RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
"बस बस आ गया राजा हमारा मुकाम, ज़रा सब्र कर." रघु बड़े दुलार से मोती को बोला. मुझे लगने लगा कि कुछ गड़बड़ ज़रूर है. अचानक मेरी नज़र मोटी के लंड पर पड़ी. वैसे उस घोड़े का लंड मैने बहुत बार देखा था. सात आठ इंच लंबा भूरा मोटा लंड हमेशा लटका रहता और ख़ास ध्यान देने जैसी कोई बात उसमें मैने नहीं देखी थी. पर अब उसे देखकर मेरी साँस ज़ोर से चलने लगी. मोती का लंड खड़ा होने लगा था. उस भूरे लंड मे से लाल रंग का एक सुपाड़ा और डंडा अब धीरे धीरे बाहर आ रहा था. मोटी मस्ती से अब रघु से चिपटने की कोशिश कर रहा था.
"रुक जा मेरी जान, लगता है तू समझ गया कि तेरा ये दीवाना तुझे मुहब्बत करने को यहाँ लाया है. अभी तुझे खुश करता हूँ पर ज़रा रुक तो, ऐसे मत मचल!" रघु ने हाथ बढ़ाकर मोती के लंड को सहलाते हुए कहा. अब वे दोनों झाड़ों के बीच झाड़ियों से घिरी एक सॉफ सपाट जगह पर पहुँच गये थे. वहाँ रघु रुक गया. मैं झाड़ी के पीछे बैठकर तामांशा देखने लगा.
मोती अब खड़ा खड़ा हिनहिनाते हुए अपने अगले खुर ज़मीन पर रगड़ रहा था. उसका लंड अब और बाहर निकल आया था. रघु जाकर उसके पेट के नीचे पालती मांर कर बैठ गया और दोनों हाथों मे उसका वह लाल लाल डंडा लेकर उसकी मांलीश करने लगा जैसे लाठी मे तेल लगा रहा हो. मोती अब उत्तेजना से थरथरा रहा था. रघु ने कहा "हाय मेरे यार. कुर्बान जाऊं तेरे इस लंड पर. क्या लौडा है रे तेरा, मेरे लिए तो स्वर्ग का टुकड़ा है." और मुन्ह लगाकर उस मतवाले लंड के डंडे कोचूमने लगा.
मेरा भी खड़ा हो गया था. उस खूबसूरत जानवर का वह महाकाय लंड बहुत ही सुंदर और लज़ीज़ दिख रहा था. करीब करीब एक फुट लंबा और आधाई तीन इंच मोटा वह लौडा किसी छोटी लौकी जैसा मोटा था. सुपाड़ा लंड के सामने छोटा लग रहा था पर था वह रघु के सुपाडे से भी काफ़ी बड़ा, करीब करीब एक छोटे सेव या अमरूद जितना होगा. रघु जिस तरह से मोती के लंड को रगड़ता हुआ बार बार चूम रहा था, मैं समझ गया अब जल्द ही वह आगे का काम करेगा. चूमने के साथ रघु जीभ निकालकर घोड़े के पूरे लंड को बीच बीच मे चाटने लगता.
रघु भी अब बेहद उत्तेजित था. बार बार ना रहकर वह एक हाथ हटाकर अपने लंड को मुठियाने लगता. मुझे लगा कि वह अब मोती की मूठ मांर देगा पर उसकी मन मे धधकती वासना का असली रूप अब मुझे समझ आया जब रघु बोला. "मोती राजा, चल अब अपना माल खिला दे, तेरे लंड के गाढ़े मलाईदार माल का तो मैं दीवाना हूँ राजा. पेट भर दे मेरा यार" कहकर उसने अपना मुन्ह पूरा खोला और हौले से मोटी के लंड का सुपाड़ा मुन्ह मे भर लिया. रघु के मुन्ह के अंदर सुपाड़ा
जाते ही मोती एकदम स्थिर हो गया, बस उसका बदन भर काँप रहा था.
