RE: उदयपुर की सुहानी यादें
तब मैं तेज़-तेज़ धक्के मार कर अपना लंड पूरा का पूरा हीना की चूत में डाल कर लंड के पानी से हीना की चूत को भर दिया। मेरे झड़ने के साथ-साथ हीना एक बार फिर से झड़ गयी और मुझसे लिपट गयी और मुझे चूमने लगी।
मैं तब हीना के ऊपर से नीचे उतरा और हीना की चूचियों से खेलने लगा। हीना मुझे रोकते हुए बोली, “रुको जानेमन, मुझे टॉयलेट जाना है।”
“क्यों टॉयलेट क्यों जाना है?” मैंने हीना की चूची को दबाते हुए पूछा।
हीना तब मेरे मुरझाए हुए लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोली, “टॉयलेट क्यों जाया जाता है? यह भी नहीं मालूम?”
मैंने भी मज़ाक मज़ाक में बोला, “नहीं मालूम कि तुम क्यों टॉयलेट जाना चाहती हो।”
तब हीना बोली, “अरे मुझे पेशाब लगी है और मुझे टॉयलेट में जा कर पेशाब करना है। समझा मेरे चोदू जानू?”
मैं हीना की चूचियों कि जोर से दबाते हुए बोला, “तो ऐसे बोलो ना कि तुम्हें टॉयलेट जा कर अपनी चूत से सीटी बजानी है। मुझे चूत की सीटी सुनना बहुत अच्छा लगता है। चलो आज मैं तेरे सामने बैठ कर तेरी चूत की सीटी सुनुँगा।” कहानी की नायिका हिना है!
हीना मेरी बातों को सुन कर खिलखिला कर हँस दी और बोली, “धत! ऐसा भी कहीं होता है? मुझे तेरे सामने बैठ कर पेशाब करने में शरम आयेगी और फिर तू मेरे सामने बैठेगा तो मुझे पेशाब ही नहीं होगी। तुझे मेरी चूत की सीटी सुननी है तो टॉयलेट के बाहर खड़े हो कर सुन।”
मैं तब ज़िद करते हुए बोला, “क्यों नहीं हो सकता है? तू जब शाम से अब-तक मेरे सामने नंगी लेट कर अपनी चूत मेरे लंड से चुदवा सकती है और अब तुझे मेरे सामने बैठ कर अपनी नंगी चूत से पेशाब करने में शरम आयेगी? तू मेरे सामने बैठ कर पेशाब क्यों नहीं कर सकती? नहीं आज तो मैं तेरे सामने बैठ कर तेरी चूत से पेशाब निकलते देखना चाहता हूँ।”
मेरी बातों को सुन कर हीना बोली, “तू बेहद ज़िद्दी है । चल आज मैं तुझे अपनी चूत से पेशाब निकलते हुए दिखलाती हूँ और साथ-साथ अपनी चूत से निकलता हुआ पेशाब पिलाती भी हूँ। चल मेरे साथ टॉयलेट चल।”
इतना कह कर हीना पलँग से उठ कर नीचे खड़ी हो गयी और नंगी ही टॉयलेट की तरफ चलने लगी। उसका नशा अभी भी बरकरार था क्योंकि हीना की चाल में अभी भी थोड़ी लड़खड़ाहट थी पर उसके हाई हील्स सैंडलों में उसकी नशीली चाल बहुत मस्त लग रही थी। मैं भी हीना के गोल-गोल चूत्तड़ों पर हाथ फेरते हुए हीना के पीछे-पीछे टॉयलेट चला गया। टॉयलेट में पहुँच कर पहले हीना ने अपना चेहरा धोया और एक तौलिया भीगो कर अपने पूरे जिस्म को पोंछा। फिर वोह मेरी तरफ़ देखकर बोली, “हाँ अब बोल क्या तुझे मेरी चूत की सीटी सुननी है और क्या तुझे मेरी चूत से पेशाब निकलते हुए देखना है?”
मैंने जब हाँ किया तो हीना बोली, “चल टॉयलेट के फ़र्श पर लेट जा।”
मैं चुपचाप टॉयलेट के फ़र्श पर लेटा गया। तब हीना मेरे मुँह के पास अपनी चूत रख कर मेरे सीने के ऊपर अपनी चूत्तड़ रख कर बैठ गयी। बैठने के बाद हीना ने एक बार झुक कर मुझे चूमा और फिर मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी चूत से पेशाब की धार छोड़ दी। हीना की चूत से निकलती धार ठीक मेरे मुँह पर गिर रही थी और हीना ने मेरे सर को पकड़ रखा था। इसलिए मैं अपना मुँह खोल कर हीना की चूत से निकलते पेशाब की धार को पीने लगा। तीन-चार मिनट तक पेशाब की धार लगातार चल रही थी और फिर रुक-रुक कर मेरे मुँह पर गिरने लगी। मैं समझ गया कि हीना की पेशाब की थैली खाली हो गयी है। तब मैंने अपना हाथ उठा कर हीना की दोनों चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा।
पेशाब खतम होते ही हीना मुझसे बोली, “कैसा लगा मेरी चूत से निकलती पेशाब की धार पी के? मज़ा आया कि नहीं?”
मैं तब हीना से बोला, “यार मज़ा आ गया। मैंने तो कहीं एक किताब में पड़ा था कि हसीन औरतों के पेशाब का टेस्ट भी बहुत अच्छा होता है। आज तूने अपना पेशाब पिला कर वो बात साबित कर दी। सही में तेरी इतनी सुंदर चूत से निकलती पेशाब की धार देख कर आज मैं धन्य हो गया।”
मैंने हीना से पूछा, “अब क्या प्रोग्राम है?”
तब हीना बोली, “अरे अभी तो रात काफी बाकी है और इसका पूरा का पूरा फायदा मुझे उठाना है।”
“ठीक है” मैं बोला।
तब हीना मेरे ऊपर से उठ कर खड़ी हो गई और बोली, “क्या तुझे पेशाब नहीं करना? चल अभी तू भी पेशाब कर ले फिर हमलोग फिर से पलंग पर चलते हैं।”
मैं तब उठ कर अपना लंड अपने हाथ से पकड़ कर पेशाब करने की तैयारी करने लगा। तब हीना आगे बड़ कर मेरे लंड को पकड़ कर बोली, “अरे मैं हूँ ना? तू खुद क्यों पकड़ता है अपना लंड। ला मुझे पकड़ने दे तेरा लंड।”
इतना कह कर हीना ने मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली, “चल मेरे जानू, अब मुझे भी दिखला तेरे लंड से निकलते पेशाब की धार को।”
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