RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैं बिस्तर पर बैठकर मा की बुर मे उंगली घुसेडकर अंदर बाहर करने लगा चूत गीली थी अब मैने जब मा का दाना पकडकर मसला तो चूत मे से पानी बहने लगा मा का दबे मुँह कराहना बंद हो गया और वह अपने चूतड हिला कर मेरी उंगली और अंदर लेने की कोशिश करने लगी
रघू अब तक तैश मे आ गया था बोला "चलो हटो तुम दोनों अब मैदान मे मैं हूँ और मालकिन है अब दिखाता हूँ गान्ड मारना क्या होता है! हाय हाय क्या गुदाज नरम नरम गान्ड है मुन्ना तेरी अम्मा की, लगता है मुलायम स्पंज मे लौडा पेल रहा हूँ"
मंजू उठाकर बाजू मे बैठ गयी और मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया मेरे मुँह मे अपनी चूची देकर वह खुद मुठ्ठ मारने लगी "मुन्ना मेरी चूची चूस और तमाशा देख अब मैं उंगली करती हूँ, तू मेरा दाना पकड़" मंजू को सडका लगाने मे मदद करता हुआ मैं मा की गान्ड मारे जाने का तमाशा देखने लगा
अगले आधे घंटे तक रघू ने मा की गान्ड ऐसे चोदी जैसे फाड़ डालेगा मा को दबोच कर उसके मम्मे पकडकर मसलता हुआ वह पूरे ज़ोर से मा की गान्ड मार रहा था बस साँस लेने को बीच मे एकाध मिनिट रुक जाता मा भी अब आँखें बंद करके बिलबिला रही थी और अपनी ही चूत मे उंगली कर रही थी उसके चेहरे पर वेदना भी थी और उतनी ही वासना भी थी "मर गयी रघू बेटे, तूने मेरी फाड़ दी राजा पर बहुत मज़ा आ रहा है रे, रुक मत, लगा ज़ोर से धक्का, फाड़ दे मेरी गान्ड और घुस जा उसमे हाइईईईईईईईईईईईईईईईई उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह याअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अरीयीईयी "
आख़िर रघू जब झडा तो ज़ोर से चिल्लाया फिर लस्त होकर मा पर ढेर हो गया मा तैश मे थी अब भी गान्ड चुदाने की कोशिश कर रही थी बेचारी की यह हालत देख कर मंजू बोली "रघू, पलट जा और मालकिन को उपर ले ले मुन्ना को कहती हूँ कि अपनी मा को चोद डाले और झडा दे"
मैं मा पर चढ कर उसे चोदने लगा मा ने मुझे बाँहों मे भर लिया और मेरा मुँह चूमने लगी रघू का लंड अब भी मा की गान्ड मे फंसा था इसलिए चूत खूब टाइट थी मा की गान्ड चुदती देखकर मैं ऐसा उत्तेजित था कि मैने मन लगाकर ज़ोर ज़ोर से मा को खूब चोदा अब तक मैं भी चोदने मे काफ़ी उस्ताद हो गया था इसलिए बिना झडे मैने तब तक मा को चोदा जब तक वह दो बार झड कर लस्त नहीं हो गयी
"मुन्ना झड मत यार, आ मेरी मा की गान्ड मार ले अब मेरा फिर खड़ा हो गया है, मैं तेरी मा की फिर मारता हूँ अम्मा, आज अब रात भर मैं मालकिन की गान्ड ही मारूँगा मज़ा आ गया! तुम ज़रा मुन्ना को अपनी गान्ड दे दो" रघू के कहने पर मैने मंजू की गान्ड मे लंड डाला और मारने लगा
रघू उठकर मा को बाँहों मे लिए कुर्सी मे बैठ गया और मा को गोद मे बिठा लिया मा के मम्मे दबाता हुआ वह मा को चूमने लगा मा लस्त उसकी गोद मे आँखें बंद करके बैठी थी रघू मा का मुँह खोल कर उसके मुँह मे जीभ डालकर मा का मुखरस चाट रहा था मुझे नीचे से मा के चूतडो मे धँसा उसका मोटा लंड दिख रहा था मा की झडी चूत भी एकदमा खुली थी और उसमे से पानी बह रहा था
मंजू ने मेरी ओर देखा और मुस्करा कर बोली "खजाना देख रहा है अपनी मा का? मेरे भी मुँह मे पानी आ रहा है चल चाटते हैं"
|