RE: Sex Kahani अमीना की कहानी
मोनू ने एक टॉवल लपेट लिया और जा कर दरवाजा खोला तो रशीद ही था। मोनू रशीद के साथ मेरे पास आया। रशीद ने मोनू के सामने ही मुझसे पूछा, “कैसी रही चुदाई!” तो मोनू समझ गया था कि रशीद को सब कुछ मालूम है।
मैंने कहा, “इतनी अच्छी कि मैं बता नहीं सकती!”
रशीद बोला, “मोनू का लंड पसंद आया?”
तो मैंने कहा, “हाँ, बेहद पसंद आया!”
रशीद बोला, “कितनी दफ़ा चोदा मोनू ने?”
मैंने कहा, “मैंने तो बस पूरी मस्ती के साथ मोनू से खूब चुदवाया। मैं नहीं बता सकती कि इसने कितनी दफ़ा मेरी चुदाई की। तुम मोनू से पूछ लो, शायद ये बता सके!”
रशीद ने मोनू से पूछा तो उसने कहा, “बारह बार!”
रशीद ने कहा, “शाबाश मोनू, बस तुम इसी तरह अमीना की चुदाई करते रहो। अभी तो तुम्हें मेरी बीवी की चुदाई भी करनी है!” उसके बाद रशीद ने मुझसे पूछा, “मैं अपनी बीवी को कब ले आऊँ?”
मैंने कहा, “मुझे कल तक खूब जम कर चुदवा लेने दो। कल शाम को तुम अपनी बीवी को ले आना!”
रशीद ने मुझसे कहा, “मैं भी तुम्हारी चुदाई देखना चाहता हूँ। एक बार तुम मोनू से मेरे सामने चुदवा लो!”
मैंने मोनू को अपने करीब बुलाया। जब वो मेरे करीब आया तो मैंने उसका टॉवल एक झटके से खींच लिया। मोनू का आठ इंच का खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। रशीद उसके लंड को देखता ही रह गया। वो बोला, “मेरी बीवी तो अभी कुँवारी है। इसका इतना मोटा लंड उसकी चूत में कैसे घुसेगा!”
मैंने कहा, “जैसे पहली-पहली मर्तबा किसी मर्द का लंड किसी औरत की कुँवारी चूत में घुसता है!”
रशीद बोला, “उसे बहुत तकलीफ होगी!”
मैंने कहा, “वो तो हर औरत को पहली-पहली मर्तबा होती है।”
रशीद बोला, “उसे बहुत ज्यादा दर्द होगा और वो खूब चिल्लायेगी।”
मैंने कहा, “चिल्लाने दो उसे, उसके बाद उसको मज़ा भी तो खूब आयेगा।”
रशीद चुप हो गया और मेरे पास बैठ गया। मोनू ने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो मैं उसका लंड चूसने लगी। दस मिनट में ही मोनू का लंड एक दम लोहे के जैसा हो गया। मैं अपने चूत्तड़ रशीद की तरफ़ कर के डॉगी स्टाईल में हो गयी। मोनू ने अपना लंड एक झटके से मेरी चूत में घुसेड़ दिया तो मेरे मुँह से जोर की आह निकली। पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू मुझे चोदने लगा। रशीद बड़े ध्यान से मुझे मोनू से चुदवाते हुए देखता रहा। मोनू ने मुझे करीब पैंतालीस मिनट तक चोदा और फिर झड़ गया। मैं भी दो बार झड़ चुकी थी। मोनू ने जब अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैं मोनू के लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी। लेखिका: अमीना-काज़ी।
उसके बाद मैंने रशीद से कहा, “आज तुम अकेले ही साईट पर चले जाओ और मुझे चुदाई का मज़ा लेने दो।”
रशीद बोला, “ठीक है!” उसके बाद वो चल गया।
मैंने दूसरे दिन सुबह तक मोनू से दिल और चूत खोल के खूब चुदवाया। दूसरे दिन सुबह आठ बजे रशीद आ गया। मैंने मोनू को कुछ पैसे दिये और कहा, “तुम बाज़ार जा कर खूब अच्छी तरह से खा लेना। आज सारी रात तुम्हें रशीद की कुँवारी बीवी की चुदाई करनी है!”
वो मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है।”
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