RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
अब तक उसके मम्मे नंगे होकर मेरे सामने आ गये थे मस्त मांसल चोटी पर एकदम कडक चुचियाँ थीं उसकी, नासपाती जैसी निपल छोटे छोटे भूरे रंग के बेरों जैसे थे बड़ी सहजता से उसने मुझे पास खींचा और एक चूची मुँह मे दे दी "चूस ले, वैसे इसमे अब दूध नहीं आता पर तुझे अपनी बुर का पानी ज़रूर चखा सकती हूँ दूध पीना तू अपनी अम्मा का, एक अच्छे बेटे जैसे"
मंजू के कड़े निपल मैं मन लगा कर चूस रहा था बहुत मज़ा आ रहा था पर माँ के दूध की बात सुनकर मैं चकरा गया अम्मा के स्तनों मे दूध आता है? लंड उछलने लगा मंजू मेरी परेशानी देखकर बोली "अरे अचरज की क्या बात है दो साल पहले रघू ने चोद कर उसे फिर माँ बना दिया था बच्चा जानने वह मेरे गाँव मे चली गयी थी वहीं के ज़मीनदार को बच्चा नहीं था उसने गोद मे ले लिया अब मालकिन को ऐसा दूध छूटता है जैसे दुधारू गाय हो"
मैंने पूछा "किसे पिलाती है अम्मा?"
"हम दोनों को पिलाती है अब तुझे पिलाएगी उस रात तू जल्दी चला गया लगता है चुदाई के बाद उसका दूध पीते हैं दूध हमे ताज़ा कर देता है उसका गरमा मीठा दूध फिर चुदाई शुरू करने की ताक़त आ जाती है दिन मे भी दो तीन बार मिल जाता है" कहकर मंजू ने अपनी साड़ी भी उतार दी वह अंदर कुछ और नहीं पहनती थी इसलिए अब मादरजात नंगी मेरे सामने बैठी थी रघू ने ठीक कहा था, एकदमा घनी झान्टे थीं उसकी उनके बीच बुर की लाल लकीर दिख रही थी अपनी बुर मे उंगली करते हुए बोली "मुन्ना, चूत देखी है कभी?"
मैंने कहा नहीं देखी मेरी साँसें अब ज़ोर से चल रही थीं मंजू की चिकनी साँवली पुष्ट टाँगें मुझे बहुत अच्छी लग रही थीं लगता नहीं था कि चालीस साल की होगी तीस साल की जवान औरत सी लगती थी मेरी आँखों मे उभर आए कामना के भाव से वह बहुत खुश हुई "पसंद आई मंजू बाई लगता है मुन्ना! याने अभी मेरी इतनी उमर नहीं हुई कि तुझ जैसे बच्चे को ना रिझा सकूँ अरे चूत चाट कर देख, निहाल हो जाएगा रघू तो चूसता ही है, तेरी माँ भी इस बुर की दीवानी है ले स्वाद देख" कहकर उसने बुर से निकाल कर मेरे मुँह मे उंगली डाल दी
उंगली पर चिपचिपा सफेद शहद जैसा लगा था भीनी मादक खुशबू आ रही थी मैंने उंगली मुँह मे लेकर चुसी तो बहुत अच्छा लगा मेरे चेहरे के भाव देखकर मंजू ने मुस्काराकर मेरा सिर अपनी जांघों के बीच खींच लिया "मैं जानती थी तुझे पसंद आएगा ले चाट ले बेटे, मुँह मार ले मेरी बुर मे"
मुँह लगाने के पहले उस लाल रिसती बुर से खेलने का मेरा मन हो रहा था मैंने मंजू की बुर मे उंगली डाल दी तपती गीली बुर मे उंगली सट से चली गयी मैंने दो उंगली डालीं मंजू बोली " अरे बेटे, चल सब उंगली डाल दे, हाथ भी चला जाएगा तेरा"
मैंने चार उंगलियाँ मंजू की चूत मे डाल दीं सच मे बुर क्या थी, भोसडा था! "हाथ डाल ना पगले खेल ले मन भर कर, फिर चूसने लग जा" मंजू को बुर चुसवाने की जल्दी हो रही थी
मैंने उंगलियाँ आपस मे सटाकर धीरे से अपने हथेली अंदर डालना शुरू की उसकी चूत रबर की थैली जैसे फैल गयी और सट से मेरा हाथ अंदर चला गया लग रहा था जैसे मखमल की गीली तपती थैली मे हाथ डाला है "मंजू बाई, बहुत अच्छा लग रहा है गरमा गरमा है तुम्हारी चूत"
"और अंदर डाल! देख मंजुबाई की चूत की गहराई अरे मैं तो तुझे पूरा अंदर ले लूँ, तेरा हाथ क्या चीज़ है!" मंजू मस्ती मे आकर बोली मैंने हाथ और अंदर घुसेडा आधी कोहनी तक मेरा हाथ घुस गया हाथ मे अंदर कुछ गोल गोल गेंद जैसा आया उसे पकड़ा तो मज़ा आ गया "ये क्या है मंजू बाई?" मैंने पूछा
सिसकारियाँ लेते हुए मंजु बोली "मेरी बच्चेदानी का मुँह है राजा हाय मुन्ना, आज मज़ा आ गया बहुत दिन बाद किसीने हाथ डाला अंदर बचपन मे रघू डालता था अब लंड डालता है पर ऐसे पकड़ने से बहुत मज़ा आता है अंदर बाहर कर ना अपना हाथ! ज़रा दबा मेरी बच्चेदानी का मुँह" मैं हाथ अंदर बाहर करके मंजू की मुठ्ठ मारने लगा बीच मे उंगलियों से उस गेंद को मसल देता था मंजू को इतना मज़ा आया कि वह कसमसा कर झड गयी हान्फते हुए दो मिनट रुकी और फिर बोली "निहाल कर दिया रे लडके तूने, मज़ा आ गया अगली बार कंधे तक तेरा हाथ बुर मे लूँगी मेरा बस चले तो तुझे पूरा अपनी बुर मे घुसेडकर छुपा लूँ! पर अब चूस ले रे मेरे राजा आज तो इतना शहद निकाला है तूने, तेरा हक है उस पर"
मैंने हाथ मंजू की बुर से बाहर निकाला उसपर गाढा सफेद घी जैसा लगा था मंजू मेरी ओर देख रही थी कि मैं क्या करता हूँ मैंने जब अपना हाथ चाटकर सॉफ किया तो आनंद से उसकी आँखें चमकाने लगीं हाथ पूरा चाट कर फिर मैं झुक कर मंजू की बुर चाटने लगा मंजू ने मेरा सिर अपनी बुर पर दबा लिया और कमर हिला हिला कर बुर चुसवाने लगी
मंजू ने खूब देर अपनी चूत मुझसे चटवायी अलग अलग तारीक़ सिखाए कुत्ते जैसे पूरी जीभ निकालकर बुर को उपर से नीचे तक चाटना, छेद के अंदर जीभ डालना, मुँह मे भगोष्ठ लेकर आम जैसा चूसना, दाने को जीभ से रगडना, सब मैंने उसी दिन सीख लिया
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