RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
अम्मा मंजू की बुर चूसती हुई बोली "अरी यह भी कोई पूछने की बात है? तेरी चूत का माल है या खोवा? गाढा गाढा सफेद सफेद, मलाई दार कितना चिपचिपा है देख! तार तार छूट रहे हैं! रघू बड़ा नसीब वाला है, बचपन से चखता आया है यह मावा अब मेरे लिए भी रखा कर और अनिल बेटे को भी चखा देना कभी"
मैं वहाँ से खिसक लिया माँ को चोदने की बात सोच कर ही मैं पागल सा हुआ जा रहा था उपर से मंजू बाई और रघू की बात सोच कर मुझे कुछ डर सा भी लग रहा था कहीं अम्मा मान गयी और मुझे उन चुदैल माँ बेटे के हवाले कर दिया तो मेरा क्या हाल होगा? वैसे मन ही मन फूल कर कुप्पा भी हो रहा था मंजू बाई के छरहरे दुबले पतले कसे शरीर को याद करके उसीके नाम से मैंने उस रात हस्तमैथुन कर डाला
अब रघू के बारे मे भी मैं सोच रहा था वह बड़े गठीले बदन का हेंड्सॅम जवान था मंजू काली थी पर रघू एकदम गेहुएँ रंग का था मॉडल बनने लायक था सोते समय मंजू की इसी बात को मैं सोच रहा था कि रघू मेरा स्वाद लेगा या क्या करेगा?
दूसरे दिन सुबह से मैं इस चक्कर मे था कि किसी तरह माँ के कमरे मे देखने को मिले जब माँ बाहर गयी थी और मैं अकेला था तब मैंने हाथ से घुमाने वाली ड्रिल से दरवाजे मे एक छेद कर दिया उसके उपर उसी रंग का एक लकड़ी का टुकडा फंसा दिया आज रघू आने वाला था कुछ भी हो जाए, मैं अपनी माँ को उस सजीले नौजवान से चुदते देखना चाहता था
रात को मैं जल्दी अपने कमरे मे चला गया अंदर से सुनता रहा रघू और मंजू बाई आने का पता मुझे चल गया जब अम्मा ने अपने कमरे का दरवाजा खोला कुछ देर रुकने के बाद मैं चुपचाप बाहर निकाला और माँ के कमरे के दरवाजे के पास आया अंदर से सिसकने और हँसने की आवाज़ें आ रही थीं
"चोद डाल मुझे रघू बेटे, और ज़ोर से चोद अपनी मालकिन की चूत,
मंजू अपने बेटे को कह की मुझा पर दया ना करे, हचक हचक कर मुझे चोद डाले हफ़्ता होने को आया यह बदमाश गायब था, मैं तो तरस कर रह गयी इसके लंड को" अम्मा सिसकते हुए कह रही थी
फिर मंजू की आवाज़ आई "बेटा, देखता क्या है, लगा ज़ोर का धक्का, चोद डाल साली को, देख कैसे रीरिया रही है? कमर तोड दे इस हरामन की, पर झडाना नहीं जब तक मैं ना कहूँ मन भर कर चुदने दे, कबकी प्यासी है तेरी मालकिन तेरे लौडे के लिए!" अम्मा और रघू को और उत्तेजित करने को मंजू गंदे गंदे शब्दों और गालियों का प्रयोग जान बुझ कर रही थी शायद!
मैंने दरवाजे के छेद से अंदर देखा उपर की बत्ती जल रही थी इसलिए सब साफ दिख रहा था माँ मादरजात नंगी बिस्तर पर लेटी थी और रघू उसपर चढा हुआ उसे घचाघाच चोद रहा था मैं बाजू से देख रहा था इसलिए अम्मा की बुर तो मुझे नहीं दिखी पर रघूका मोटा लंबा लंड सपासाप माँ की गोरी गोरी जांघों के अंदर बाहर होता हुआ मुझे दिख रहा था
मंजू भी पूरी नंगी होकर माँ के सिरहाने बैठ कर उसके स्तन दबा रही थी क्या मोटी चुचियां थीं माँ की और ये बड़े काले निपल! बीच बीच मे झुक कर मंजुबाई अम्मा के होंठ चूम लेती थी रघू ऐसा कस कर मेरी माँ को चोद रहा था कि जैसे खाट तोड देगा खाट भी चर्ऱ मर्ऱ चर्ऱ मर्ऱ चरमरा रही थी
मेरी माँ को चोदते चोदते रघू बोला "मांजी, कभी गान्ड भी मरवाइए बहुत मज़ा आएगा"
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