Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
09-04-2017, 04:09 PM,
#26
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
डॉली- आह्ह.. उफ़फ्फ़ आपका लौड़ा मोटा है.. मज़ा आ गया.. ज़ोर से एक साथ पूरा घुसा दो ना आह्ह..

सुधीर ने लौड़ा पीछे किया और ज़ोर से एक झटका मारा.. पूरा लौड़ा जड़ तक चूत में समा गया।
डॉली- ओह्ह.. उफ़फ्फ़ चोदो आह्ह.. अब ज..ज़ोर से चोदो आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो.. आह्ह.. अपनी भी ख्वाहिस पूरी कर लो आह्ह.. चोदो..
सुधीर जोश में आ गया और रफ्तार से चोदने लगा.. एक कमसिन कली को चोदने के अहसास से ही उसकी नसों में उफान आ रहा था.. वो उम्र से ज़्यादा जोश दिखा रहा था.. लेकिन डॉली जैसी यौवना के आगे बुढ़ापा कहाँ तक रेस लगाता.. कुछ देर बाद वो थक गया और उसकी रफ्तार टूटने लगी।
डॉली- आह्ह.. आह क्या हुआ.. आह्ह.. रफ्तार से चोदो ना.. आह्ह.. प्लीज़ मज़ा आ रहा था.. आह्ह…
सुधीर चोदने के साथ-साथ उसके मम्मों को भी चूस रहा था। लौड़े की रफ्तार के साथ उसके मुँह की रफ्तार भी कम हो गई।
वो अब बिल्कुल झटके नहीं मार रहा था।
बस लौड़ा जड़ तक घुसा कर डॉली पर लेट गया। 
डॉली- हटो मेरे ऊपर से.. उफ़फ्फ़ सारा मज़ा खराब कर दिया.. छोड़ो ना आ प्लीज़ छोड़ो…
सुधीर ने लौड़ा चूत से निकाल लिया और बिस्तर पर ढेर हो गया।
सुधीर- आह्ह.. मेरी हिम्मत नहीं है अब… आजा तू ऊपर आजा.. कूद मेरे लौड़े पे आ..
डॉली ने बातों में समय खराब नहीं किया और झट से सुधीर के लौड़े पर बैठ गई और रफ्तार से कूदने लगी।
वो बहुत ज़्यादा उतेज़ित हो गई थी।
अब उसके बर्दाश्त के बाहर हो गया था.. और उसने इस अदा के साथ चुदना शुरू किया कि सुधीर ज़्यादा देर टिक ना सका और चरम पर पहुँच गया।
सुधीर- आह उहह.. ज़ोर से कूद आह्ह.. मेरा पानी आने वाला है.. आह…
डॉली- आहइ आहइ उईईइ कककक आह मेरा भी आह.. आने वाला है अयेए ईई…
दो मिनट बाद डॉली की चूत ने पानी का फव्वारा खोल दिया.. उसके साथ ही सुधीर भी आँखें बन्द करके झड़ने लगा.. मगर उसके लौड़े से बहुत कम पानी बाहर निकला और उसमें कोई रफ्तार भी नहीं थी।
डॉली- आ आह्ह.. मेरा हो गया उईइ आह्ह.. तुम भी जल्दी से पानी निकालो आह्ह..
सुधीर- उफ़फ्फ़ आह्ह.. मेरा निकल गया आह्ह.. अब उतर जाओ आह्ह..
डॉली नीचे उतर कर उसके लौड़े को देखने लगी जो बिजली की तेज़ी से छोटा होने लगा था और कुछ ही देर में वो सो गया।
डॉली- आह मज़ा आ गया.. लेकिन आपका पानी बहुत कम निकला.. मुझे पता भी नहीं चला.. कब निकल गया।
सुधीर- अरे तू क्या जाने.. इस उम्र में तेरी जैसी कमसिन कली को चोद लिया.. ये ही बहुत बड़ी बात है.. वरना इस उम्र में तो कोई 40 साल की औरत भी नहीं मिलती.. इतना पानी भी कहाँ से निकल आया.. पता नहीं।
डॉली- हाँ ये बात तो है.. मैंने तो सोचा था आपका खड़ा भी नहीं होगा मगर आपने तो मुझे संतुष्ट कर दिया.. पावर तो है आपके लौड़े में…
सुधीर- मैंने तो सोचा भी नहीं था.. तू ऐसी होगी.. एकदम पक्की रंडी जैसे चुदी है तू.. मगर मैं जानता हूँ.. तू रंडी नहीं है.. ज़्यादा चुदी हुई भी नहीं है मगर वो कौन ख़ुशनसीब है जिसने तेरी सील तोड़ी?
