RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
मैने अब अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और दो-तीन धक्के दे मारे. इन धक्को के साथ ही शुरू हुई हमारी चुदाई. अब मैं हकले-हल्के धक्के मारते हुए अपने 8 इंच के लंड को करीबन 80% तक घुसा दिया. हल्के-हल्के, मीडियम-मीडियम और फिर तेज धक्के लगाने लगे. मैं उस पर . हुए उसके होंठो को चूस्ते हुए अपने धक्को को बराबर लगाना चालू रखा. नताशा मेरे धक्को को हल्की तकलीफ़ के साथ खा रही थी. लेकिन साथ ही उसकी सिसकारियाँ भी बढ़ती जा रही थी. फिर मैने अपने धक्को की स्पीड पूरी तरह बढ़ा दी. जिसका जवाब मुझे उसके नीचे से बढ़ते धक्को के रूप में मिलने लगा. साथ ही उसकी सिसकारियाँ भी तेज होने लगी. 5-7 मिनिट बाद उसकी सिसकारियाँ बहुत तेज हो गयी.
"उफ़फ्फ़.... एसस्स... चोदो.... चोदो.... ऐसे ही अपने लंड से चोदो.... बड़ा मज़ा आ रहा है.... बड़ा सख़्त है तुमहरा लंड.... काट डालो मेरी काइट जैसी चूत को... अपने माँझे जैसे तीखे लंड से.... . .... चोदो.... मुझे.... .... ऐसे ही...." चुदने की मस्ती में नताशा बॅड-बड़ाने लगी.
उसकी बढ़ती हुई सिसकारियों से मैं जोश में आ गया और उसकी दोनो टाँगो को घुटने से मोदते हुए उसकी टाँगो को उसके मुँह की तरफ कर उसपेर चढ़ गया और दे-दना-दान धक्के पर धक्के लगाने लगा. अब मेरा लंड पूरा का पूरा इस पोज़िशन में उसकी चूत में घुसा जा रहा था. मैं अब अपने लंड को पूरा बाहर निकालता और बेरहमी से उसकी चूत के अंदर झट से घुसा देता. उसकी हालत अब बड़ी गरम हो रही थी.
"उम्म्म.... ह्म्म्म्मम... . ऊऊहह.... आओउुउउ..... चोदो.... लंड.... चूत.... चोदो...." सिसकारियाँ लेती हुई . रही थी नताशा
तभी उसने हल्की चीख मारते हुए मुझे कस कर पकड़ लिया और अपनी चूत को मेरे लंड से चिपका कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया. मैं समझ गया कि उसकी चूत का पानी निकल रहा है. मैने अपने धक्को की स्पीड को धीमे कर दिया. वो अपने सीने से चिपकते हुए मुझे कस कर जकड़े हुए थी. मैने धीरे-धीरे अपने धक्के देने बंद कर दिए. वो अब लंबी-लंबी साँसे लेते हुए मेरे नीचे चित्त लेटे हुए थी. मेरा लंड अभी भी सख़्त था और उसको चोदने को मचल रहा था.
जब उसकी साँसे बराबर हो गयी तो मैं उसे टेढ़ा करते हुए साइड से उसकी चूत पर वार करने लगा. साथ ही उसके मम्मो को मसल रहा था. उसके चूतड़ मेरी जाँघो से रगड़ खा रहे थे. अपने चूतड़ से धक्के मारते हुए मैं लंड को आधा ही उसकी चूत में घुसा पा रहा था. लेकिन उसके चूतड़ की रगदाई से मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने धक्के मारने चालू रखे. लंड उसकी चूत में घुसता और फिर झटके से बाहर आ कर वापस उसकी चूत की गुफा में छुप जाता. चूतड़ की रागड़ाई से नताशा का जिस्म बेकाबू होने लगा. वो उठ बैठी.
नताशा ने मुझे अपनी पीठ से धकेलते हुए मुझे मेज पर लेटा दिया और मुझ पर चढ़ बैठी. उसके चूतड़ मेरी तरफ थे. उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ा और अपनी चूत के अंदर मेरे सुपारे को डाल कर एक ज़ोर का झटका दिया जिससे मेरा लंड सुर्र्ररर से उसकी चूत में जा बैठा. अब वो अपने चूतड़ को उच्छलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी. मैने अपने दोनो हाथ उसके चूतड़ पर रखते हुए उसे सहलाने लगा. उसके दमदार चूतड़ बार-बार मेरी झांघो पर गिरते और उपेर की और उठते हुए फिर से रगड़ मरते. मेरा लंड उसकी चूत की गहराई को पूरी तरह माप रहा था. वो अपने दोनो हाथ मेरी जाँघो पर रख कर मुझसे चुद्वा रही थी.
तभी उसने पोज़िशन बदलते हुए मेरे लंड को बाहर निकाले बिना ही घूम गयी और अपना चेहरा मेरे चेहरे की तरफ करते हुए अपनी चूत को उसी स्पीड से हिलाते हुए धक्के मारने लगी. मैं अब उसके मम्मो को उच्छलते हुए देखने लगा. नताशा मेरे दोनो हाथो को पकड़ कर अपने दोनो मम्मो के पास ले गयी. मैने उसके दोनो मम्मो को थाम लिया. अब वो उपेर-नीचे होते हुए अपनी चूत को मेरी जाँघो से टकराते हुए मेरे लंड को पूरा-का-पूरा अंदर ले रही थी. मैं उसके मम्मो और निपल्स को दबा और मसल रहा था. जिसे उसके जिस्म में जोश भर रहा था और सिसकारियाँ निकल रही थी.
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