RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैने मा से मिन्नतें की तो वह आख़िर तैयार हो गयी घुटनों और कोहानियों के बल पलंग पर झुक कर बोली "ठीक है आ जा मैदान मे, देखें कितना दम है मेरे इस नाज़ुक बच्चे मे"
मैने उस दिन अपना पूरा ज़ोर लगा दिया इस कुत्ते कुतिया वाले आसन मे मैने एक सधी लय से अपनी मा को इतना चोदा कि वह झड झड कर बिलकुल तृप्त हो गयी बीच मे जब वह आराम करने को लेट गयी तो चूत मे से लंड निकालकर मैं उसकी बुर चूसने लगा बाद मे फिर मा पर आगे से चढकर उसे कस कर चोदने लगा वह नहीं नहीं कहती रह गयी पर मैने उसकी एक ना सुनी
अंत मे जब वह चुद चुद कर अधमरी सी हो गयी तो मैने मा की गान्ड मार ली वह चुपचाप पडी रही और शांति से गान्ड मरवा ली आज मेरे लंड ने मेरा खूब साथ दिया और कस कर खड़ा रहा मेरे झडने के बाद मुझे बाहों मे भरकर अपनी चूची मुँह मे देते हुए मा बोली "आज तो कमाल कर दिया मेरे लाल मा की क्या सेवा की है तूने ले दूध पी ले, थक गया होगा अभी दो घंटे पहले तुझे पिलाया था पर तूने इतना मस्त चोदा है मुझे कि फिर स्तन भर आए हैं मेरे तू सच मे बड़ा मंझा चुदक्कड हो गया है रे!"
मा के स्तन खाली करके मैने मा के सीने मे चेहरा छुपा कर से पूछा "मा, इनाम नहीं दोगी?"
मा मेरी पीठ सहलाती हुई बोली "अब गान्ड तो मार ली तूने! और क्या दूं बोल?"
मैं थोड़ा शरमा कर बोला "मुझे अपना मूत पिलाओ ना मा! मंजू बाई को तुम पिलाती हो, कभी कभी रघू को भी पिलाती हो मैं भी पीऊंगा"
मा मेरी ओर देखती रही "तुझे रघू ने बताया शायद बदमाश कहीं का! मैं उसी दिन रात को समझ गयी थी उसने तेरा मूत पिया?"
मैने मा को सब बता दिया वह मुस्कराती रही "अरे बड़े चुदैल हैं दोनों मा बेटे! मैने बहुत दिन पहले जब तू छोटा था, एक दिन चिढ कर मंजू को नौकरी से निकाल दिया था मेरी चूत पर इतनी फिदा थी वह कि बार बार मेरी बुर चूसते समय काट खाती थी एक बार तो मेरे पपोटे से खून निकल आया था मैने जब गुस्से मे आकर निकाल दिया तो रोने लगी तब मैने जान बुझ कर उसे सज़ा देने को कहा कि मेरा मूत पिए तो नौकरी पर रख लूँगी पर सज़ा की बजाय ये उसके लिए इनाम हो गया ऐसे मस्त होकर उसने मेरा मूत पिया कि मुझे भी मज़ा आने लगा उसे मूत पिलाने मे"
थोड़ा रुक कर मा आगे बोली "बहुत अच्छा लगता है मुझे उसके मुँह मे मूतकर लगता है उसपर एहसान कर रही हूँ ऐसे पीती है जैसे शरबत हो वो रघू भी दीवाना है पर मंजू मेरे मूत पर अपना अधिकार समझती है, रघू को बस कभी कभी पीने देती है अपने बेटे को अपना मूत पिलाती है और उसे कहती है कि वाहा अपने मालिक का याने तेरा मूत पिए इसलिए जब से वह तुझे चोदने लगा, मैं समझ गयी थी कि अब वो दिन दूर नहीं जब रघू तेरा मूत पीने लगेगा पर बेटे, उनका ठीक है, वे अपना नौकरों का कर्तव्य कर रहे हैं तू क्यों मेरा मूत पीने की ज़िद कर रहा है?"
मैने सिहर कर कहा "मा, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो मैं तुम्हारे शरीर का हर रस चखना चाहता हूँ तुम्हारी गोरी गोरी मोटी मोटी बुर इतनी रसीली लगती है कि मैं पेट भर कर उसमे से शरबत पीना चाहता हूँ पिलाओ ना मा, मेरी कसम, तुम जो कहोगी मैं करूँगा"
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