Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
09-04-2017, 04:05 PM,
#23
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
डॉली ने स्कूल से लेकर जन्मदिन तक की बात ललिता को बता दी।
ललिता- हाँ पक्का.. वो तुझे चोदना चाहते हैं मत जाना उनके पास.. अगर तुझे सच में मज़ा लेना है तो उनको ये अहसास मत होने देना कि तू चुदना चाहती है.. तब जाना.. मगर ऐसी-वैसी कोई चीज़ मत खाना.. वरना होश में नहीं रहेगी और वो तेरे मज़े ले लेंगे.. तुझे कुछ मज़ा नहीं आएगा।
डॉली- नहीं दीदी अभी मेरा चुदने का ऐसा कोई इरादा नहीं है.. अगर कभी मन हुआ भी तो उनके पास नहीं जाऊँगी.. किसी तरह उनको मेरे पास बुलाऊँगी।
ललिता- हाँ ये एकदम सही रहेगा.. चल उनकी बात छोड़.. ये बता रात को कितनी बार चुदाई की तुम लोगों ने?
डॉली ने रात की सारी बातें ललिता को बताईं.. सुनते-सुनते ललिता अपनी चूत मसलने लगी।
ललिता- डॉली तू बड़ी कमाल की आइटम है.. एक ही दिन में इतनी बार चुदी.. बड़ी हिम्मत वाली है रे तू.. तेरी बातें सुनकर मेरी चूत गीली हो गई।
डॉली- अच्छा.. दिखाओ तो.. अभी रस चाट कर आपको मज़ा दे देती हूँ।
ललिता- अरे नहीं.. चेतन आता ही होगा.. पहले साथ खाना खाएँगे.. उसके बाद मज़ा करेंगे।
थोड़ी देर में चेतन भी आ गया.. तीनों ने खाना खाया और थोड़ी बातें की, जब ललिता ने चुदाई की बात की तो चेतन ने मना कर दिया।
उसने कहा- डॉली के इम्तिहान करीब हैं इसको पढ़ाई में ध्यान देने की खास जरूरत है।
ललिता- लेकिन चेतन आज ही ये यहाँ है.. कल से तो बस शाम को आएगी।
चेतन- देखो अनु मैं एक आदमी होने के साथ-साथ एक ज़िम्मेदार टीचर भी हूँ और डॉली को पास कराना मेरी ज़िमेदारी है। ये सब कभी भी कर लेंगे.. मगर इम्तिहान में फेल हो गई तो इसका साल बर्बाद हो जाएगा।
चेतन की बात ललिता के साथ डॉली भी अच्छे से समझ गई।
ललिता- ठीक है.. मैं बर्तन साफ कर देती हूँ.. आप इसे पढ़ाओ।
शाम के 5 बजे तक चेतन जी-जान से उसको समझाता रहा.. ललिता भी काम ख़त्म करके उनके साथ बैठ गई।
डॉली- आहह कमर अकड़ गई.. बैठे-बैठे.. अब मुझे जाना चाहिए मॉम-डैड भी आते ही होंगे और सर थैंक्स.. आज अपने मुझे बहुत अच्छे से सब समझाया।
चेतन- हाँ.. अब तुम जाओ.. मन तो बहुत था तेरी चूत मारूँ.. मगर आज नहीं.. कल शाम को आओगी, तब पढ़ाई के साथ चुदाई भी करूँगा.. ओके अब तुम जाओ…
डॉली ने चेतन को एक चुम्बन किया और ललिता के गले लग कर कान में धीरे से बोली।
डॉली- सर का बड़ा मन है चोदने का.. अब आप मेरे जाने के बाद मज़े करना… उनके लौड़े को मेरी तरफ़ से भी थोड़ा चूसना ओके…
ललिता बस मुस्कुरा देती है और डॉली वहाँ से चली जाती है।
चेतन- क्या बोल रही थी कान में.. वो?
