RE: Desi Sex Kahani चाची की चुदाई
मैं भी अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी ब्रा के हूक खोल दिये और बड़े प्यार से उसकी चूचियाँ नंगी करी। उसकी बत्तीस साइज़ की कसी हुई मस्तियाँ मेरे सामने तन कर खड़ी हुई थीं और मैंने भी बिना वक्त गँवाये दोनों चूचियों पर अपना मुँह मारना शूरू कर दिया। मैं बहुत ही बेसब्रा हो कर उसकी चूचियाँ मसल और चूस रहा था जिससे उसको थोड़ा सा दर्द हो रहा था। पर फिर भी मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाते हुए कह रही थी, “डार्लिंग आराम से मज़ा लो, इतने उतावले क्यों हो रहे हो। आज तो हमारा हनीमून है। कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ। जम के चूसवाऊँगी और मसलवाऊँगी। इनको इतना मसलो कि कॉलेज में मेरी चूचियाँ सबसे बड़ी हो जायें।”
करीब आधा घँटा इस चूसाई के बाद मैंने कहा, “सोनिया दीदी! अब तो आप तैयार हो जाओ औरत बनने के लिये।”
मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और फूलों से सजे पलंग पर लिटा दिया। लाल गुलाब से सजे पलंग पर काले रंग की पैंटी से ढका सोनिया का गोरा बदन ऐसा लग रहा था जैसे कोई अपसरा अपने कपड़े उतार के सो रही हो और काला भँवरा उसकी ताज़ी चूत का रस चूस रहा हो। मैं करीब पाँच मिनट तक सोनिया के नंगे बदन की शराब अपनी आँखों से पीता रहा, और फिर बिस्तर पर चढ़ कर मैंने सोनिया की कमर चूसनी चालू करी और चूसते हुए अपना मुँह उसकी पैंटी पर लाया और पैंटी का इलास्टिक अपने दाँतों में दबा कर अपने मुँह से उसकी पैंटी उतारने लगा। सोनिया ने भी अपने चूत्तड़ हवा में उठा दिये थे ताकि पैंटी उतारने में परेशानी ना हो। पर मीना चाची ने इतनी टाइट पैंटी पहनाई थी कि मुझे अपने हाथ भी लगाने हे पड़े उतारने में। दोस्तों! पैंटी उतार के जो नज़ारा मेरे सामने था, मैं आपको बता नहीं सकता।
मीना चाची ने बड़े ही प्यार से सोनिया की चूत के बाल साफ़ करे थे। सोनिया चूत चुदने के लिये इतनी बेकरार थी कि चूत के लिप्स गीले थे। सोनिया बोली, “डार्लिंग! मम्मी ने मेरी पूसी क्रीम से साफ करी है और मुझे बोला है कि मैं कभी भी अपनी पूसी शेव नहीं करूँ नहीं तो खराब हो जायेगी।”
मेरा लंड तो सोनिया की चिकनी नंगी मस्ताई हुई, चुदने के लिये तैयार चूत को देख कर ही मेरी अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने के लिये बेकरार था और उछल-कूद मचा रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी अंडरवियर उतार दी और अपना मुँह मेरे सामने लेटी हुई नशे की बोतल के खज़ाने के मुँह पर लगा दिया। सोनिया तो मस्त हो गयी और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं भी चाहता था कि सोनिया थोड़ा पानी छोद दे ताकि उसकी ताज़ी कुँवारी चूत थोड़ी चिकनी हो जाये और तकलीफ कम हो। मैंने उसकी चूत का दाना चूसते हुए अपनी जीभ से उसकी चुदाई चालू कर दी और करीब पाँच मिनट बाद ही सोनिया ने मेरा सिर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और कस कर अपनी पूरी ताकत से मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा लिया और जोश में काँपते हुए चूत्तड़ों के धक्के देती हुई मेरे मुँह में अपना रस देने लगी। मैंने भी मन से उसकी जवान चूत चूसी और चूत के लाल होंठों को अपने होंठों से चूसा।
