RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--19
गतान्क से आगे…………………………………….
अब तीनो थोड़े सुस्त हो गये और अपने कपड़े पहेन के निकल लिए… उनके पीछे ताइजी का पति निकल गया और अब बस बची थी मैनी जी - वो हल्केसे उठी उसने अपनी सारी के पल्लू से बुर से निकल रही लार को पोछा और सारी पहेन ली और ब्लाउस चढ़ा लिया ….और निकलने लगी… बोरियो का सहारा लेते हुए हल्के हल्के वो पिछले दरवाजे की तरफ बढ़ रही थी…. उसकी चाल से ये ज़रूर पता चल रहा था कि इस चुदाई ने उनकी चूत की लगा डाली है…. धीरे धीरे वो दरवाजे पे पहुचि और दरवाजा बाहर से खिच लिया… बाहर से कड़ी लगाने की आवाज़ आई थोड़ी देर मे गाड़ी जाने की आवाज़ आती रही..
मैं जहाँ छुपा था बोरियो के उपर वही था… और सोच रहा था कि ऐसा कौनसा राज़ होगा जिसके कारण कॉंट्रॅक्टर बाबू की पत्नी – मैनी जी इस चुदाई के लिए तैय्यार हो गयी…. और ताइजी के पति का उन तीनो के पास क्या काम था जो उसने मैनी जी को उनसे चुदवाया…
बाहर बहुत अंधेरा था, मैं बोरियोसे नीचे उतरा… गोदाम के बाहर निकाला और हवेली की तरफ चल दिया. हवेली पहुचते पहुचते 8 बज गये मैं फ्रेश होके बैठा ही था कि मालंबंती – कॉंट्रॅक्टर बाबू की छोटी लड़की आई और मुझे खानेपे बुलाया है कह के चली गयी…
मैं रसोई घर मे पहुचा, सब लोग बैठे थे मैने नीचे गर्दन की और जाके अपनी जगह पे बैठ गया… तभी
रावसाब बोले – और कैसे चल रहा है काम?
मैं- काम ठीक चल रहा है....
राव साब – तुम्हे वसूली का काम भी सौंपा है मैने सुना है?
मैं – हां…..
राव साब – अच्छा काम है …..मेहनत लगन से करोगे तो बहुत कुछ पाओगे
इस बात पर कॉंट्रॅक्टर बाबू और वकील बाबू राव साब की तरफ देख के आँखे मिचकाने लगे और हल्केसे हस्ने लगे…
ताइजी का पति भी वही बैठा था पर वो इन साबो की बातो पर ध्यान ना देते हुए खाना खा रहा था… मैनी जी दिख नही रही थी लग रहा था कि जबरदस्त चुदाई के कारण विश्राम करने गयी हो… ताइजी भी नही थी कही पे कल रात की चुदाई की वजह से उनकी भी हालत पतली होगी शायद…. और उसमे उन्हे पता भी नही था कि उसे चोदा किसने है…..
मैने बाकी महिलाओ पे नज़र डाली, छोटी बहू मेरे लिए खाने की प्लेट लेके आई… वो मस्त पल्लू वाली सारी पहनी हुई थी… और उसमे उसकी गांद के उभार और ज़्यादा घुमावदार लग रहे थे…. मैने एक नज़र सब पे डाली…. तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ चमका…. किसी के तो निपल स्पष्ट मेरे दिमाग़ मे चमके…. मैने धीरे फिर नज़र घुमाई तो देखा छोटी बहू ने ब्रा नही पहनी थी और पीले रंग के ब्लाउस मे से उसके निपल चमक रहे है…. छोटी बहू की तरफ एक बार फिर देखा उसने मुझे हलकीसी आँख मारी …और आँख मारते मारते अपनी चुचियो की तरफ इशारा किया…
मैं चुपचाप नीचे देख कर खाना ख़ाता रहा, मुझे अक्सर लगता था कि सभी औरतो की नज़रे इस घर मे मेरे पे ही टिकी रहती है… इसलिए मैं उपर देखना टालता था पर जब भी कोई सब्जी या रोटी देने आता तो अपनी बड़े बड़े आमो का दर्शन दिए बिना नही जाता और अक्सर ज़्यादा टाइम तक मुझे दर्शन मिलता…
थोड़ी देर मे रसोईघर मे नलिनी आई…वोही नलिनी जिसको खुद अपने बाप-वकील बाबू और बाप जैसे दूसरे राव साब ने चलती गाड़ी मे चोदा था….
मैने देखा कि जैसे ही वो आई कॉंट्रॅक्टर बाबू बैचेन हो गये…… उनकी बैचैने का राज़ मुझे भली भाँति पता था ….वो सीधे पीछे चली गयी हाथ धोके आई और जहाँ पे बाकी लड़किया बैठी थी वही बैठ गयी… इधर लड़कियो के बारे मे एक विशिष्ट बात ऐसी थी कि वो ब्रा मतलब कमीज़ के अंदर कुछ भी नही पहनती थी…. इसीलिए उनके दूध जैसे ही वो चलने लगती उछलने लगते…. और मस्त लय ताल मे अपने दर्शन देने लगते…. फिर सामने वाला बूढ़ा भी क्यू ना हो उसका उठना ही उठना है….
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