ललिता- मेरे राजा.. आपने उसे इतने प्यार से चोदा कि आपके लौड़े की दीवानी हो गई है वो.. जाते-जाते भी आपका लौड़ा चूसना चाहती थी मगर आपके मना करने के कारण मुझे बोल कर गई है कि उसकी तरफ से मैं आपके लौड़े को चुसूँ।
चेतन- अच्छा अगर उसका इतना मन था.. तो एक बार जाते-जाते चुसवा देता.. चल अब गई तो जाने दो.. वैसे भी कल रात को तुम सो गई थीं.. आज पूरी रात तुम्हें चोद कर भरपाई कर दूँगा.. आ जाओ मेरी जान.. कमरे में चलकर थोड़ा आराम कर लें.. पूरी दोपहर बैठ कर थक गए हैं।
दोनों कमरे में जाकर लेट जाते हैं। ललिता चेतन की पैन्ट का हुक खोलने लगती है।
चेतन- क्या बात है.. अभी चुदना है क्या..? मैं समझा रात को आराम से करेंगे।
ललिता- चुदना नहीं है.. बस डॉली की बात याद आ गई.. थोड़ा लंड चूसने दो ना.. उसकी बात टालने का मन नहीं कर रहा।
चेतन ने भी उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई और लौड़ा बाहर निकाल लिया। ललिता उसको चूसने लगी।
दोस्तों ललिता को लौड़ा चूसने दो.. चलो हम डॉली के पास चलते हैं वो अब तक घर पहुँची या नहीं..
डॉली चुपचाप जा रही थी इत्तफ़ाक की बात देखिए उसी जगह पर आज भी एक कुत्ता और कुतिया की चुदाई चालू थी।
डॉली उनको देखने लगी मगर आज उसको होश था कि वो रास्ते में है.. इसलिए उसने चारों तरफ देखा कि कोई आ तो नहीं रहा ना…
वो रास्ता अक्सर सुनसान ही रहता था इसलिए वो वहीं खड़ी होकर कुत्ता-कुतिया की चुदाई देखने लगी।
तभी सामने से वो ही बूढ़ा आदमी आता हुआ दिखा.. उसे देखते ही उसके दिमाग़ में चेतन की बातें घूमने लगीं कि बूढ़े लौड़े में कहाँ जान होती है।
सारी बातें उसे याद आ गईं.. तब डॉली को शरारत सूझी.. उसने जानबूझ कर अपनी चूत पर हाथ लगा कर खुजाने लगी..
वो आदमी पास आया।
डॉली ऐसे बर्ताव कर रही थी.. जैसे उसको पता ही ना हो कि कोई उसे देख रहा है। 
बूढ़ा- अरे आज फिर यहाँ खड़ी होकर खुजा रही हो.. मैंने कहा ना मेरी बात मान लो.. मेरे साथ चलो मलहम लगा दूँगा.. ठीक हो जाओगी…
डॉली- अरे आप कब आए और क्या सच में.. आपके पास ऐसी मलहम है?
बूढ़े के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई थी।
बूढ़ा- हाँ बेटी.. मेरी बात का यकीन कर.. मुझसे डर मत.. चल यहीं पास में ही मेरा घर है.. आज तेरी खुजली का पक्का इलाज कर दूँगा।
डॉली ने सोचने का नाटक किया और मन ही मन बोलने लगी।
डॉली- बुड्डे.. तुझसे कौन डर रहा है तू क्या बिगाड़ लेगा मेरा.. मैं तो आज तेरा हाल बिगाड़ दूँगी.. आज के बाद तू किसी को मलहम लगाने का नाम नहीं लेगा।
बूढ़ा- बेटी क्या सोच रही है.. चल ना मेरे साथ…
डॉली ने हल्की मुस्कान दी और बूढ़े के साथ हो गई.. रास्ते में बूढ़े ने सामान्य बातें की।
‘कहाँ रहती हो..? पढ़ाई कैसी है..? इस वक्त कहाँ पढ़ने जाती है..?’