फिर मैं घूटने के बल सोनिया के सामने बैठ गया और बूरी तरह अकड़ा हुआ अपना लंड उसके सामने कर दिया और सोनिया की गर्दन में हाथ डाल कर उसका मुँह अपने लंड के पास लाया और बोला, “मेरी प्यारी सोनिया दीदी, मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर अपनी चूत बजाने के लिये तो इनवाइट करो।”
सोनिया ने तपाक से अपना मुँह खोला और मेरा सुपाड़ा अपने होंठों के बीच ले लिया और जीभ फेरने लगी। मेरे लंड पर सोनिया के जीभ फेरने ने वो काम किया जो आग में घी करता है। मुझसे रहा नहीं गया और दोनों हाथों से सोनिया का सर पकड़ कर उसके मुँह में ही मैंने आठ-दस शॉट लगा दिये। लौड़े का तो मारे गुस्से के बूरा हाल था। एक तो उसे कल से चूत नहीं मिली थी और दूसरा उसके सामने ऐसी मलाईदार चूत थी और मैं चूतिया की तरह उसकी भूख मिटाने की बजाये चुम्मा चाटी कर रहा था।
अपना लंड सोनिया के मुँह से बाहर निकाल कर के मैं बिस्तर पर से उतरा और मीना चाची ने पहले से ही इम्पोर्टेड बड़ी ही खुशबू वाली चिकनाहट की क्रीम मेज पर रखी हुई थी। मैंने उसे उठा कर थोड़ी ज्यादा ले कर सोनिया की चूत पर और चूत के अंदर की दीवारों पर लगा दी और फिर अपने लंड पर लगाने लगा। सोनिया बोली, “ये तुम क्या कर रहे हो?”
मैंने उसे समझाया और बोला, “आज मैं आपकी चूत को भोंसड़ा बनाने जा रहा हूँ तो मुझे अपना लंड आपकी चूत में घूसेड़ना पड़ेगा और आपको तकलीफ ना हो इस लिये मैं आपकी चूत को और अपने लंड को चिकना कर रहा हूँ।”
मैंने बिस्तर पर चढ़ कर सोनिया की जाँघों को अपने हाथों से पूरा फैला दिया और एक हाथ से लंड पकड़ कर दूसरे हाथ से सोनिया की चूत के लिप्स खोल कर अपना गुस्साया हुआ लाल सुपड़ा उसकी गुलाबी चूत से सटा दिया और बहुत हल्के-हल्के घिसते हुए बोला, “देख लो सोनिया दीदी! अपने लंड की आपकी चूत से मुलाकात करा रहा हूँ।”
सोनिया को भी अपनी चूत पर लंड घिसाई बहुत अच्छी लग रही थी। वोह सिर्फ़ मस्ती में “ऊँमम ऊँमम” कर सकी। एक दो मिनट बाद मैंने देखा कि सोनिया पर मस्ती पूरी तरह से सवार हो चूकी है तो मैंने अपने लंड का एक हल्का सा शॉट दिया जिससे मेरा लंड सोनिया की चूत बहुत ज्यादा कसी होने के कारण से फिसल कर बाहर आ गया। इससे पहले कि सोनिया कुछ समझ पाती, मैंने एक हाथ से अपना लंड सोनिया के चूत के लिप्स खोल के उसके छेद पर रखा और अपने चूत्तड़ों से कस के धक्का दिया जिससे मेरा मोटा तगड़ा लंड दो इंच सोनिया की चूत में घुस गया। सोनिया की गाँड में तो जैसे भूचाल आ गया। वोह जोर से चीखी, “सुनील मार डाला! ये क्या डाला है मेरे अंदर। बहुत दर्द हो रहा है। सुनील प्लीज़ बाहर निकाल ले।”
मैंने कुछ परवाह ना करते हुए दूसरा शॉट और कस के लगाया और अब मेरा पाँच इंच लंड सोनिया की चूत में समा चुका था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल के छोटे छेद में अपना लंड घुसा दिया हो और बोत्तल के मुँह ने कस कर मेरे लंड को पकड़ लिया हो। अगर मैंने सोनिया की कमर कस के पकड़ नहीं रखी होती तो सोनिया मेरा लंड निकाल के बाहर भाग जाती और ज़िंदगी भर कभी भी किसी से चुदवाती नहीं। सोनिया अब मेरे सीने पर मुक्के मारने लगी तो मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर फैला दिये और अपने पूरे शरीर का भार देते हुए उसके ऊपर लेट कर अपना पाँच इंच लंड अंदर-बाहर करने लगा। करीब पाँच-दस मिनट तक सिर्फ पाँच इंच से ही संतोष करने के बाद मैंने सोनिया से पूछा, “दीदी अब कैसा लग रहा है?”
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