पंडिताइन के सामने दिखा और पंडिताइन ने उन दोनो चूतदों पर लातों से हमला बोल दिया. चूतड़ काफ़ी मांसल होने के नाते सावित्री को कोई बहुत चोट नही महसूस हो रही थी. और काले काले चूतदों पर लातों को मारते हुए पंडिताइन ने गुस्से मे गलियाँ बकने लेगीं "साली रंडी ...भैंस की तरह चूतड़ ली है और मोटा लंड खोजते इस दुकान तक आ पहुँची... तेरे को और कहीं लंड नही मिला रे हरजाई जो तू मेरा घर बर्बाद करने आ गई....तेरे को दुनिया मे लंड ही नही मिला ......भगवान तेरी बुर मे कितना आग लगा दी है रे जो तू इन बुढ्ढों को भी नहीं बक्ष रही है....तेरी बुर मे गधे का लंड पेल्वा दूं....बुर्चोदि..."
पंडिताइन से पीटते हुए सावित्री ने पाड़ित जी की ओर देखी जो चुपचाप खड़े थे और अपनी नज़रे दूसरी ओर फेर लिए. सावित्री समझ गयी की पंडित जी अपनी पत्नी से डर गये हैं और उसकी पिटाई ख़त्म ही नही होगी और सावित्री भी पीटते और गाली सुनते हुए काफ़ी गुस्से से भर गयी और अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया. तभी सावित्री के चूतादो वाला लात अब पीठ और चुचिओ पर पड़ने लगा. जो की सावित्री के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया और पंडिताइन जिस लात से चटाई मे गिर पड़ी सावित्री को मार रहीं थी, उसे सावित्री ने अपने हाथ से कस कर पकड़ कर अपनी ओर खींच दिया और पंडिताइन लड़खड़ा कर फर्श पर गिर पड़ी और वापस उठ कर सावित्री पर हमला करना चाहीँ की सावित्री पंडिताइन के उपर चढ़ गयी और उनके बॉल पकड़ ली और जबाव मे पंडिताइन ने भी सावित्री के बॉल पकड़ कर नोचने लगी. अब दोनो एक दूसरे से लगभग लिपट कर बाजने लगे और सावित्री का एकदम नंगा और मांसल गड्राया शरीर अब पंडिताइन पर भारी पड़ने लगी थी. सावित्री पंडिताईएन को मारना नही चाहती थी लेकिन जब वह पंडिताइन के उपर से हटना चाहती की पंडिताइन को मौका मिलता और सावित्री को मारना शुरू कर देती. सावित्री मार खाते ही फिर पंडिताईएन को फर्श पर पटकते हुए दबोच लेती और जबाव मे वह भी थप्पड़ चला देती. अब सावित्री खुल कर पंडिताईएन से बाजने लगी और अपने जीवन मे पहली बार किसी को पीट रही थी. आख़िर जब सावित्री डर को मन से निकाल कर खुल कर पंडिताईएन से भिड़ गयी तब 43 साल की पंडिताइन 18 साल की मांसल और मोटी ताजी सावित्री के पिटाई से मैदान छोड़ कर भागने लगी. लेकिन सावित्री को ज्योन्ी अपनी ताक़त का अहसास हुआ की वह एक शेरनी की तरह पंडिताइन पर टूट पड़ी. पंडित जी सावित्री को पंडिताइन पर भारी पड़ते देख अंदर ही अंदर काफ़ी खुश हो गये और खुद दुकान वाले हिस्से मे आकर पर्दे के आड़ से पंडिताइन को पीटते देखने लगे. सावित्री ने देखा की पंडित जी अब पर्दे की आड़ से पंडिताइन को पीटता देख रहे हैं तब समझ गयी की उनको ये देखना पसंद है और पंडिताइन पर पिटाई और तेज कर दी. कभी बॉल नोचती तो कभी पंडिताइन की कमर और चूतदों पर लात से मारती. और सावित्री उच्छल उछल कर पंडिताइन को मारती तब उसकी दोनो चुचियाँ और काले काले चूतड़ खूब हिलते जो पंडित जी पर्दे के आड़ से देख कर मस्त हो जाते. जवान और मांसल सावित्री से पंडिताइन का पिटना पंडित जी को पसंद था. वह चाहते थे कि इसकी पिटाई से पंडिताइन का बढ़ा हुआ हिम्मत पस्त हो जाए. वैसे वह खुद पंडिताइन से सीधे झगड़ा करना नही चाहते थे इसी कारण वह सावित्री को मना नही कर रहे थे. सावित्री की आँखें लाल हो चुकी थी पंडिताइन को लगा कि सावित्री अब जान ले लेगी तब गिड़गिडाना सुरू कर दी "आरे तुम मेरी बेटी की तरह हो ....अरे मत मारो...मैं मार जाउन्गि ...इसमे तो पंडित जी का ही कसूर है...मुझे जाने दो...मैं अब यहाँ से जा रही हूँ ....मुझे जाने दो.."
सावित्री का भी गुस्सा अब काफ़ी तेज हो गया था और गलिया दे डाली "अब तू बेटी कह रही हो बुर चोदि ...हरजाई ...मैं अब डरने वाली नही"
फिर पंडिताइन का बॉल पकड़ कर खड़ा कर दी और दुकान के तरफ धकेलते हुए सावित्री बोली "भाग जा यहाँ से रंडी ..नहीं तो मैं जान ले लूँगी" पंडिताइन ज्योन्हि दुकान वाले हिस्से मे जाने लगी कि सावित्री ने एक लात पंडिताइन के कमर पे मारी और पंडिताइन दुकान मे ही पंडित जी के सामने गिर पड़ी लेकिन पंडित जी कुच्छ सोचते की उसके पहले ही पंडिताइन अपने ही उठ खड़ी हुई और तेज़ी से दुकान का दरवाज़ा खोली और सीधे अपने घर की ओर भाग खड़ी हुई.
पंडित जी ने देखा की पंडिताइन का हिम्मत अब जबाव दे गया था और वह आँखों से ओझल हो चुकी थी. उन्होने दुकान का दरवाज़ा बंद किया और अंदर वाले हिस्से मे आए तो देखा की सावित्री लगभग हाँफ रही थी और अपने कपड़े पहनने जा रही थी. पंडित जी ने सावित्री का हाथ पकड़ते हुए कहा "अरे तुम तो बहुत बहादुर निकली...किस चक्की का आटा खाती है ....मैं जिस औरत से पूरी जिंदगी डरता रहा उसे तुमने सेकोंडों मे धूल चटा कर भगा दिया....साली मधेर्चोद को...बहुत अच्छा किया तुमने...बहुत क़ानून बोलती है...सारा क़ानून उसकी गांद मे चला गया" सावित्री ने कुच्छ सोचकर बोली "वो भी तो मुझे कितना मार मारी आप तो बस देख रहे थे उसे मना नही किया?" सावित्री के इस बात को सुनकर पंडित जी बोले "अरे अपनी पत्नी से बड़े बड़े लोग डरते हैं...मैं क्या चीज़ हूँ..लेकिन तुमने जो कुच्छ किया मैं बहुत खुश हूँ...." और पंडित जी आगे बढ़ कर सावित्री के नंगे बदन से लिपट गये. फिर बोले "पंडिताइन ने तुम्हे थप्पड़ और लात से पिटा तो मैं क्यों पीच्चे रहूं मैं भी तो तुम्हे पिटूँगा...." इतना सुन कर सावित्री सन्न रह गयी. लेकिन पंडित जी ने आगे बोला "अरे मैं तुम्हारी पिटाई आज इस मोटे लंड से करूँगा "
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