RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मंजू दबे स्वर मे सिसकारिया भरते हुए 'अम' 'आम' 'आम' ऐसा कर रही थी.
कारण ये था कि उसका मूह भी टॉमी के लंड से भरा था. टॉमी सामने से
उसपर चढ़ा था और सामने के पंजे उसकी छाती के इर्द गिर्द लपेट कर दो
पैरों पर खड़ा सामने से मंजू बाई का मूह चोद रहा था. उसका लाल लंड
मंजू के मूह मे था. कभी लंड अंदर बाहर होता और कभी मंजू कस कर
उसे मूह मे पकड़कर चूसने लगती जिससे टॉमी मस्ती मे आकर भोंकने
लगता.
मंजू का शरीर कुत्तों के धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था. उसकी
पथराई आँखों से सॉफ दिख रहा था कि वह काम वासना की चरम
उँचाई पर थी.
मेरा ध्यान अब मा की ओर गया और मेरा लंड फटाफट खड़ा होने लगा. मेरी
चुदैल मा मादर जात नंगी एक कुर्सी मे टांगे पसार कर बैठी थी. ज़िनी
कुतिया उसके सामने बैठ कर उसकी बुर उपर से नीचे तक अपनी लंबी जीभ
से चाट रही थी. बीच मे मा अपनी चूत उंगलियों से पकड़कर फैला देती
और ज़िनी अपनी जीभ उसके अंदर डाल कर उसे लंड जैसा इस्तेमाल करके
चोदने लगती. मा भी सिसक रही थी और बार बार ज़िनी के कान पकड़कर
उसका तूथनी अपनी बुर पर दबा लेती.
रघु को भी मज़ा आ रहा था. मेरा लंड सहलाते हुए मेरे कान मे बोला.
"देखा क्या मज़ा ले रही हैं दोनों चुदैले? तेरी मा अभी तो कुतिया से बुर
चटवा रही है पर अब वह चुदाने को मर रही होगी. देखना, अभी
चुदवा लेगी"
और दो मिनिट बाद ही मा से ना रहा गया. ज़िनी को बाजू मे करके वह उठ
बैठी और जाकर मंजू के पास बैठ गयी. "ओ हरामन, दो दो के साथ मज़ा
कर रही है तब से. चल अब एक कुत्ता मुझे दे. झाड़ गया तो मुझे घंटा भर
रुकना पड़ेगा."
मंजू चूत या मूह का लंड छोड़ने को तैयार नही थी. मा ने आख़िर शेरू को
पकड़कर खींचना शुरू किया तब मंजू टॉमी का लंड मूह मे से
निकालकर बोली. "शेरू को चोदने दो मालकिन, बहुत मस्त चोद रहा है, आप
टॉमी को ले लो. वैसे इसका रस पीने को मेरा मन कर रहा है पर बाद मे पी
लूँगी आपकी बुर से. आप टॉमी से चुद लो." और उसने टॉमी को अपने
सामने से धकेल कर उतार दिया.
टॉमी को मज़ा आ रहा था इसलिए वह गुर्राने लगा. पर मा ने उसे जब अपनी
ओर खींचा तो वह खुश होकर मंजू पर से उतर कर मा का मूह चाटता हुआ
उसपर चढ़ने की कोशिश करने लगा. मा ने हँसते हँसते उसे अपने
पीछे लिया और ज़मीन पर झुक कर बोली. "अरे मूरख, आ ठीक से पीछे से और
चोद मुझे. इस चुदैल का मूह तो तूने चोदा, अब मेरी गरमा गरम बुर देती
हूँ तुझे. याद रखेगा तू भी!"
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