RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
"हां.... दबओ मेरे मम्मो को.... बड़ा मज़ा आ रहा है.... मेरे निपल्स को पिंच करो.... उफफफ्फ़.... पूरा अंदर जा रहा है तुम्हारा लंड.... चूत को बड़ा मज़ा आ रहा है ऐसे.... बड़ा सख़्त है तुम्हारा लंड..... एसस्स... एसस्स.... नोच डालो मेरे मम्मो को..... उफफफ्फ़..... हाईईइ..... तुम्हारा लंड..... मेरी चूत..... उफ़फ्फ़ क्या चुद रही है मेरी चूत..... बड़ा.... और बड़ा.... एस्स..... एसस्स.... एसस्स...." चुद्वाते हुए नताशा की सिसकारियाँ बढ़ने लगी.
तभी एक हल्की चीख मारते हुए नताशा मेरे सीने से चिपकटे हुए मुझ पर लेट गयी और गहरी-गहरी साँसे लेने लगी. उसका पानी फिर से निकल गया. लंबी-लंबी गहरी-गहरी साँसे लेते हुए मेरे होंठो को चूमने लगी. मैने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए अपने सीने से दबा लिया और हम 4-5 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे
जब काफ़ी देर हो गयी और नताशा भी शांत हो गयी तो मैने नताशा को मेज से नीचे उतार कर उसकी दोनो कोहनी को मेज से लगा कर उसे घोड़ी बना दिया. जिसे उसकी चूत पीछे से उभर कर बाहर आ गयी. मेरा लंड लोहे की रोड की तरह अब भी सख़्त था. मैने उसकी चूत को चौड़ा किया और एक जोरदार झटका देते हुए उसकी चूत में डाल दिया. मैने उसके दोनो कंधों को पकड़े हुए अपने लंड के धक्के देने शुरू कर दिए. मेरी जांघे उसके चूतड़ से टकराती हुई मेरे लंड को उसकी चूत की पूरी गहराई तक पहुँचा रही थी. लेकिन 30-35 झटकों में ही नताशा का पानी निकलने लगा. मेरा लंड अभी तक मैदान-ए-जंग में वैसा का वैसा ही खड़ा रह गया.
जब उसका पानी निकल गया तो वो मेज पर से हाथ हटा कर मेरे सामने नीचे बैठ गयी. अब नताशा की और चुद्वाने की हिम्मत नही बची थी. वो मेरे लंड को अपने मुँह से ही झाड़ देने में लगी हुई थी. मेरा लंड कड़क, खड़ा, होशियार और पानी चोद्ने को उतावला. मैने उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को चूत की तरह चोद्ने लगा. अपना लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह में पूरा का पूरा पेल रहा था. मेरा पानी अब निकलने ही वाला था कि तभी बाहर आवाज़ होने लगी. सब लोग पतंगे उड़ा कर नीचे आ रहे थे. मुझे मेरी बहन रश्मि की भी आवाज़ भी सुनाई दी. अब रूम में रहने का सवाल ही नही था. मैं बड़ा मयूष हो गया. मयूष तो नताशा भी थी. लेकिन किसी के भी अंदर आने का डर जो ठहरा. मेरा लंड जल्दी से सिकुड़ने लगा. अब सख्ती ख़तम होने लगी.
नताशा फुफउसाते हुए बोली, "विशाल, क्या करें अब? तुम्हारा लंड तो अभी तक झाड़ा ही नही है."
मैने भी धीमे से बोलते हुए कहा, "कोई बात नही. अब तुमसे फिर मुलाकात होगी तभी ही झदेगा यह."
नताशा बोली, "लेकिन कब? ऐसा मौका कब मिलेगा."
मैं बोला, "अब मेरे लंड को झाड़ने के लिए तुम्हे जल्दी ही मुझसे मिलना होगा. चलो अच्च्छा है. इसी बहाने तुम अब मुझसे जल्दी ही मिलॉगी."
नताशा बोली, "अब कैसे करें?"
मैने कहा, "तुम बाहर निकलो और बाजू में बाथरूम है. वहाँ जा कर बाहर चले जाना. किसी को भी शक नही होगा. मैं भी थोड़ी देर में बाहर आ जाऊँगा."
हमने अपने-अपने कपड़े पहने और मैं नताशा को बाहर भेज कर 2-3 मिनट बाद खुद भी बाहर आ गया. देखा नताशा मेरी बहन रश्मि से बात कर रही है. फिर उसे बात करते हुए बाइ-बाइ कर नीचे उतरने लगी. मैं भी चुप-चाप पास में आकर खड़ा हो गया और अप्पर टेरेस पर जाने लगा. मेरी आज की कहानी यही ख़तम होते दिखी. बड़ी खीज हो रही थी कि 5-7 मिनट और मिल जाते तो क्या हो जाता?
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