RE: XXX Stories ऐसा भी होता है
मैने कहा तो वो तड़प कर ऐसे मेरी तरफ पलटी जैसे मेरे पुच्छने का इंतेज़ार ही कर रही थी. अपने होंठ उसने सीधा मेरे होंठो पर रख दिए और एक बार फिर चूमने लगी.
और मेरा हाथ जैसे अपने आप उसकी कमीज़ के अंदर घुस कर उसकी ब्रा से होता हुआ उसकी नंगी चूचियो पर आ टीका.
"एक बार दिखा दो ना प्लीज़" मैने फिर इलतेजा की
"बिल्कुल नही"
"प्लीज़"
"अपनी बेगम के देख लेना शादी के बाद"
उसकी बात सुन कर मेरी हसी छूट पड़ी.
"अब बस करो" कहकर वो अलग हुई और फिर संभाल कर बैठ गयी.
"बहुत फास्ट हो तुम" कुच्छ देर बाद वो बोली
"क्या?" मैने पुछा
"इतनी सी देर में कहाँ से कहाँ पहुँच गये. एक्सपर्ट हो. कितनी लड़कियों की ले चुके हो ऐसे?"
मैं सिर्फ़ हल्के से मुस्कुरा कर रह गया.
"सीरियस्ली साहिल. ज़रा सी देर में कितना कुच्छ कर डाला तुमने"
थोड़ी देर के लिए फिर खामोशी च्छा गयी. वो बैठी अपनी तेज़ हो चली साँसों को शांत करने की कोशिश करने लगी और मैं अपनी तेज़ हो चली धड़कन को नॉर्मल करने की कोशिश. पर मेरा दिल तो कर रहा था के एक बार फिर उसको पकड़ कर चूम लूम और उससे लिपट जाऊं.
और शायद यही हाल उसके दिल का भी था. इससे पहले के मैं कुच्छ करता, वो खुद ही घूम कर मेरी तरफ पलटी और मुझे सिमट गयी.
"क्या हुआ?"
"किस करो मुझे"
"अभी तो किया था"
"तब तुम्हें करना था. अब मुझे करना है"
मैं भला मना क्यूँ करता. मेरे लिए तो प्यासे को पानी मिलने जैसे बात हो गयी थी. एक बार फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया. मैं उसे चूमने लगा और मेरा हाथ उसकी कमीज़ के अंदर घुस कर कभी उसकी नंगी चूचियो सहलाता तो कभी पेट तो कभी पीठ.
वो भी बराबर मेरा साथ दे रही थी पर शायद उसकी हद यहीं तक थी. इससे आगे वो कुच्छ करना चाहती नही थी. मैने भी जो मिले सो अच्छा सोचते हुए जितना मिल रहा था उसी का भरपूर फयडा उठाने की सोची.
क्रमशः...........
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