वह सेव जैसा सुपाड़ा जिस आसानी से रघु ने मुन्ह मे ले लिया उससे यह पता चलता था कि वह पहली बार ये नहीं कर रहा है. अब आँखें बंद करके रघु मन लगाकर घोड़े का लंड चूस रहा था और अपने दोनों हाथों मे मोटी का लंड पकड़कर ज़ोर से उसे साडाका लगा रहा था. आगे पीछे करने से मोती का सुपाड़ा फूलता और सिकुड़ता और रघु के गाल भी उसके साथ फूलते और सिकुड़ते. अब रघु ने लंड को और निगलना शुरू किया. उसका गला फूल गया और लंड का लाल डंडा आधा धीरे धीरे रघु के मुन्ह मे समां गया. मैं अचंभे से ताकता रह गया. करीब करीब आठ नौ इंच लंड रघु ने निगल
लिया था. वैसे यह कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि मैं भी रघु का आठ इंची लौडा पूरा निगलना सीख गया था. पर उस घोड़े का इतना मोटा लंड निगलना कोई आसान बात नहीं थी.
रघु अब मन लगाकर घोड़े का लंड चूस रहा था. बार बार लंड मुन्ह से निकालता और फिर निगल लेता, बिलकुल जैसे ब्लू फिल्म मे की रंडियाँ करती हैं. साथ ही मुन्ह के बाहर निकले लंड को वह लगातार हथेलियों मे लेकर रगड़ रहा था.
मोटी ने अचानक गर्दन हिलाकर अपनी नथुनो से एक फूंकार छोड़ी और उसका सारा बदन थरथराने लगा. उसका लंड भी अब फूल और सिकुड रहा था. मोटी शायद झाड़ गया था. रघु के गले की हलचल से लग रहा था कि वह अब फटाफट मोती का वीर्य निगल रहा था. घोड़े कितनी देर झाड़ते हैं यह मुझे आज पता चला. रघु बहुत देर मोती का वीर्य निगलता रहा. मेरी बड़ी इच्छा थी कि देखूं की मोती का वीर्य कैसा है पर रघु ने अब घोड़े के सुपाडे के साथ उसका आधा लंड फिर निगल लिया था और इस सफाई से उसका वीर्य चूस रहा था कि एक बूँद भी बाहर नहीं पड़ रही थी.
आख़िर अंत मे रघु का मुन्ह भी थक गया होगा. मोती का लंड अब शांत हो गया था. रघु ने लंड मुन्ह से निकाला और ज़ोर ज़ोर से साँस लेते हुए सुस्ताने लगा. मोटी का लंड अब तेज़ी से सिकुड रहा था. उसके लाल लाल
सुपाडे के छोर से अब एक हल्के पीले रंग के गाढ़े वीर्य का कतरा लटक रहा था. मोती का वीर्य कितना गाढ़ा होगा इसका अंदाज़ा मुझे इससे लग गया कि वो क़तरा वैसा ही लटकता रहा, टूट कर गिरा नहीं. रघु की साँस अब तक शांत हो गयी थी, उसने बड़े प्यार से जीभ निकालकर उस कतरे को चाट लिया.
"कुर्बान हो गया तेरे माल पर मेरे राजा, पेट भर दिया तूने अपने अमृत से मेरा. अब ज़रा मुझे भी मज़ा कर लेने दे मेरे यार" कहकर रघु अपने लंड को पकड़कर खड़ा हो गया. उसका लंड अब सूज कर लाल लाल हो गया था. मेरी गान्ड उसने अभी अभी मारी थी. फिर भी उसका लंड जिस तरह से खड़ा था उससे सॉफ जाहिर था कि रघु कितना कामोत्तेजित था.
मैं भी मस्ती मे था. जानवर के साथ संभोग कितना मादक हो सकता है इसका अहसास मुझे हो रहा था. बहुत मन कर रहा था कि भाग कर जाऊं और रघु का लौडा चूस लूँ या उससे गान्ड मारा लूँ. पर डर के मारे चुप रहा कि रघु को पता चल गया कि मैं घोड़े के साथ उसके संभोग को देख रहा हूँ तो ना जाने क्या कहे.
रघु जाकर एक बड़े पत्थर पर खड़ा हो गया. "आ जा मेरी जान, मेरे पास आ जा." उसके कहते ही मोती जो अब शांत हो गया था, एक बार हिनहिनाया जैसे रघु की बात समझ गया हो और पीछे खिसककर अपनी रान रघु के सटा कर खड़ा हो गया. लगता था वह बिलकुल जानता था कि रघु क्या करने वाला है और उसकी सहायता कर रहा था.
ऊँचाई पर खड़े होने के कारण रघु का लंड घोड़े की गान्ड के ही लेवल पर आ गया था.
|