RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
तब मैने मौके को ताड़ते हुए कहा, "रूको अभी. यहाँ तो तुम्हारे हाथ में आते ही कोई ना कोई तुम्हारी काइट काट देगा." फिर मैने दूसरी छ्होटी टेरेस के बारे में बताया, जोकि वहाँ से दिखाई तो नही पड़ रही थी, कहा, "वहाँ से उड़ाते है. वहाँ पतंगे बहुत कम है और तुम्हारी काइट को कोई जल्दी से काटेगा नही और तुम्हे भी उड़ाने में मज़ा आएगा."
मैने जल्दिबाज़ी में अपनी काइट के माँझे को बीच से ही तोड़ दिया. कौन उतारने का झंझट करे. मुझसे ज़्यादा जल्दी इस वक़्त और किसे होगी, फ्रेंड्स?
मैने 10-12 पतंगे साथ में ली और स्टेरकेस के दूसरी तरफ चल पड़ा. मेरे पीछे-पीछे नताशा हाथ में चरखी पकड़े हुए चल पड़ी. किसी ने हमे नही पूछा की कहाँ जा रहे हो. सब अपनी पतंगे उड़ाने में मशगूल थे. हम दोनो उस छ्होटी टेरेस पर चढ़ गये. वहाँ से बड़ी टेरेस वाले नही दिखाई दे रहे थे और उन लोगो को हम नही दिखाई दे रहे थे. अगाल बगल में बिल्डिंग्स नीचे थी जिसे हमे कोई तकलीफ़ नही थी. मैने वाहा पहुँचते ही काइट को उड़ाया और चरखी खुद पकड़ कर काइट उसके हाथ में दे दी. पहली बार उड़ाने के कारण उसे काइट संभालने में काफ़ी दिक्कत हो रही थी इसलिए काइट को मैने वापस अपने हाथ में ले ली.
अब मैने वही पुरानी टॅक्टिक्स अपनाई. इस बार जगह छ्होटी होने से मैं बार-बार और जल्दी-जल्दी अपनी कोहनी से उसके मम्मो पर रगड़ देने लगा. बस इतना ध्यान रखा कि कोई ज़ोर से ना मार दूँ. मैने महशूष किया की नताशा के मम्मे मुझे इस बार ज़्यादा कड़क लगे. इस पर गौर करते हुए पीछे मूड कर देखा तो मेरा मुँह आश्चर्या से खुला रह गया. नताशा अपना सीना थोडा आगे की और कर के आँखे बंद किए हुए खड़ी है. यानी खुद मेरी कोहनी की रगड़ खाने के लिए उतावली हो रखी है. मैने झूमते हुए काइट को उड़ाते हुए कोहनी से थोड़े ज़्यादा दबाते हुए उसके दोनो मम्मो पर बारी बारी रगड़ मारी. वॉववव! उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी. उफ़फ्फ़! यह सुनकर मेरा लंड तो दंडनाता हुआ खड़ा हो गया. मेरा जोश बढ़ गया. अब मुझे एक कदम और आगे बढ़ाना था. फिर एक आइडिया दीमाग में आया. आरे वह मेरे शैतान दीमाग!!!
मैने नताशा के हाथ में फिर से काइट थमा दी. उसे उड़ाने में दिक्कत होने पर मैने उसका हाथ थाम कर उसे उड़ाने के बारे में सिखाने लगा. सिखाना तो बहाना था. मैं तो अपनी जाँघो से उसके गोल-गोल चूतड़ को रगड़ रहा था. मेरा लंड मेरी जीन्स के अंदर कहीं च्छूपा हुआ था लेकिन था बड़ा अलर्ट. उसके चूतड़ का अहसास पाते ही फुंफ-कारने लगा. उसके हाथो को काइट उड़ाने के बहाने अपने हाथों से पकड़ रखा था. उसकी कोमल स्किन की छुहन मेरे जिस्म में बिजली पैदा कर रही थी. काइट को संभालने के कारण हम दोनो के हाथ एक साथ आगे पीछे हो रहे थे. जिसे मेरे हाथ उसके मम्मो को टच कर रहे थे. मैं अब उसके मम्मो के एकदम नज़दीक पहुँच चुका था. वो भी मज़े लेती हुई अपने हाथो को थोड़े ज़ोर से आगे पीच्चे कर रही थी जिसे उसके मम्मो पेर हाथो की टक्कर भी ज़ोर से होने लगी. इसके साथ ही उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगी. उसकी आँखे बंद होने लगी.
मैने इसका फयडा उठाते हुए अपनी झंघों का ज़ोर उसके चूतड़ पर बढ़ा दिया. मेरा लंड शायद उसकी चूतड़ के क्रॅक्स के बीच लगा हुआ था. शायद इसलिए की दोनो की मोटी जीन्स पहने होने के कारण मालूम नही पड़ रहा था. फिर भी मैं कोशिश में लगा हुआ था. अब मेरे हाथ बार-बार उसके उन्नत और बड़े मम्मो के पास ही रह रहे थे. मैं अपने गालों को उसके गालों से टच करने की कोशिश करने लगा. हमारा ध्यान अब काइट उड़ाने पर नही बल्कि एक दूसरे में खो जाने में हो रहा था. काइट तो हमारी कोई पेच लगा कर काट चुका था लेकिन हम दोनो इस नये पेच लड़ाने में लगे हुए थे. अब मेरे हाथ सीधे उसके मम्मो को थाम चुके थे. उफफफफ्फ़! उसके मांसल और कड़क मम्मे मेरी हथेलियों के बीच में थे. मैं उनको सहला रहा था. वो आँखें बंद किए हुए सिसकारी लेते हुए अपने चूतड़ का ज़ोर मेरे लंड की तरफ बढ़ा रही थी.
इसी बीच मैने अपने घुटने से उसके घुटनो को मोड़ा और हम दोनो टेरेस के फर्श पर जा बैठे. अब उसका मुँह मेरी तरफ. उसका कोमल चेहरा, बंद आँखें, भारी साँसें और रूस से भरे तपते होंठ मुझे चूमने का इन्विटेशन देते हुए मेरी ओर बढ़े. मैं झट से अपने दोनो हथेलियों से उसको थाम लिया और अपने होंठो को उसके रसीले होंठो पर रख दिया. अफ... मादक रसीले होंठ... नरम और गरम... तपते हुए उसके होंठ... संतरे की फांको के जैसे मीठे होंठ...
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