RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--20
गतान्क से आगे…………………………………….
मैने कहानी शुरू की तो दोनो भी मस्त ध्यान लगाके कहानी सुनने लगी… जैसे ही कहानी आगे बढ़ने लगी वैसे वो लोग और मशगूल हो गये…. अभी कहानी मे नाटकीय पड़ाव आया जिसमे लड़का लड़की को ढूँढ रहा है बीच घने जंगल मे और वो उसे मिल नही रही है… थोड़ा सा डरावना प्रसंग था...
इतने मे मालंबंती और नसरीन मेरे बाजू आई मैने कहा – क्या हुआ
दोनो – डर लग रहा है
मैं – अरे येतो सिर्फ़ कहानी है
नसरीन- नही पर ये डरावनी है
मालंबंती - हम दोनो आपके पास बैठे?
मैं – क्यू
नसरीन – आप के पास आपका हाथ पकड़ कर बैठेंगे तो हमे डर नही लगेगा… दादी जब हमे कहानी सुनाती है और हम डर जाते है तो हम उनका हाथ थाम के बैठ जाते है
मैं – ठीक है ….आओ बैठो मेरे पास
दोनो एक एक बाजू से मुझसे चिपक गयी… वैसे ही मेरे शरीर मे लहर दौड़ गयी… उन हसीन जवान स्पर्शा ने मेरे अन्ग अन्ग मे ज्वाला लगा डाली… मैं सोचने लगा इस अवस्था मे हवेली मे मुझे किसीने देख लिया तो मेरे तो लग जाएँगे.. मैं बोला – एक काम करो ये दरवाजा बंद कर लो
नसरीन – हाँ मुझे भी ऐसे ही लग रहा है क्यू कि ऐसा लगता है कि दरवाजे के बाहर से कुछ तो आवाज़े आ रही है
मालंबंती उठी और गांद हिलाते हुए जाके दरवाजा बंद कर दिया अब मैं निश्चिंत हो गया. अभी ये दोनो मुझसे कितनी भी चिपके मुझे कोई फ़र्क नही पड़नेवाला था.. मेरा लंड नीचे अभी सलामी देने लगा था…
हम तीनो साथ मे बैठ गये वैसे मैने आगे कहानी बताना शुरू किया, जैसे ही कहानी आगे बढ़ी मैने कहानी मे और थोड़े डरावने किस्से डाल दिए इस वजह से वो दोनो मुझसे और चिपक गयी…
नसरीन ने अपना सर मेरे बाए कंधे से पूरी तरह चिपका लिया मानो जैसे कंधे पे रख दिया हो… उसकी वो गरम साँसे मुझे उत्तेजित करने लगी. मेरी छाती पे उसकी हर एक गरम साँस मेरी शर्ट को भेदकर हलचल मचाने लगी…. उसके वो मुलायम गाल मुझसे कुछ इंच की दूरी पे थे… पर मैने अपने पे काबू रखा हुआ था….
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