RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैं मा की टाँगों के बीच पालती मार कर बैठ गया और उसकी टाँगें पकडकर अपना चेहरा उपर करके मा की बुर को मुँह मे ले लिया मेरे सिर को कसकर अपनी बुर पर दबा कर मा मूतने लगी अब वह ज़ोर से मूत रही थी और उसकी धार सीधे मेरे गले के नीचे उतर रही थी मैं भी गटागट पी रहा था मा अब इतना उत्तेजित हो गयी थी कि मूतना खतम होने पर भी मुझे नहीं छोड़ा और खड़े खड़े ही उपर नीचे होकर उसने मेरे मुँह पर मुठ्ठ मार ली
हम बाथरूम के बाहर निकले तो मंजू सामने थी झाडू लगा रहा थी साली हमे देखते ही समझ गयी खिलखिलाकर हँसते हुए बोली "चलो, आख़िर बेटे को भी अपना प्रसाद पिला दिया मालकिन मेरा भी ख़याल रखना, नहीं तो मुझे प्यासा रखोगी आप"
मा बोली "तू चुप रह, बहुत शरबत है मेरे पास सारे खानदान को पिला सकती हूँ तुझे भी पिलाऊन्गि पर अब मुन्ना का हक पहले है हैं ना मेरे राजा?" कहकर लाड से उसने मुझे चूम लिया फिर मेरे लंड को पकडकर मुझे वापस अपने कमरे मे ले गयी बोली "इतना मस्त खड़ा हो गया मुन्ना तेरा फिर से? लगता है मेरे मूत का असर है ऐसी बात है तो अब तुझसे चाहे जितना चुदा सकती हूँ मैं जब तू लस्त पड़ेगा तो अपना यह गरमागरम शरबत पिलाऊन्गि और मस्त कर दूँगी तुझे चल अब मैं फिर चुदा लूँ एक बार अपने राजा बेटा से!"
मैं तो मा के मूत का दीवाना हो गया मा ने वायदे के अनुसार मुझे रोज पिलाना शुरू कर दिया जब भी मूड मे होती और मैं घर मे होता तो मुझे पास बुलाकर बाथरूम मे ले जाती कुछ दिन बाद तो मैं इस सफाई से पीने लगा कि बाथरूम जाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती थी कहीं भी मा की बुर से मुँह लगा लेता और वेहा उसमे मूत देती मंजू को चिढाने को वह जानबूझकर उसके सामने मेरे मुँह मे मूतती
अब जब सामूहिक चुदाई होती तो हमसब एक साथ बाथरूम जाते बहुत मज़ा आता था मा मंजू के मुँह पर मूतने बैठ जाती थी और रघू मेरा लंड मुँह मे लेकर मेरा मूत पी लेता था
बाद मे अक्सर हम अदल बदल कर लेते थे मा रघू के मुँह मे मूतती और मैं मंजू के मुँह मे पहले मुझे बहुत अटपटा लगा मंजू बाई नौकरानी भले ही हो, पर औरत थी और वह भी मस्त चुदैल औरत जिसने मुझे बहुत सुख दिया था उसके मुँह मे मूतना मुझे ठीक नहीं लग रहा था पर उसीने मुझे समझाया "शरमा मत मुन्ना, तू इतना प्यारा है, एकदमा गुड्डे जैसा तेरा मूत तो मेरे लिए तेरी मा के मूत जैसा ही मजेदार है मूत ना राजा, पिला दे इस नौकरानी को उसके हक का शरबत!"
आख़िर मा ने भी समझाया और मैने मंजू के मुँह मे मूता मंजू ने भी बड़े चाव से उसे निगला मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि मंजू जिस प्यार और दुलार से मेरा मूत पीती थी उससे मैं समझ गया था कि मेरे और मा के प्रति उसकी वासना कितनी गहरी थी अब कई बार वह मेरा मूत चुपचाप पी लेती बहुत बार तो जब मुझे नींद से जगाने आती, तो मेरा लंड चूस कर मेरा मूत पी कर ही मुझे जगाती और फिर उठने देती
बाद मे एक बार जब मा बाहर गयी थी और मैं और मन्जुबाई घर मे अकेले थे, मैने उसका मूत पीने की बहुत ज़िद की मन्जुबाई के कसे साँवले शरीर और उसकी बुर के रस का तो मैं दीवाना था ही, सोचा जहाँ से इतना मस्त शहद निकलता है वहाँ का शरबत भी मादक होगा ही इसलिए उसका मूत पी कर देखने की मुझे बहुत इच्छा थी
वह पहले तैयार नहीं हो रही थी, कह रही थी कि ये तो पाप होगा पर इस कल्पना से कि वह अपनी मालकिन के बेटे, अपने छोटे मालिक को अपना मूत पिलाए, वह कितनी उत्तेजित थी यहा मुझे तब पता चला जब आख़िर मेरे खूब गिडगिडाने और मिन्नत करने पर कि मा को नहीं बताऊन्गा, वह आख़िर मेरे मुँह मे मूतने को तैयार हो गयी साली की बुर इतनी चू रही थी कि जांघों पर रस बह कर टपक रहा था पहले तो मुझे लगा कि उसने शायद पिशाब कर दी हो पर फिर पता चला कि वह उसकी चूत का पानी था
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