RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
दो मिनिट मे रघू ने लंड बाहर खींच लिया "अम्मा, अब छोड़ नहीं तो झडा देगी मुझे अब तो मैं गान्ड मारूँगा सहन नहीं होती ये चुदासी अब" वह तडप कर बोला
"ठीक है, तू लंड मे मख्खन लगा ले मैं भी ज़रा मुन्ना को चूत चुसवा दूं" मंजू मेरे मुँह पर अपनी बुर जमाती हुई बोली
दस मिनिट मे मेरा मस्त खड़ा हो गया मंजू की बुर की सुंगंध और रस के स्वाद का जादू ही ऐसा था "आ बेटे, अब चोद ले मुझे, पर आराम से झडना नहीं"
मेरा लंड चूत मे लेकर मंजू ने मुझे अपने उपर लिटा लिया मुझे चिपटाकर वह मुझे चूमने लगी मैने दो चार धक्के उसकी गीली चूत मे लगाए तो मज़ा आ गया "अब रुक मुन्ना, ऐसा ही पड़ा रहा रघू बेटे, चल अपना काम शुरू कर गान्ड मे मख्खन लगा"
मैं यही समझ रहा था कि मंजू एक साथ चुदना और गान्ड मराना चाहती है इसलिए शायद अब पलट कर मुझे नीचे लेकर ओंधी सोएगी इसलिए जब वह वैसे ही मुझे छाती से लगाकर चित पडी रही तो मैं सोचने लगा कि रघू कैसे मंजू की गान्ड मे मख्खन लगाएगा जबकि वह मेरे नीचे दबी पडी है!
पर जब अगले ही क्षण रघू की उंगली मेरी गान्ड मे घुस कर मख्खन चुपडने लगी तो मैं बिचक गया ये मेरी गान्ड मारने की तैयारी हो रही थी! डर से मैं चिल्ला उठा "बाई, रघू को देख क्या कर रहा है!"
"ठीक ही तो कर रहा है मुन्ना, बिना मख्खन के तेरी मारेगा तो तेरी नन्ही नरम गान्ड फट जाएगी" मंजू ने मुझे समझाया मैं सकते मे था कल से कई बार मुझे अपना लंड देने की बात रघूने ज़रूर की थी पर इतनी जल्दी वह मेरी गान्ड मारने पर तूल जाएगा यहा मैने नहीं सोचा था
उधर रघू मख्खन के लौदे पर लौंदे मेरी गान्ड मे भर रहा था उस चिकने ठंडे स्पर्ष से मुझे मज़ा भी आ रहा था पर इतना मख्खन गान्ड मे भरे जाने पर रघू के लंड की मेरे छेद मे कल्पना करके मैं रुआंसा होकर शिकायत करने लगा "रघू, रुक जाओ ना! कितना मख्खन भरोगे मेरी गान्ड मे बाई, रघू से कहो ना आज मेरी गान्ड ना मारे बाद मे मार ले! मुझे डर लग रहा है"
"नहीं मुन्ना, कभी ना कभी तो तुझे मराना ही है रघू से आज ही मरा ले रघू तो कल से बेचैन है मालूम है इसने कल से मुझे भी नहीं चोदा? तूने ठीक किया रघू बेटा, पूरी कटोरी मख्खन भर दे मुन्ना की गान्ड मे तेरा लौडा गहरा पेट तक जाएगा इस कुँवारी गान्ड मे इसलिए अंदर तक मख्खन लगाना ज़रूरी है"
रघू उंगली से मख्खन चुपडता हुआ बोला "घबरा मत मुन्ना, प्यार से मारूँगा, धीरे धीरे आराम से तेरी गान्ड मे लंड दूँगा आख़िर अब रोज मारनी है तेरी, फाड़ दूँगा तो मुझे ही बाद मे मुश्किल होगी, मज़ा थोड़े ही आएगा फटी गान्ड मारने मे चल अब तैयार हो जा अम्मा मुन्ना को ठीक से पकड़ लो"
मंजू ने मुझे बाँहों मे जकड़ा और मेरा सिर अपनी छातियों पर दबा दिया मुँह मे चूची देते हुए बोली "चूची चूसो बेटे, चिल्लाना नहीं दुखेगा पर बाद मे मज़ा आएगा और तेरी मा ने भी कहा है मंजू बाई और रघू की बात मानना नखरा करेगा तो शिकायत कर दूँगी फिर मार पड़े तो बोलना नहीं"
मैं मंजू की चूची चूसता धडकते दिल से गान्ड मे रघू का लौडा घुसने का इंतजार करने लगा ऐसा डर लग रहा था जैसे बिना बेहोश किए कोई मेरा ओपरेशन कर रहा हो! मेरा डर कम करने को मंजू बड़ी चतुराईसे मेरा लंड अपनी चूत मे पकडकर दूहा रही थी जिससे मुझे मज़ा आ रहा था
मुझे अपनी गुदा पर रघू का गेंद जैसा सुपाडा महसूस हुआ "अम्मा, मुन्ना के चूतड फैला ज़रा मुन्ना तू टट्टी करते समय करता है वैसे कर, गान्ड खोल" मंजू ने मेरे चूतड कस कर फैलाए और मैने भी साँस रोककर ज़ोर से अपना गुदा खोला रघू ने पक्क से एक ही धक्के मे पूरा सुपाडा मेरी गान्ड मे उतार दिया
मैं दर्द के लिए तैयार था फिर भी बिलबिला उठा मेरा पूरा शरीर थरथराने लगा जैसे बुखार चढ आया हो लग रहा था जैसे किसीने घूँसा बनाकर हाथ ही गान्ड मे डाल कर चीर दिया हो! मंजू की चूची मुँह मे होने से मेरी चीख दबी रहा गयी मंजू ने तुरंत मुझे चूमना और प्यार करना शुरू कर दिया रघू भी मेरे नितंब सहलाने लगा "बस बस मुन्ना, हो गया राजा, सुपाडा ले लिया अब लंड मे तकलीफ़ नहीं होगी"
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