RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
सुनकर मैं लंड पकडकर मुठिया रहा था गरम होकर बोला "रघू, मैं भी मा का मूत पिऊँ?"
"पी लेना बेटे पर अकेले मे आज नहीं मालकिन को खूब खुश करके फिर पूछना, वे मान जाएँगी वैसे किस मा को अपने बेटे को अपना मूत पिलाने मे मज़ा नहीं आएगा! मेरी मा तों इस ताक मे ही रहती है कि कब मैं उसे अकेला मिलूं और कब वह मेरे मुँह मे मूत दे! अब चुप हो जा दोनों आ रही हैं"
मा और मंजू वापस आए, मंजू मुँह पोछ रही थी और खुश लग रही थी मा भी बड़ी तृप्त लग रही थी और मंजू की कमर मे हाथ डालकर उसे अपने पास खींचकर प्यार से चूम रही थी मेरे और रघू के चेहरे के भाव देखकर दोनों हमारी ओर देखने लगीं मंजू ने आँख मार कर कहा "रघू बहुत खुश लग रहा है, क्या बात है?"
रघू चुप रहा और हँसता रहा मा भी समझ गयी होगी पर कुछ नहीं बोली
रघू जाकर कुछ बड़े मद्रासी केले ले आया मंजू को बोला "अम्मा, अब तुम ज़रा अपनी मालकिन की सेवा कर लो, मैं मुन्ना को लंड चूसना सीखा दूं" मैं खुशी से उछल पड़ा और रघू से लिपट गया वह हँसते हुए बड़े प्यार से मुझे गोद मे लेकर बैठ गया उधर मंजू मा को लेकर पलंग पर लेट गयी पहले तो उन्होंने खूब चूमाचाटी की, फिर वी दोनों सीधे सिक्सटी नाइन करने मे जुट गयीं उनका ध्यान हमारी भी ओर था, वे बड़े गौर से देख रही थीं कि रघू कैसे मुझे लंड चूसना सिखाता है
रघू ने केला छीलते हुए बोला "बेटे, इसमे कोई बड़ी बात नहीं है, अपने गले को ढीला करना सीख लो बस अब देख, ये दस इंची मद्रासी केला है, इसे निगलने की प्रैक्टिस कर ले, बिना दाँत लगाए, फिर मेरा क्या, घोड़े का भी लंड निगल लेगा तू तेरी अम्मा को भी मेरी अम्मा ने ऐसे ही सिखाया था याद है ना अम्मा?"
मा की चूत मे से सिर उठाते हुए मंजू बोली "हाँ बेटे, ये रंडी तो आधे घंटे मे सीख गयी थी, मुन्ना भी उसीका चुदैल बेटा है, वो भी फटाफट सीख जाएगा देखना"
"चल मुन्ना मुँह खोल, मैं ये केला तेरे मुँह मे देता हूँ, मुँह बंद नहीं करना निगलते जाना, जितना हो सके बस दाँत नहीं लगाना" मुझे गोद मे बिठाकर रघू मेरे खुले मुँह मे केला पेलने लगा
तीन इंच मोटा वह चिकना केला पहली बार मे मैने करीब एक तिहाई ले लिया और फिर मुझे उल्टी होने लगी रघू ने केला निकाल लिया और मुझे सम्हलने का मौका देकर फिर चालू हो गया "ले ले मुन्ना, समझ मेरा लंड ले रहा है, फिर तुझे मज़ा आएगा, तू नहीं घबराएगा"
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