RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
मेरे दिमाग़ मे एक ख़याल आया क्यू ना इसकी गोरी गान्ड मारी जाए…. मैने अपने लंड बाहर निकाला उसकी गांद का छेद पूरा सिकुदा सा और पूरी तरह बंद था
मैने किसान को बोला -कि इसके दोनो चूतरो को फैला तो
उसने पूछा: क्यू बाबूजी वो बोला
मैं: क्यू कि मुझे इसकी गांद मारनी है ….
वो बोला: बाबूजी उधर मत डालना उधर इसने कभी लिया नही है
मैं : तो क्या हुआ अब ले लेगी
वो : बाबूजी चाहे तो आप मेरी ले लो पर इसकी मत लो इसको इस चीज़ का ज़रा भी अनुभव नही है
मैं: पहली बार जब तूने इसकी बुर मे लंड डाला था तो क्या इसको अनुभव था …नही ना …फिर
वो : ठीक है बाबूजी जैसा आप कहे
उसने अपने बीवी के सामने से आके उसकी घोड़ी पे चढ़के उसके गांद को फैला दिया… मैने अपन लंड उसके छेद पे रखा और सवारी की तैय्यारि करने लगा ….
मैने एक दो बार प्रयत्न किया पर कुछ फ़ायदा नही हुआ …लंड सटके जा रहा था …छेद बहुत ही छोटा था… मैने उसे उसपे थूकने को कहा वो 2-3 बार थूकने पर भी लंड नही गया
मैने उसे अंदर जाके तेल की सीसी लाने को बोला, वो थोड़ी देर मे तेल ले आया हमने मिलके उसके बीवी के गांद के छेद पे अच्छे तेल पोत दिया और निशाना लगाया…. चिकनाई के कारण इस बार सूपड़ा थोड़ा अंदर चला गया.. और उधर उसकी बीवी चिल्लाने हिलने लगी “बाहर निकालो….बहुत बड़ा है ….”
मैने बोला : अभी तो ये बाहर नही निकलेगा अभी बस ये अंदर ही जाएगा
और मैने अपने आप को ठीक करके सूपदे को अंदर घुसा दिया.. वैसे ही उसकी गांद मेरे लंड पर सिकुड़ने लगी…मेरा लंड एक दम पक्का बैठ गया था थोड़ी भी हिलने की जगह नही थी और उसकी हालत बहुत ही खराब हो रही थी वो सिर्फ़ बाहर निकालो मर गयी मर गयी बोल रही थी…
मैने लंड को एकबार बाहर निकाला और थोड़ा तेल डालके फिरसे घुसा दिया इस बार ज़ोर्से धक्का मारा वैसे ही वो ज़ोर्से आगे सरक गयी….. उसके पति ने उसे आगे पकड़े रखा और मैने फिर ज़ोर्से धक्का मारा …गांद फॅट गयी
उसकी…मेरा आधा लंड उसकी पकई और ना चुदी गांद मे पूरा जम गया और आगे जाने की राह ढूँढने लगा …वो पागलो की तरह चिल्लाने लगी पर उसे पकड़े होने के कारण वो ज़्यादा हिल नही सकती थी….. मैने भी पीछे नही देखा और उसके पिछवाड़े को पेलने लगा …अपनी गति बढ़ा दी मेरी कमर अभी अच्छी ख़ास्सी हिल रही थी …उसका पति असमंजस से देख रहा था …अभी उसकी आवाज़े थोड़ी कम हुई… उसकी गांद को मेरे लंड ने थोड़ा ढीला कर दिया था इसलिए शायद…. वो साँसे ले रही थी और अपनी गांद को थोड़ा थोड़ा ढीला छोड़ रही थी …वैसेही मैने पूरा लंड एक दम घुसा दिया ….वो एक दम आगे सरक गयी और मेरे लंड को फटक से बाहर छोड़ नीचे बैठ गयी और मुझसे नही होगा नही होगा….. ये बहुत बड़ा बहुत बड़ा लंड है मैं मर जाउन्गि चिल्लाने लगी पर अब उसके पति ने ही उसे मनाया…
और फिर घोड़ी बना दिया… मैने अपना नाग बिल मे घुसा दिया और उसकी अनचुदी गांद को फिरसे मस्त चोदने लगा… उसका मुँह पूरा लाल लाल हो गया था गांद सूज गयी थी…. उसे थोड़ा हिलने पर भी तकलीफ़ हो रही थी …. गांद जो फॅट गयी थी उसकी…. दस बारह धक्को के बाद मैं उसकी गांद मे ही ढेर हो गया और नीचे दबा के उसके पीठ पे ही गिर पड़ा… वाह क्या मज़ा आया था इस वसूली मे बहुत ही ज़्यादा मज़ा था …
क्रमशः...................
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