बस इन सब बातों में ही बूढ़े का घर आ गया.. जो एक आलीशान कोठी थी।
डॉली- वाओ अंकल.. आपका घर तो काफ़ी बड़ा है.. कौन-कौन रहता है यहाँ?
बूढ़ा- मेरा नाम सुधीर मोदी है.. चौक पर जो होटल है.. वो मेरा है.. मेरे दो बेटे अमेरिका में हैं उनकी फैमिली भी वहीं रहती है.. यहाँ मैं अकेला हूँ बस…
डॉली- ओह.. आप अकेले बोर नहीं हो जाते.. आप के बेटे आपको अकेला क्यों छोड़ गए.. आप भी चले जाते उनके साथ वहीं…
सुधीर- नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. यहाँ मुझे अच्छा लगता है.. मेरी पत्नी के मरने के बाद मेरे बेटे मुझे साथ ले जा रहे थे मगर मैं ही नहीं गया.. बस सुबह से शाम तक होटल में वक्त निकल जाता है.. रात को घर पर आराम करता हूँ.. ऐसे ही जिन्दगी चल रही है।
डॉली- आपके घर का काम कौन करता है.. आप खाना कहाँ खाते हो?
सुधीर- अरे सारी बात यहीं करोगी क्या? चलो अन्दर आ जाओ वहाँ आराम से बात करेंगे।
दोनों अन्दर चले जाते हैं. अन्दर का नजारा देख कर डॉली चौंक जाती है। हॉल में एक तरफ लकड़ी का बड़ा सा काउंटर लगा था.. उस पर बहुत सी शराब की बोतलें रखी हुई थीं और वहाँ काफ़ी आलीशान सोफे वगैरह रखे थे।
सुधीर- यहाँ बैठो.. मैं कुछ खाने को लाता हूँ।
डॉली- नहीं.. उसकी कोई जरूरत नहीं है आप यहाँ बैठो.. मुझे आपसे बातें करना अच्छा लग रहा है और कुछ बताओ ना अपने बारे में…।
सुधीर- सुबह फ्रेश होकर सीधा होटल जाकर ही नाश्ता करता हूँ। फिर एक औरत शांति आ जाती है.. उसके पास घर की दूसरी चाबी है। वो घर की साफ-सफ़ाई, कपड़े धोना ये सब काम निपटा कर चली जाती है। उसके बाद दोपहर का खाना भी वहीं ख़ाता हूँ शाम को हल्का नाश्ता करके घर आ जाता हूँ..। रात को बस कुछ नमकीन के साथ शराब पीता हूँ और सो जाता हूँ.. यही है मेरी जिन्दगी।
डॉली- छी: छी:.. आप शराब पीते हो.. कितनी बुरी बात है।
सुधीर- अरे इसमें क्या बुराई है.. ये तो बहुत लोग पीते हैं.. चल जाने दे इन सब बातों को.. जिस काम के लिए तुझे यहाँ लाया हूँ.. वो कर लेते हैं।
डॉली- क..कौन सा काम.. मुझे जाना होगा.. बहुत देर हो गई है।
दोस्तों उस वक्त तो डॉली ने शरारत के चक्कर में मलहम लगवाने की बात पर ‘हाँ’ कह दी थी और यहाँ आ गई थी।
मगर अब उसको घबराहट होने लगी थी और होनी भी चाहिए उसकी उम्र ही क्या थी अभी…
सुधीर- अरे यहाँ तू मलहम लगवाने आई है ना.. बस लगवा ले और चली जा.. मैं कुछ नहीं करूँगा.. मुझसे ऐसे डर मत..
डॉली को फिर से चेतन की बात याद आ गई कि बूढ़े का लौड़ा खड़ा नहीं होता है और हो भी जाए तो कुछ कर नहीं सकता।
बस डॉली में थोड़ा हौसला आ गया।
डॉली- मैं डर नहीं रही हूँ और आपसे किस बात का डर.. आप कर भी क्या सकते हो?
सुधीर- चल सारी बातें जाने दे.. मैं ट्यूब ले आता हूँ फिर तुझे मलहम लगा दूँगा।
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