RE: Bhabhi Sex Stories भाभी और ननद की चुदाई
“तो फिर कैसे…?” वो शरारती अंदज़ में बोली।
“अब तो आपके हुस्न की झील में डूब के ही करार मिलेगा!” कहते हुए मैं अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। फिर मैंने उनकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी और उन्हें बेड पर लिटा कर उनकी गीली चूत को चाटने लगा और वो भी मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी। जब मेरा लंड चुदाई के लिये तैयार हो गया तो मैं नज़िला भाभी टाँगें फैला कर लंड के सुपाड़े को उनकी चूत पर रगड़ने लगा।
मेरे लंड की रगड़न से वो उतेजित हो कर मुँह से सिसकरी भरने लगी और कुछ ही देर में उनका जिस्म अकड़ने लगा और वो पहले चूत चटाई से अब लौड़े की रगड़न से झड़ गयी। फिर मैंने अपने सुपाड़े पर थूक लगा कर नज़िला भाभी की चूत पर रख कर एक कस के धक्का मरा तो आधे से ज्यादा लंड उनकी चूत में घुस गया। लंड घुसते ही उनके मुँह से “ऊऊऊईईईई ऊफ़फ़फ़” सिसकरियाँ निकलने लगी और वो लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। नज़ीला भाभी सिसकते हुए बोली, “दीनू ऐसे ही डाले रहो कुछ करना नहीं!”
मैं कुछ देर तक बिना हिले-डुले आधे से ज्यादा लंड उनकी चूत में फसाये पड़ा रहा और उनकी दोनों चूचियों को अंगूठे और उंगली के बीच पकड़ कर मसलता रहा। कुछ ही देर में वो ज़रा नॉर्मल हुई तो मैंने कमर उठा कर थोड़ा लंड चूत से बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड पूरा का पूरा उनकी चूत की गहरायी में घुस कर उनकी बच्चेदानी पर छू गया।
नज़ीला भाभी फिर चिल्ला पड़ीं, “ऊऊऊऊईईईई अल्लाहहऽऽऽ मार डाला रे तेरे ज़ालिम लंड ने… प्लीज़ दीनू… हिलना डुलना नहीं!”
मैं ऐसे ही लंड डाले पड़ा रहा। मेरे लंड पर उनकी चूत की दिवारें कस कर जकड़ी हुई थी। जब वो फिर नॉर्मल हुई तो मैं धीरे-धीरे अपना लंड नज़ीला भाभी की चूत के अंदर-बाहर करने लगा। जब मेरा लंड उनकी चूत के दाने को रगड़ता हुआ अंदर-बाहर होने लगा तो नज़ीला भाभी को भी जोश आ गया और बोली, “दीनू मॉय डार्लिंग! कीप फकिंग हार्ड… बेहद मज़ा आ रहा है! आआआहहह आआआईईई!”
फिर उन्होंने अपनी टाँगें और फ़ैला दीं और मेरी कमर पर कस दीं। नज़ीला भाभी की सिसकारियों से मुझे भी जोश आ गया और मैं तेजी के साथ कस-कस कर चुदाई करते हुए लंड को अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में उनकी चूत की सिकुड़न मुझे अपने लंड पर महसूस हुई। मैं समझ गया की वो झड़ रही थी लेकिन मैंने अपनी स्पीड नहीं रोकी बल्कि और बढ़ा दी। नज़िला भाभी की चूत गीली होने से अब मेरा लौड़ा आसानी से ‘पुच-पुच’ की आवाजें करता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था और पूरे कमरे में चुदाई की आवाजें गूँजने लगी।
उनके झड़ने के बाद मैं करीब पंद्रह -मिनट तक चोदता रहा। फिर मेरा लंड भी नज़ीला भाभी की चूत में झड़ गया। लंड का पानी जब पूरा उनकी चूत में गिर गया तो मैंने लंड को बाहर निकाला। उनकी चूत खुल कर अंदर की गहरायी दिखा रही थी। हम दोनों जोर-जोर से साँसें ले रहे थे। फिर हम दोनों लिपट कर सो गये।
करीब तीन बजे मेरी आँख खुली तो नज़ीला भाभी सिर्फ सैंडल पहने बिल्कुल नंगी मुझसे लिपटी हुई सो रही थीं। मैंने फिर से उनकी चुदाई की और सुबह भी दफ़्तर जाने से पहले उनकी चुदाई की।
अब तो ये रोज़ का सिलसिला हो गया। हम रोज रात को शराब के एक-दो पैग पी कर चुदाई करने लगे। नज़ीला भाभी तो मेरे लंड पर फ़िदा हो चुकी थी और वो बेहद चुदासी थीं। हर वक्त चुदाई के मूड में रहती थीं। हम दोनों हर रात एक ही बिस्तर पर नंगे सोते और अलग-अलग तरह से चुदाई करते। कईं बार तो स्कूल के लिये निकलने वाली होती तो जाते-जाते भी अपनी सलवार और पैंटी नीचे खिसका कर झटपट चोदने को कहतीं। हर दूसरे दीन मैं उनकी गाँड भी मारता था। जब भी हम दोनों में से किसी को चुदाई का मन होता, घर के किसी भी हिस्से जैसे कि किचन, बाथरूम, ड्राइंग रूम में कहीं भी चुदाई शुरू हो जाती। शुक्रवार और शनिवार को तो हम जम कर शराब पीते और नशे में धुत्त होकर खूब चुदाई करते।
एक दिन नज़ीला भाभी की चचेरी ननद ज़हरा कुछ दिनो के लिये आयी। ज़हरा बत्तीस साल की थी और बेवा थी। वो अजमेर में किसी कॉलेज में प्रोफेसर थी और चंडीगढ़ में किसी वर्कशॉप के लिये महीने भर के लिये आयी थी। वो करीब पाँच फुट चार इंच लंबी थी और उसका जिस्म ज्यादा मोटा भी नहीं था और ज्यादा पतला भी नहीं था। ज़हरा बेहद खुबसूरत थी और ज्यादातर जींस और कुर्ता-टॉप पहनती थी। आधुनिक कपड़ों के बावजूद बाहर जाते वक्त ज़हरा सिर पे स्कार्फ जैसा हिजाब बाँधती थी। सब से ज्यादा आकर्षक उसकी गाँड थी। ऊँची हील की सैंडल
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