RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
ललिता के चेहरे पर एक कामुक मुस्कान आ गई।
ललिता- अरे मेरी मासूम बहना.. सील का नहीं पता.. अब सुन तेरी चूत में अन्दर एक पतली झिल्ली है.. उसे सील कहते हैं… जब पहली बार लौड़ा चूत में जाता है ना.. तब लौड़े के वार से वो झिल्ली टूट जाती है। उसी को सील तोड़ना कहते हैं।
डॉली- ओह्ह.. अच्छा और रस?
ललिता- तू सुन तो सही यार.. देख जब लड़का मम्मों को चूसता है.. यानी निप्पल को चूसता है तब उसमें से आता कुछ नहीं मगर उसको और लड़की को मज़ा बहुत आता है.. बस लड़का उसी को रस कहता है।
डॉली- अच्छा ये बात है.. मगर सच कहूँ अब भी ये बात मेरी समझ के बाहर है।
ललिता- मेरी जान ऐसे तो तू कभी कुछ नहीं सीख पाएगी.. देख इसका आसान तरीका यही है कि मैं तुम्हें प्रेक्टिकल करके समझाऊँ तभी तू कुछ समझ पाएगी।
डॉली- हाँ दीदी ये सही रहेगा।
ललिता- तो चल कमरे में चल कर अपने सारे कपड़े निकाल.. मैं भी नंगी हो जाती हूँ, तभी मज़ा आएगा।
डॉली- छी.. नहीं दीदी.. मुझे बहुत शर्म आ रही है… मैं आपके सामने बिना कपड़ों के कैसे आऊँगी?
ललिता- अरे यार तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे मैं कोई लड़का होऊँ? यार.. मैं भी तो नंगी हो रही हूँ ना.. और तेरे पास ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं है.. अब चल।
बेचारी डॉली क्या बोलती.. चल दी उसके पीछे-पीछे।
कमरे में जाकर ललिता ने कहा- तू दो मिनट यहीं बैठ मैं अभी आई।
डॉली- दीदी सर तो नहीं आ जाएँगे ना और प्लीज़ उनसे कुछ मत बताना.. वर्ना स्कूल में उनके सामने जाने की मेरी हिम्मत ना होगी।
ललिता- अरे तू पागल है क्या.. ऐसी बातें किसी को बताई नहीं जाती और चेतन तो बहुत सीधा आदमी है.. तभी तो तुमको मेरे पास ले आया ताकि मैं तुझे ठीक से समझा सकूँ.. अब चल तू बैठ.. मैं अभी आई।
दोस्तो, कहानी को रोकने के लिए माफी चाहती हूँ मगर एक बात आपको बताना जरूरी है कि उस दिन चेतन ने ललिता से क्या कहा था डॉली के बारे में?
अब तक आपको लग रहा होगा चेतन को कुछ पता नहीं इस बारे में.. आप वो जान लो फिर कहानी में एक नया ट्विस्ट आ जाएगा।
उस दिन स्कूल से जब चेतन घर आया।
ललिता- अरे आओ मेरे पतिदेव क्या बात है बड़े थके हुए लग रहे हो।
चेतन- नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.. तुमसे एक बात करनी है बैठो यहाँ।
ललिता वहीं सोफे पर बैठ जाती है और चेतन उसको डॉली के साथ हुई पूरी बात बता देता है।
ललिता- हे राम इतनी भी क्या नादान है वो लड़की… जो ये सब नहीं जानती? और तुमने शाम को उसे यहाँ क्यों बुलाया? क्या इरादा है मुझ से मन भर गया क्या.. जो उस कमसिन कली को समझाने के बहाने भोगना चाहते हो?
चेतन- अनु तुम भी ना.. बस बिना मतलब की बकवास करने लगती हो.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है.. बस वो आए तब उसे तुम समझा देना और कुछ नहीं…
ललिता- ओह्ह.. ये बात है… अच्छा मान लो अगर वो तुमसे चुदवाना चाहे तो क्या तुम अपना लौड़ा उसकी चूत में डालोगे?
ललिता की बात सुनकर चेतन का बदन ठंडा पड़ गया और डॉली को चोदने की बात से ही उसका लौड़ा पैन्ट में तन गया जिसे ललिता ने देख लिया।
चेतन- क्या बकवास कर रही हो तुम..? मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा।
ललिता- ओए होये.. मेरा राजा.. ये नखरे कुछ नहीं करोगे तो ये लंड महाराज क्यों फुंफकार रहा है हाँ?
