RE: Sex Kahani अमीना की कहानी
मैं रशीद के साथ साईट पर चली गयी। शाम को वापस आते हुए मैं रशीद के घर रुकी। उसकी बीवी एक दम दुबली-पतली, छरहरे जिस्म की थी और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत और गोरी थी। रशीद ने मुझसे कहा, “ये मेरी बीवी संजीदा है!”
संजीदा ने मुझे बिठाया और चाय बनाने जाने लगी तो रशीद बोला, “अमीना शाम के बाद चाय-कॉफी नहीं पीती... तू किचन से ग्लास और बर्फ ले आ... मैं पैग बना देता हूँ।”
थोड़ी देर बाद संजीदा ग्लास, बर्फ और सोडा ले आयी और रशीद ने व्हिस्की की बोतल निकाल कर दो पैग बनाये। मेरे जोर देने पर संजीदा ने भी पैग ले लिया और हम इधर-उधर की बातें करते हुए पीने लगे। दिन भर की थकान के बाद व्हिस्की बहुत अच्छी लग रही थी और मैंने जल्दी ही दो पैग पी लिये और जब रशीद तेरे लिये तीसरा पैग बनाने लगा तो मैंने इंकार नहीं किया। संजीदा तो पहला पग ही अभी तक पी रही थी।
उसके बाद मैंने संजीदा से कहा, “आज तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। आज रात को हम सब एक ही साथ डिनर करेंगे!” संजीदा तैयार होने लगी। जब वो तैयार हो कर मेरे पास आयी तो वो मेक-अप में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। मैं उन दोनों के साथ कार से घर आ गयी। घर पहुँचने पर मैं संजीदा को अपने बेडरूम में ले गयी और उस से बैठने को कहा। वो मेरे बेड पर बैठ गयी। रशीद भी संजीदा की बगल में बैठ गया। मैंने रशीद के सामने ही अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो संजीदा कभी रशीद को और कभी मुझे देखने लगी। मैंने ब्रा, पैंटी और हाई हील सैंडलों को छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये।
संजीदा बोली, “आपा, आप को रशीद के सामने कपड़े उतारने में शरम नहीं आती?”
मैंने कहा, “मेरे शौहर को गुजरे हुए छः महीने से ज्यादा हो चुके हैं। मैंने इन छः महिनों में कभी भी सैक्स का मज़ा नहीं लिया था। एक दिन मैंने रशीद से कहा तो मुझे मालूम हुआ कि इसका तो लंड ही नहीं खड़ा होता। मैं रशीद के सामने पहले भी एक दम नंगी हो चुकी हूँ। इसलिए मुझे शरम नहीं आती। मैंने अपनी सैक्स की भूख मिटाने के लिये एक नौकर रख लिया है। उसका नाम मोनू है। उसका लंड बहुत ही लंबा और मोटा है और वो बहुत ही अच्छी तरह से मेरी चुदाई करता है। मैं अपने कपड़े उतार कर मोनू से चुदवाने जा रही हूँ। मुझे ये भी मालूम है कि तुम अभी तक कुँवारी हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। उसके बाद अगर तुम्हारा दिल करे तो तुम भी उससे चुदवा लेना। आखिर तुम चुदवाने के लिये कब तक तड़पती रहोगी। इसी लिये आज मैं तुमको यहाँ ले आयी हूँ।”
संजीदा बोली, “मुझे शरम आयेगी।”
मैंने कहा, “काहे की शरम। जब मुझे तुम्हारे सामने चुदवाने में शरम नहीं आ रही है तो तुम क्यों शरमा रही हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। शायद तुम्हारा मन भी चुदवाने का करे। आखिर अब तुम्हें सारी ज़िंदगी रशीद के साथ ही गुजारनी है। रशीद को मैंने पहले ही समझा दिया है और उसे कोई ऐतराज़ नहीं है।”
संजीदा चुप हो गयी। मैंने एक ग्लास में व्हिस्की डाल कर एक तगड़ा सा पैग बना कर उसे दिया। “लो संजीदा... ये पीयो... तुम्हें अच्छा लगेगा और शरम भी चली जायेगी।”
मैंने मोनू से पहले ही कह रखा था की जब मैं उसे बुलाऊँगी तो वो एक दम नंगा ही मेरे पास आये। मैंने मोनू को पुकारा तो वो मेरे कमरे में आ गया। वो एक दम नंगा था। संजीदा ने जैसे ही उसका लंड देखा तो उसने अपना सिर झुका लिया। लेखिका: अमीना-काज़ी।
मैंने संजीदा से कहा, “अब क्यों शरमा रही हो। अब तो मोनू तुम्हारे सामने एक दम नंगा ही आ गया है। तुम देखो तो सही कि इसका लंड कैसा है।”
संजीदा ने अपना सिर ऊपर उठा लिया। वो मोनू का लंड देखने लगी। मोनू संजीदा के पास आया और बोला, “कैसा लगा मेरा लंड?”
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