उदयपुर की सुहानी यादें
09-18-2017, 11:56 AM,
#3
RE: उदयपुर की सुहानी यादें
अब मैं हीना के कानों के पास अपना मुँह ले जाकर धीरे से बोला, “डार्लिंग अब तुम वाकई में शरारती लग रही हो।” हीना अपने आप को शीशे में बिल्कुल नंगी देख कर मारे शरम से लाल हो गयी। फिर उसकी आँखें अपने नग्न सौंदर्य को देख कर चमक उठी और वो शरमाना छोड़ कर धीरे-धीरे मुस्कुराने लगी। अब मैंने हीना को धीरे-धीरे अपनी तरफ़ घूमा लिया और उसके नारंगी की फाँकों जैसे खूबसूरत होठों को चूमने लगा। हीना के होठों को चूमते ही मुझे लगा कि मैं शहद पी रहा हूँ। हीना ने भी मेरे गले में अपनी बाहों को डाल कर मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। हम दोनों में से कोई भी चूमना बंद नहीं करना चाह रहा था और दोनों एक दुसरे को जकड़े हुए अपनी पूरी ताकत से चूम रहे थे। हीना मुझसे इस कदर लिपटी थी कि मुझे अपनी छाती में हीना के निप्पल के गड़ने का एहसास हो रहा था। उसकी चूचियाँ भी अब सैक्स की गरमी से फूल गयी थीं। मेरा लंड भी अब बुरी तरह से अकड़ गया था और मुझे लंड की जड़ में हल्का हल्का सा दर्द होने लगा था। कहानी की नायिका हिना है!



मैंने हीना को चूमते हुए उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड से लगा दिया। मेरे लंड पर हीना का हाथ छूते ही हीना ने गप से मेरा लंड पकड़ लिया और खुश हो कर मुझसे बोली, “ओह! डीयर, तुम्हारा हथियार तो बेहद तगड़ा है। मेरे ख्याल से इसकी लंबाई आठ इन्च और मोटाई करीब तीन या साढ़े तीन इन्च होगी। काफी शानदार है।”



तब मैं हीना के गालों को चूमते हुए हीना से बोला, “हीना डार्लिंग, मेरा लंड शानदार है कि नहीं है मुझे नहीं मालूम। लेकिन तुम्हारी चिकनी जाँघों के बीच तुम्हारी गोरी चिकनी चूत बहुत ही रसीली और प्यारी है। मेरा यह लंड तुम्हारी चूत से मिलने के लिए बहुत ही बेताब है बेचारा। और हाँ, मेरे लंड की लंबाई और मोटाई को मत नापो। यह आज तुम्हें इतना मज़ा देगा जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।” फिर मैं हीना को धीरे-धीरे बिस्तर के करीब ले आया और मैं खुद बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और अपने चूत्तड़ों के नीचे दो तकिये भी लगा दिये।



हीना मुझे फटी-फटी आँखों से देख रही थी और कुछ सोच रही थी। मैं हीना से बोला, “आओ हीना डार्लिंग, मेरे ऊपर बैठ कर सवारी करो। मेरे ऊपर बैठ कर मेरा यह लंड अपनी चूत में भर लो और चुदाई करो।”



कुछ पल के बाद हीना को मेरी बातों का असर हुआ और वो झट से ऊँची हील के सैंडल पहने हुए ही बिस्तर पर चढ़ कर मेरी कमर के दोनों तरफ़ अपने पैरों को करके मेरे ऊपर बैठ गयी। बैठने के बाद उसने थोड़ा सा अपने चूत्तड़ों को उठाया और अपने हाथों से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत से लगा दिया और फिर अपनी कमर चला कर मेरा लंड अपनी चूत में घुसेड़ लिया। मैंने तब हीना के चूत्तड़ों को पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाया और उसने फिर से एक धक्के के साथ मेरा लंड अपनी चूत में भर लिया। थोड़ी देर के बाद हीना मेरे ऊपर झुक गयी और मेरे होठों को चूमते हुए और मेरे सीने से अपनी भारी भारी चूचियों को दबाते हुए मुझे हल्के-हल्के धक्के के साथ चोदने लगी।



थोड़ी देर तक मुझे चोदने के बाद हीना मेरे ऊपर लेट गयी। मैं तब नीचे से उसके नंगे चूत्तड़ों पर हाथ फेरते हुए उसके कान में धीरे से बोला, “डार्लिंग, अब तुम्हारी चूत को मज़ा दिलवाना तुम्हारे हाथों में है। मैं तो बस चुप-चाप नीचे लेटा-लेटा तुम्हारी चूत के धक्के खाता रहूँगा। अब तुम्हीं मुझे अपने हिसाब से चोदती रहो और अपनी चूत को मेरा लंड खिलाती रहो।”



इतना कह कर मैंने हीना की चूचियों को अपने हाथों में लेकर कस कर मसल दिया और अपनी कमर नीचे से उचका कर हीना की चूत में तीन-चार धक्के मार दिये। मेरी बातों को सुन कर हीना की आँखें एक बार चमक गयीं और मुझे चूमते हुए बोली, “मेरे चोदू सनम, मैं चाहे तुम्हें ऊपर से चोदूँ या तुम मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदो, दोनों में कोई फ़रक नहीं है। हर हाल में मेरी चूत ही तुम्हारे लंड से चुदेगी।” उसके बाद हीना मुझे फिर से जकड़ कर पकड़ते हुए अपनी पतली कमर उठा-उठा कर मुझे चोदने लगी।



हीना मुझे फिर से अपनी बाहों में भरते हुए मुझे चूम कर बोली, “ओह डार्लिंग! बेहद मज़ा आ रहा है। हाय क्या लंड है तुम्हारा, मेरी चूत तो अंदर तक भर गयी है। हाय! मैं तो आज रात भर तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर ही रखुँगी। तुम्हारा लंड खुदा ने मेरी चूत के लिए ही बनाया है।”



फिर हीना मेरी आँखों में देखते हुए मेरे ऊपर तन कर और अपनी कमर को कस कर मेरी कमर पर दबा करके बैठ गयी और हीना की नरम चूत और मेरी झांटें एक दुसरे से मिल गयी। अब हीना की साँस फूलने लगी थी और उसकी आँखें बंद होने लगी थी और उसकी चूची भी फूल गयी। अब वो मेरे लंड पर ज़ोरों से उठ-बैठ रही थी और उसके उठने-बैठने के साथ-साथ हीना की दोनों चूचीयाँ भी उछल रही थीं। मुझे लग रहा था कि हीना की चूत और ज्यादा देर तक मुझे चोद नहीं पायेगी और जल्दी ही अपना पानी छोड़ देगी। अब वो बहुत जोर-जोर से उछल रही थी और बोल रही थी, “लो मेरे चोदू सनम, लो मेरी चूत के धक्के खाओ अपने लंड पर। लो अब मैं अपनी चूत का पानी छोड़ने वाली हूँ। लो सम्भालो अपने लंड को… नहीं तो मेरी चूत के धक्कों से तुम्हारा लंड टूट जायेगा। हाय क्या मज़ा आ रहा है। तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले। अब तक मैं तुमको और कितनी बार चोद डालती।”
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RE: उदयपुर की सुहानी यादें - by sexstories - 09-18-2017, 11:56 AM

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