चेतन ने पैन्ट में लौड़े को ठीक करते हुए ललिता की तरफ़ घूर कर देखा।
ललिता- अच्छा बाबा ग़लती हो गई बस.. मगर एक बात कहूँ अगर वो खुद चुदवाने को राज़ी हो जाए तो मुझे कोई दिक्कत नहीं यार.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ और जानती हूँ एक कच्ची कली को चोदने का सपना हर मर्द का होता है.. अब मुझसे क्या शर्माना।
चेतन- अच्छा ठीक है.. सुनो.. डॉली बहुत सुन्दर है.. मानता हूँ कि उसको देख कर कोई भी उसको भोगने की चाहत करेगा मगर तुम तो जानती हो मैं कोई गली का गुंडा नहीं जो छिछोरी हरकतें करूँगा.. हाँ अगर वो खुद से राज़ी हो और तुम्हें कोई दिक्कत ना हो तब मैं उसे जरूर चोदना चाहूँगा।
चेतन की बात सुनकर ललिता के होंठों पर एक क़ातिल मुस्कान आ गई।
ललिता- ये हुई ना बात.. अब बस तुम अपनी अनु का कमाल देखो.. कैसे मैं उस कच्ची कली को लाइन पर लाती हूँ ताकि वो आराम से तुमसे चुदने को राज़ी हो जाए।
दोस्तो, यह थी उस दिन की बात और डॉली के सामने चेतन बाहर जरूर गया था मगर दूसरे दरवाजे से अन्दर आकर उनकी सारी बातें उसने सुन ली थीं।
अब आज क्या हुआ चलो आपको बता देती हूँ।
ललिता कमरे से निकल कर दूसरे कमरे में गई जहाँ चेतन पहले से ही बैठा था।
ललिता- काम बन गया.. अब सुनो मैं उसके साथ थोड़ा खेल लेती हूँ… तुम खिड़की से उसके नंगे जिस्म को देख कर मज़ा लो.. ओके.. अब मैं जाती हूँ वरना उसको शक हो जाएगा।
चेतन- ओके मेरी जान.. जाओ आज तुमको भी कच्ची चूत का रस पीने को मिल जाएगा हा हा हा हा।
ललिता- धीरे हँसो.. वो सुन लेगी.. अब मैं जाती हूँ।
डॉली- ओह दीदी आप कहाँ चली गई थीं।
ललिता- अरे कुछ नहीं.. अब चल.. हो जा नंगी.. मस्ती का वक्त आ गया है।
डॉली- आप भी निकालो.. दोनों साथ में निकालते हैं।
ललिता ने तो नाईटी पहनी हुई थी और अन्दर कुछ नहीं पहना था झट से निकाल कर बगल में रख दी।
डॉली- हा हा हा दीदी आप भी ना अन्दर कुछ नहीं पहना और आपके मम्मों को तो देखो कितने बड़े हैं।
ललिता- मेरी जान तेरी उम्र में मेरे भी इतने ही थे.. ये तो चेतन ने दबा-दबा कर इतने बड़े कर दिए।
डॉली- दीदी आप भी ना कुछ भी बोल देती हो.. सर ने क्यों दबाए.. उम्र के साथ बढ़ गए होंगे।
ललिता- अरे पगली तू उम्र की बात करती है तुम से कम उम्र की लड़की के मम्मों को तुझ से बड़े मैंने देखे हैं अब क्या कहेगी तू?
डॉली- सच्ची दीदी.. मगर ऐसा क्यों?
ललिता- अरे पगली तेरे सर ने इनको दबा-दबा कर इनका रस चूसा है। वे कहते थे कि आम का स्वाद आता है।
डॉली खिलखिला कर हँसने लगती है।
ललिता- अब हँसना बंद कर और निकाल अपने कपड़े।
डॉली ने पहले अपनी टी-शर्ट निकाली तब सफेद ब्रा में से उसके नुकीले मम्मे ब्रा को फाड़कर बाहर आने को बेताब दिखने लगे।
चेतन खिड़की पर खड़ा ये नजारा देख रहा था।
ललिता- वाउ यार.. क्या मस्त मम्मे हैं.. अब ज़रा इन्हें आज़ाद भी कर दे।
डॉली बस मुस्कुरा कर रह गई और उसने पैन्ट का हुक खोल कर नीचे सरकाना शुरू किया.. तब उसकी गोरी जांघें बेपरदा हो गईं और सफेद पैन्टी में उसकी फूली हुई चूत दिखने लगी।
|