RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैं दोपहर भर सोया उठा तो रात होने को आई थी बाहर आया तो देखा की मा भी नहा धोकर इधर उधर घूम रही थी एकदम फ्रेश लग रही थी मेरी आँखों मे अचरज देखकर हँस कर बोली "आ बेटे, मेरे पास आ अरे मैं दो दिन मे ही ठीक हो गयी तू कैसा है? मंजू और रघू ने ख़याल रखा ना तेरा?"
उसने मुझे सीने से लगा लिया और मेरा माथा चूम लिया मा की भरी पूरी छाती मे सिर छुपाकर मैं उससे चिपट गया माँ के बदन से बड़ी भीनी खुशबू आ रही थी मेरा तुरंत खड़ा हो गया माँ ने मेरे लंड के दबाव को महसूस किया और मेरे गाल पर प्यार से चपत मार कर बोली "शैतान कहीं का! अपनी मा पर नज़र है तेरी अब? लगता है दो दिन मे मंजू ने बहुत कुछ सिखा दिया"
मैने उपर देखा मा की आँखों मे दुलार के साथ साथ एक बड़े तीखी चाहत थी मेरे चेहरे पर की आस देखकर वह कुछ क्षण मुझे देखती रही और फिर झुककर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मेरा चुंबन लेने लगी मैं उससे ऐसे चिपका जैसे कभी छूटना नहीं चाहता होऊ और उसके होंठ चूसने लगा
हमारा यह चुंबन शायद आगे और कुछ रूप धारण करता पर एकाएक मंजू आ गयी मुझे ज़बरदस्ती अलग करते हुए खिलखिलाकर बोली "चालू हो गये मा बेटे! कैसी छिनाल हो री? चलो मालकिन, अलग हो मा बेटे का प्यार ऐसे थोड़े चालू होने दूँगी! मुझे दक्षिणा देनी पडेगी"
मा थोड़ी लजाई और बोली "ले ले मंजू बाई, कितनी चाहिए?"
मंजू नखरे दिखाती हुई बोली "पैसे नहीं लूँगी आज रात मैं और मेरा बेटा आप के और मुन्ना के साथ आपके कमरे मे सोएँगे मज़ा करेंगे और मा बेटे का असली प्यार साथ साथ देखेंगे दो जोड़ी मा बेटे एक साथ! तब आएगा मज़ा"
मा शरमा कर बोली "चल पगली, कुछ भी कहती है हाँ मुन्ना को आज से मैं अपने साथ सुलाऊन्गि! बेचारा अलग अकेला सोता है" और मेरी ओर देखकर मुस्कराने लगी उसकी आँखों मे अजब चाहत थी
"आज से तो आप को असली प्यार मिलेगा बेटे का और वह भी ऐसे खूबसूरत कमसिन बेटे का भाग्यवान हो मालकिन मुझे मालूम है कैसा लगता है रघू तो और छोटा था जब से मेरे साथ सो रहा है पर आज तो हम सब ज़रूर साथ मे सोएँगे कल से फिर जैसा मौका मिले या आप का मन हो मुन्ना गजब की चीज़ है बाई रघू तो एक रात मे दीवाना हो गया है इसका" मंजू मेरे नितंबों पर हाथ फेरते हुए बोली
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