RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
अब रघू मेरा मुँह भी चोदता खड़ा लंड धीरे धीरे कैसे निगलना यह तो उसने सिखा दिया था अगली बार जब हम दोनों अकेले थे तो उसने दूसरा तरीका भी मुझे सिखा दिया मेरी गान्ड मारने के बाद उसने अपना झडा लंड मेरे मुँह मे दे दिया और बिस्तर पर मेरे बाजू मे लेट गया अपनी जांघों मे मेरा सिर उसने जकड लिया और प्यार से मुझसे अपना झडा लौडा चुसवाता रहा
पहले उसका झडा लंड बड़े आराम से पूरा मेरे मुँह मे आ रहा था नरम नरम गाजर जैसे उस लौडे को जीभ पर लेकर मैं चूसता रहा फिर धीरे धीरे वह खड़ा होने लगा यह भी बड़ी सुखद अनुभूति थी रघू का लंड कड़ा होते हुए आगे सरककर मेरे मुँह मे और गहरा घुसता जा रहा था
जल्द ही वह मेरे गले मे पहुँच गया रघू के सिखाए अनुसार मैने गला ढीला छोड़ रखा था इसलिए मुझे ज़रा भी तकलीफ़ नहीं हुई, आराम से उसका दस इंची मैने गले मे ले लिया
रघू बहुत खुश हुआ "क्या बात है मुन्ना, अब बना है तू मेरा पूरा गान्डू चुदैल गुड्डा पर अब तेरा मुँह चोदून्गा तू चूसता रह" कहकर मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे उपर लेटकर वह मेरा मुँह चोदने लगा
उसने मन भर कर मेरा मुँह चोदा जैसे चूत चोद रहा हो अंत मे तो वह कसकर धक्के लगाता हुआ मेरे गले मे अपना लंड चला रहा था मेरा दम घुट रहा था, उसके पेट ने मेरे चेहरे को पूरा ढक लिया था पर मैं उसके चूतडो को बाँहों मे भर कर उसकी गान्ड मे उंगली करता हुआ मुँह चुदवाता रहा रघू झडा तो उसका वीर्य सीधे मेरे पेट मे गया जबकि मैं उसका स्वाद चखना चाहता था मैने बाद मे उससे शिकायत की तो वह मेरा चुम्मा लेकर बोला कि अगली बार से झडते समय वह लंड आधा बाहर खींच लेगा
उसके बाद उसका यह खेल बन गया घंटों वह मेरे मुँह मे लंड डाले पड़ा रहता और हौले हौले मेरा मुँह चोदता बहुत बार सामूहिक चुदाई मे भी वह यह करता क्योंकि उसका हलब्बी लंड मेरे ज़रा से मुँह मे घुसा देखकर मा और मंजू को भी मज़ा आता था
आख़िर एक दिन मुझे मा की बुर के शरबत का प्रसाद मिल ही गया असल मे मेरे ज़िद करने पर एक बार मंजू ने चुपचाप मुझे भी बाथरूम मे ले जाकर दिखाया कि कैसे वह रघू के मुँह मे मूतती है ज़मीन पर लेट कर अपनी मा को अपने सिर पर बिठाकर उसका मूत पीते हुए रघू को देखकर मैं तैश मे आ गया रघू का खड़ा लंड, उसके मुँह मे मूतती हुई उसकी मा, मंजू की बुर से निकलती हुई खल खल करके उसके बेटे के मुँह मे गिरती मूत की रुपहली धार और उसके चेहरे पर की असीम सुख और वासना की छाया मुझे पागल कर गयी मैं भी मंजू से प्रार्थना करने लगा कि मंजू बाई, मुझे भी अपना मूत पिला दो
वह कानों को हाथ लगाकर बोली "राम राम मुन्ना, यह क्या कहा रहे हो? मैं तुम्हारी नौकरानी हूँ बेटे, जाओ मालकिन से कहो, वह तेरी मा है, ज़रूर तुझे पिला देगी, घबरा मत!"
आख़िर उस दिन दोपहर को मैने अपना प्रसाद पा ही लिया मा आज मुझे दूध पिलाने के बाद मुझसे बुर चुसवाने के बाद अपनी बुर मे उंगली करते हुए बोली "हाय बेटे, आज कुतिया जैसे पीछे से चुदने का बहुत मन कर रहा है रघू बहुत अच्छा चोदता है रे, पर वो तो खेत पर गया होगा जा, एक ककडी या बैंगन ले आ और मेरी मुठ्ठ मार दे"
मैने कहा "मा, मैं चोद देता हूँ ना, मुझे भी पीछे से चोदना आता है, मंजू बाई ने सिखाया था रघू की भी बहुत बार ऐसे आसन मे गान्ड मारी है"
मा अब ज़ोर से हस्तमैथुन कर रही थी बोली "तू बहुत अच्छा चोदता है बेटे पर झड जाता है आज तो घंटे भर चुदाने का मन हो रहा है ऐसा लगता है कि कोई पटक पटक कर चोदे मुझे हर आसन मे तू नहीं चोद पाएगा मेरे लाल!"
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