डॉली- है बस कोई भी.. आपको उससे क्या? आपने तो मज़ा ले लिया ना.. अब मुझे जाना होगा वरना मम्मी गुस्सा होगी।
सुधीर- एक बात कहूँ.. कभी भी मेरी किसी भी तरह की हेल्प की जरूरत हो, तो मुझे बोल देना.. मैं हमेशा तैयार रहूँगा और हो सके तो कभी-कभार इस बूढ़े के लौड़े का भी ख्याल रख लेना.. माना कोई तगड़ा लौड़ा तुम्हें मज़े देता होगा.. मगर मेरे लौड़े से भी कभी शिकायत का मौका नहीं दूँगा।
डॉली आगे बढ़ी और सुधीर को एक चुम्बन किया।
डॉली- आप चिंता मत करो.. जल्दी ही आपको दोबारा मज़ा देने आऊँगी और कभी कुछ काम होगा तो बता दूँगी.. ओके बाय.. मॉम गुस्सा करेगी।
सुधीर के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए.. वो खड़ा होकर कपड़े पहनने लगा। इधर डॉली ने भी कपड़े पहन लिए थे।
डॉली- अच्छा एक बात बताओ आप मुझे मलहम लगाने लाए थे.. उस समय आपके मन में क्या था? सच बताना।
सुधीर- अरे मैं झूठ क्यों बोलूँगा… सुनो उस वक्त मैंने सोचा कि तुम नादान लड़की हो इसलिए ऐसे बीच रास्ते में चूत खुजा रही हो.. मैंने मलहम की बात इसलिए कही कि अगर तुम मान जाओ तो मलहम लगाने के बहाने कम से कम तुम्हारी चूत को छूने का मौका मिल जाएगा और किसी तरह तुम्हें गर्म करके चोदने का ख्याल भी मन में था.. मगर तुम मेरी उम्मीद से ज़्यादा मस्त निकलीं।
डॉली- ओह्ह इतने गंदे ख्याल थे.. मन में.. चलो कोई बात नहीं.. अबकी बार आऊँगी तब इस बात का जवाब दूँगी.. अब जाती हूँ बाय..
सुधीर- अरे रूको.. मैं तुम्हें घर तक छोड़ आता हूँ।
डॉली- नहीं.. इसकी कोई जरूरत नहीं है.. आप यहीं रहो.. ओके बाय..
डॉली वहाँ से निकल गई और अपने घर की और बढ़ने लगी।
इधर ललिता रोटी बना रही थी और चेतन किसी काम में बिज़ी था.. तभी फ़ोन की घंटी बजी ललिता बाहर आई और फ़ोन उठाया।
सामने से डॉली की माँ थी।
ललिता- नमस्ते आंटी.. कैसी हो आप.. अब आपके भाई की तबियत कैसी है? आपके पास मेरे घर का नम्बर कहाँ से आया?
डॉली की माँ- हाँ अब ठीक है.. नम्बर तो तुमने फ़ोन किया था ना.. मेरे फ़ोन में कॉलर आईडी है.. उस पर नम्बर आ गया था और मैंने लिख लिया था.. तुम कैसी हो?
ललिता- अच्छा ये बात है.. हाँ मैं ठीक हूँ.. कैसे फ़ोन किया आपने?
डॉली की माँ- बेटी वो डॉली को भेज दो.. मैंने सोचा वो आ जाएगी.. मगर अब तक नहीं आई.. मैंने उसे कहा भी था कि हम शाम तक आ जाएँगे।
ललिता के चेहरे का रंग उड़ गया था क्योंकि डॉली को गए एक घंटा होने को आया था जबकि रास्ता इतना लंबा नहीं था.. वो कुछ बोलना चाहती थी मगर उसकी आवाज़ गले में अटक गई।
डॉली की माँ- अरे लो आ गई.. अच्छा बेटी मैंने तुमको ऐसे ही परेशान किया.. अच्छा रखती हूँ।
डॉली भाग कर अपनी माँ से चिपक गई और प्यार करने लगी। उसकी माँ ने भी उसका माथा चूमा और बस इधर-उधर की बातें करने लगी।
इधर ललिता सकते में आ गई कि आख़िर डॉली इतनी देर तक कहाँ थी।
चेतन- अरे जानेमन कहाँ खो गईं जल्दी से रोटी बनाओ, भूख लग रही है.. उसके बाद तुम्हारी ठुकाई भी करनी है।
ललिता- अरे कर लेना मेरे राजा.. मगर ये डॉली इतनी देर कहाँ थी।
चेतन के पूछने पर ललिता ने सारी बात बता दी।
चेतन- अरे कोई फ्रेंड रास्ते में मिल गई होगी.. उसके साथ कहीं चली गई होगी या बाहर खड़े-खड़े वक्त निकल गया होगा.. तू ज़्यादा सोच मत.. कल उससे पूछ लेना.. चल अब खाना बना…
ललिता उसी सोच में रसोई में चली गई। खाना तैयार करके वो कमरे में ले गई और दोनों ने बड़े प्यार से एक-दूसरे को खाना खिलाना शुरू कर दिया।
दोस्तों ये तो पति-पत्नी हैं इनका प्यार तो रोज का है.. चुदाई भी रोज होती है.. चलो आपको आगे ले चलती हूँ।
रात में चेतन ने 3 बार ललिता की चूत और गाण्ड का मज़ा लिया और दोनों नंगे ही सो गए।
सुधीर से चुदवा कर डॉली को रात अच्छी नींद आई सुबह बड़ी मुश्किल से उसकी मॉम ने उसे उठा कर स्कूल भेजा। स्कूल के गेट पर आज सिर्फ़ मैडी ही खड़ा हुआ था जैसे ही डॉली आई.. उसने हल्की मुस्कान दी.. बदले में डॉली भी मुस्कुरा दी।
मैडी- डॉली तुमने कोई जवाब नहीं दिया.. सोमवार को आओगी ना?
डॉली- आ तो जाऊँगी.. मगर तुम्हारे दोस्त मुझसे कोई बदतमीज़ी ना करें इसकी गारन्टी दो पहले…
मैडी- अपनी माँ की कसम ख़ाता हूँ कोई कुछ नहीं कहेगा.. बस तुम आ जाना प्लीज़…
डॉली- ओके पक्का आ जाऊँगी.. आज गुरुवार है ना.. अभी तो बहुत दिन बाकी हैं ओके बाय…
डॉली गाण्ड को मटकाती हुई स्कूल में चली गई मैडी वहीं खड़ा बस उसकी गाण्ड को देखता रहा।
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