RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
मैंने देखा कि उसकी धोती मे एक बड़ा तम्बू बन गया था रघू का लंड कस कर खड़ा था रघू मेरी ओर बड़े प्यार से देख रहा था मुझे देखते हुए उसने अपना हाथ धोती के उपर से ही अपने लौडे पर रखा और उसे सहलाने लगा
मैं अब घबरा गया था था पर एक अजीब अनकही चाहत से मेरा मन भर गया था मैंने पूछा "हम यहाँ क्यों रुके हैं रघू? और तुम ये क्या कर रहे हो?" उसने कोई जवाब नहीं दिया और अचानक मुझे अपनी गोद मे खींचकर मेरे गाल चूमने लगा
"यह क्या कर रहे हो रघू दादा? छोडो ना" मैं घबरा कर चिल्लाया पर उसने मेरे मुँह को अपने मुँह से बंद कर दिया और हाफपैंट के उपर से ही मेरे शिश्न पर हाथ फेरने लगा मुझे अजीब सा लग रहा था और मैं कल की देखी और सुनी बातों को याद करके घबरा भी रहा था उसके चंगुल से छूटने को मैं हाथ पैर फटकारने लगा रघू के सशक्त बाहुपाश के आगे मेरी क्या चलने वाली थी? मेरे होंठों को अपने होंठों मे दबा कर चूसते हुए मुझे बाँहों मे भींचकर वह मेरे लंड को सहलाता रहा उसके हाथ ने ऐसा जादू किया कि मेरा लंड कुछ ही देर मे तन कर खड़ा हो गया
मुझे मज़ा आने लगा और मैंने छूटने की कोशिश करना बंद कर दिया रघूका चूमना भी मुझे अच्छा लगा रहा था उसके कुछ खुरदरे होंठ मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे मैंने अचानक पूरा समर्पण कर दिया और आँखें बंद करके उसके प्यार का मज़ा लेने लगा मेरे ढीले पड़े बदन को और जोरों से बाँहों मे भींच कर वह अब मेरे होंठों को ज़ोर से चूसने लगा साथ ही उसने मेरी हाफपैंट की ज़िप खोलकर उसमे से मेरा लंड निकाल लिया और उसे कस कर पकड़ लिया
कुछ देर बाद मुझे चूमना बंद करके रघू बोला "मज़ा आ रहा है मुन्ना?" मैंने मूंडी हिलाई तो खुश होकर बोला "मैं कह रहा था मुन्ना घबरा मत अपने राजा मुन्ना को मैं बहुत प्यार करूँगा, खूब सुख दूँगा अब देख और मज़ा आएगा, बस चुपचाप बैठे रहो"
मुझे नीचे चादर पर लिटा कर वह मेरे लंड को हाथ मे लेकर मुठियाने लगा उसकी आँखें ऐसी उसपर लगी थीं कि जैसे लंड नहीं, कोई मिठाई हो अचानक वह झुका और उंगली से मेरे सुपाडे पर की चमडी नीचे कर दी "हाय मुन्ना, सुपाडा है या रेशमी अंगूर का दाना है रे? क्या चीज़ है मेरे मालिक!" कहकर वह उसे चाटने लगा
मुझे बड़ा अच्छा लगा पर उसकी खुरदरी जीभ का स्पर्श मुझे अपने नंगे सुपाडे पर सहना नहीं हो रहा था "रघू छोड़, कैसा तो भी लगता है" उसके सिर के बाल पकडकर हटाने की कोशिश करता हुआ मैं बोला
रघू ने सिर उठाया और हँस कर बोला "अब तो तेरा लंड चूसकर ही उठुंगा मैं मुन्ना राजा ऐसी चीज़ कोई छोडता है? मलाई है मलाई" फिर अपना मुँह खोल कर उसने मेरा पूरा लंड निगल लिया और चूसने लगा मैं सिहर उठा इतना सुख मुझे कभी नहीं मिला था, माँ की ब्रेसियार मे मुठ्ठ मारते हुए भी नहीं
एक दो बार रघू के बाल पकडकर मैंने उसका सिर हटाने की कोशिश की और फिर आख़िर अपने चूतड उछाल कर उसका मुँह चोदने की कोशिश करने लगा मेरी जांघों को सहलाते हुए रघू ने चूसना मेरा लंड जारी रखा अपनी जीभ से वह इतने प्यार से मेरा शिश्न रगड रहा था कि मैं कसमसा कर झड गया
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