RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
ज़िनी रघु की उंगली चूत मे घुसते ही आनंद से कू कू करने लगी और
पीछे हट कर और ज़्यादा उंगली अंदर लेने की कोशिश करने लगी. रघु बोला.
"ठहर मेरी रानी, आज तुझे इस मस्त कमसिन लड़के से चुदवाता हू. तेरी ही
उमर का है" फिर मूड कर मुझे बोला. "मुन्ना, यह भी दो साल की है, तेरे जैसी
कमसिन है. अब इसके पीछे बैठ जा और चढ़ जा."
मैं घुटने टेक कर ज़िनी के पीछे बैठ गया. मेरा सारा बदन थर थरा रहा
था. रघु ने ज़िनी की पुंछ बाजू मे की और मेरा लंड ज़िनी की चूत पर रखा.
मुझे चूम कर बोला. "घुसेड दे राजा इस कुतिया की चूत मे अपना लंड और कर
मज़ा."
मा जो अब तक चुप चाप तमाशा देख रही थी, शेरू से चुदवाते
चुदवाते बोली. "हाँ मेरे लाल, तू भी शामिल हो जा हमारे साथ इन
जानवरों के संभोग मे. बड़ा मज़ा आता है रे. तू छोटा है इसलिए तुझे
नही बताया था पर आख़िर तू अपनी चुदैल मा का लड़का निकाला. चढ़ जा उस
कुतिया पर, बड़ी प्यारी मीठी चूत है उसकी"
मेरे धक्का देने के पहले ही कीकियाती ज़िनी ने अचानक पीछे की ओर धक्का
लगाकर अपनी बुर मे मेरा लंड ले लिया. लगता है वह कुतिया काफ़ी गरमाई
हुई थी. एक बार मे मेरा लंड उसकी चूत मे जड़ तक समा गया.
मैं चिल्ला उठा. "रघु, कितनी मुलायम है मखमल जैसी! और इतनी गरम
है जैसे बुखार आया हो!"
"अरे कुत्तों का शरीर अंदर से ऐसा ही गरम होता है. इसलिए तो मैं मरता हू
इनपर. तू चिंता ना कर, शुरू हो जा." रघु के कहने पर मैने झुक कर ज़िनी का
मुलायम शरीर बाहों मे लिया और एक कुत्ते जैसा उसे चोदने लगा. वह
शांत खड़ी होकर चुदवाने लगी.
उसे मज़ा आ रहा था यह सॉफ था क्योंकि वह बार बार मूड कर मेरी ओर प्यार
से देखती और हल्के हल्के भोंक देती कि मेरे राजा, और ज़ोर से चोदो. मैं अब
पागल हो रहा था. कस के ज़िनी की चूत मे लंड पेलने लगा. चूत एकदम गीली
थी. थोड़ी ढीली भी थी. पर ज़िनी बीच बीच मे अपनी चूत भींच कर मेरे
लंड को पकड़ लेती तो मज़ा आ जाता.
मैने हचक हचक कर कुतिया को चोदते हुए रघु को कहा. "रघु दादा
बहुत मज़ा आ रहा है. पर इसकी चूत इतनी मुलायम और ढीली क्यों है? है तो
कमसिन कुतिया ना?"
रघु अब तक जाकर शेरू के पीछे बैठ गया था. उसके हाथ मे क्रीम की
बोतल थी. उंगली पर क्रीम लेकर उसने शेरू की पुंछ उठाई और कुत्ते की
गान्ड मे चुपाड़ता हुआ बोला. "अरे मैने बहुत बार चोदा है बेचारी को
इसलिए ढीली हो गयी है. आख़िर मेरा लंड लेगी तो और क्या होगा! पर तू देखता
जा, जब झडेगि तो देख क्या करती है"
मैं अब पूरे ज़ोर से ज़िनी को चोद रहा था. वह इतनी खुश थी की सिर घुमा
घुमाकर मेरा मूह चाट रही थी. पहले मैं अपना सिर हटाकर बचाता
रहा. पर अचानक मा बोली. "अरे चुम्मा दे दे बेचारी को, बड़ा मीठा
चुम्मा है उसका, स्वाद तो देख! अब तो तेरी दुल्हन है, दुल्हन का मूह नही
चूमेगा क्या?" मा का शरीर अब ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था क्योंकि टॉमी अब उसे
ऐसा चोद रहा था जैसे मार ही डालेगा.
मैने अपना मूह आगे बढ़ाया और ज़िनी मेरे होंठ चाटने लगी. उसकी
खुशबू बड़ी प्यारी थी. मैने आख़िर उसकी जीभ चूमि तो मज़ा आ गया. गीली
रसीली उस जीभ का मज़ा ही अलग था. साहस करके मैने अपना मूह खोला तो
ज़िनी ने बड़े सधे तरीके से मेरे मूह मे जीभ डाल दी और अंदर से मेरा मूह
चाटने लगी. उसकी चूत मे मेरे धक्के अब और तेज हो गये.
"ये हुई ना बात. अब मैं भी शुरू हो जाता हू, मुझसे नही रहा जाता. शेरू
राजा, आ जा मेरे पास. अम्मा इसकी गान्ड धोइ ना था?" कहकर रघु ने अपने
लंड पर क्रीम चुपड़ी और हाथ मे लेकर घुटने टेक कर शेरू के पीछे
बैठ गया.
मंजू हंस कर बोली. "हाँ बेटे, दोनों की खूब धोइ थी. अंदर पाइप डाल कर.
सॉफ है, तू चाहे तो जीभ भी डाल सकता है, लंड की क्या बात है."
शेरू जो उछल उछल कर मंजू को चोद रहा था, स्थिर हो गया और उत्तेजना से
कू कू करने लगा.
रघु हँसने लगा. "देखो कितनी जल्दी है साले को मेरा लंड लेने की. बड़ा
हरामी कुत्ता है. और ये टॉमी भी कम नही है. शेरू मेरे यार, ले मेरा
लंड, मज़ा कर दोनों ओर से" और उसने एक हाथ से शेरू की कमर पकड़कर
दूसरे हाथ से लंड को थामकर अपना सूजा हुआ सुपाड़ा कुत्ते के गहरे
भूरे रंग के गुदा पर रख कर पेल दिया. वह पक्क से अंदर समा गया. शेरू
एक बार कीकियाया जैसे उसे दुखा हो फिर चुप हो गया और जीभ निकालकर
हाँफने लगा.
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