RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
ललिता बस उसको देखती रही और डॉली अपने काम में लगी रही। अब उसने ब्रा के हुक खोल दिए और अपने रस से भरे हुए चूचे आज़ाद कर दिए।
चेतन का तो हाल से बहाल हो गया और होगा भी क्यों नहीं.. ऐसी मस्त जवानी को.. वो अपने सामने नंगा होते देख रहा था।
अब उसने अपनी पैन्टी भी निकाल दी। सुनहरी झाँटों से घिरी गुलाबी चूत अब आज़ाद हो गई थी।
ललिता तो बस उसके यौवन को देखती ही रह गई.. मगर जब उसकी नज़र झाँटों पर गई।
ललिता- अरे ये क्या… इतनी मस्त चूत पर ये झांटें क्यों..? मेरी जान ऐसी चूत को तो चिकना रखा करो ताकि लौड़ा टच होते ही फिसल जाए।
डॉली सवालिया नजरों से ललिता की ओर देखती है।
ललिता- अरे पगली चूत पर जो बाल होते हैं उन्हें झांट कहते हैं। अब इतना भी नहीं पता क्या और कभी इनको साफ नहीं किया क्या तुमने?
डॉली- दीदी अब आप के साथ रहूँगी तो सब सीख जाऊँगी और इनको साफ कैसे करते हैं? मैंने तो कभी नहीं किया..
ललिता- ओह्ह.. तभी इतनी बड़ी खेती निकल आई है.. वैसे मानना पड़ेगा गुलाबी चूत पर ये सुनहरी झांटें किसी भी मर्द को रिझाने के लिए काफ़ी हैं लेकिन मुझे तो चूत को चिकना रखना ही पसन्द है। जब पहली बार चेतन ने मेरी चूत देखनी चाही थी.. मैंने भी झांटें साफ नहीं की हुई थीं। किसी तरह बहाना बनाकर दूसरे दिन एकदम चकाचक चमकती चूत उसको दिखाई थी। वो तो देखते ही लट्टू हो गया था।
डॉली- ओह दीदी.. आप भी ना बेचारे सर को अपने जाल में फँसा लिया हा हा हा हा!
ललिता- अरे पगली सारे मर्दों को चिकनी चूत बहुत पसन्द आती है और खास कर तेरी जैसी कच्ची कली की चूत तो चिकनी ही रहनी चाहिए.. चल सबसे पहले तुझे झांटें साफ करना सिखाती हूँ।
डॉली- ठीक है दीदी.. कहाँ चलना है अब?
ललिता- अरे कहाँ का क्या मतलब है.. बाथरूम में… चल तू वहाँ कमोड पर बैठ जाना.. मैं साफ कर दूँगी।
डॉली- ओह्ह.. दीदी आप कितनी अच्छी हो जो मुझे सब सिखा रही हो।
ललिता- अच्छा एक बात तो बता.. तू 18 साल की हो गई है तुझे वो तो आती है ना.. मेरा मतलब मासिक धर्म जो हर महीने आता है।
डॉली- हाँ दीदी इसका मुझे पता है लेकिन जब मैं 13 साल की थी मुझ पेट में बहुत दर्द हुआ.. बुखार भी हो गया.. दो दिन तक ऐसा चला.. तब माँ ने मुझे सब समझाया कि अब तुझे पीरियड शुरू होंगे.. तू खून देख कर डरना मत.. बस उस दिन से सब पता चल गया।
ललिता- चल कुछ तो पता चला तुझे.. आ बैठ यहाँ.. मैं अभी वीट लगा कर तेरी चूत को चमका देती हूँ।
डॉली- दीदी बाथरूम का दरवाजा तो बन्द करो.. कोई आ गया तो?
ललिता- अरे यार घर में सिर्फ़ हम दोनों हैं और कमरे की कुण्डी बन्द है ना.. कोई कैसे आएगा..? अब चुपचाप बैठ जा यहाँ।
डॉली इसके बाद कुछ नहीं बोली.. 15 मिनट में ललिता ने उसके चूत के बाल के साथ-साथ उसके हाथ-पाँव के भी बाल उतार दिए।
उसको एकदम मक्खन की तरह चिकना बना दिया।
ललिता- वाउ अब लगी ना… ‘सेक्सी-डॉल’.. चल अब बाहर आजा.. आज तुझे चूत का मज़ा देती हूँ।
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