RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अंदर जाके मैने देखा कि वो किसान और उसकी धर्मपत्नी जो अपने छोटे बच्चे को दूध पिला रही थी… बैठे थे… सामानेवाले आदमी ने जब बोला कि ये सेठ जी के यहाँ से आए है तो वो उठा खड़ा हुआ ..और मुझे “आइए आइए बाबूजी..” बैठने को बोला. अंदर जाके पानी लेके आया, उसकी बीवी उधर ही मेरे सामने बैठे बिना कुछ लाज शरम किए बच्चे को दूध पिला रही थी… जैसे कोई उसके सामने कोई है ही नही..
मैं : तुम्हारे 12 हज़ार रुपये आने बाकी है
किस्सान: हाँ बाबूजी
मैं : सेठ जी ने मुझे पैसे लेने भेजा है
किस्सन: बाबूजी पैसे तो नही है
मैं: फिर कब मिलेंगे
किस्सन : फसल निकलने पे मिलेंगे बाबूजी
मैं: सेठ जी ने मुझे आज ही पैसे लाने को कहा है
किस्सन : मैने बहुत जुगाड़ करना चाहा बाबूजी पर कुछ बना नही बाबूजी
सामने खड़ा हुआ आदमी मुझे इशारा करके निकल गया…. किसान की बीवी के मम्मे मस्त थे… बहुत बड़े नही थे पर बहुत ही गोल और छोटे छोटे टमाटर की तरह उसके छाती से चिपके हुए थे….
किसान फिर बोला: बाबूजी कुछ जुगाड़ कीजिए… इसबार सेठ जी को मना लीजिए कि मैं पैसा फसल निकलने पे दे दूँगा
मैं : अरे भाई मेरी अभी अभी नौकरी लगी है… मैं ऐसे खाली हाथ जाउन्गा तो सेठ जी क्या कहेंगे… मैं भी एक नौकर हू मालिक नही
किसान: पर आप उन्हे मना सकते है …कुछ तो कीजिए बाबूजी
उतने मे उसकी बीवी उठी और अंदर चली गयी… वो मेरे पास आके बैठ गया… मैं उसे क्या बोलू कुछ समझ नही आ रहा था…. उसने मेरे जाँघो पे हाथ रख दिया… और हल्केसे सहलाने लगा…. मैं गरम होने लगा…. मतलब ये सेठ जी का पैसा ना चुकाने के बदले कुछ तो देना चाह रहा था….
मैं भी इसी खोज मे था कि अगर पैसा नही दे रहा है तो कुछ और तो दे सकता है जैसे कि कुछ सामान वमान… पर ये तो पूरा चालू निकला साला …अपनी गांद ही दे रहा था … मेरे से पूरा सॅट कर बैठ गया…. जाँघोसे घुमा के उसने अपना हाथ अभी मेरी पॅंट के बीचोबीच लाया और सहलाने लगा….
थोड़ी देर मे मेरा तंबू बड़ा हो गया… और उसने मेरे तंबू को अपने हाथो से और अच्छे सहलाना शुरू किया… मुझे तो मुफ़्त मे मेज़वानी मिल रही थी…. उतने मे उसकी बीवी आ गयी… और मेरे दूसरे बाजू बैठ गयी…. इतना सॅट के बैठ गयी कि उसकी एक चुचि मेरे हाथ को चिपक रही थी….
इधर इसने मेरा चैन खोला और मेरा लॉडा एक क्षण मे मुँह मे भर लिया….. और चूसने लगा… मैने भी उसके बीवी के साथ रति क्रीड़ा शुरू की और उसके दूध से भरे मम्मो को दोनो हाथो से रगड़ने लगा….. उसने अपना ब्लाउस खोल दिया और एक मम्मा मेरे मुँह मे दे दिया …. मम्मे को मुँह मे लेके मैने अपना ट्रेन वाला सफ़र याद किया जिसमे मैने छोटी बहू के मम्मो मे से दूध पिया था…. मैं देखते ही देखते उसकी चुचियोसे दूध चूसने लगा…ऐसे कि मानो सालो का भूका हू…
नीचे उसका पति मेरा लंड मुँह मे लेके चूसे जा रहा था. पूरा लंड उसने अपने मुँह मे भर लिया था और गोटियो के साथ खेलते खेलते चुसाइ का मज़ा ले रहा था… उसकी थूक मेरे पूरे लंड पे फैल गयी थी…. मज़ा बहुत आ रहा था …उपर दूध और नीचे चुसाइ ….स्वर्ग मे रहने आया हू बल्कि यही स्वर्ग है ऐसा प्रतीत हो रहा था …..
चुसाइ के बाद मैने उसकी बीवी को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी सारी उपर उठा दी…. साड़ी उसकी पीठ पे चढ़ गयी मैने पीछे से जाके उसके बुर मे उंगली डाली… मस्त बुर थी …. जाने किस जमाने से बल निकाले नही गये थे …बालो मे छिप सी गयी थी ….. मैने 2-3 उंगलिया घुसाई… उधर वो मेरा लंड नीचे सहला रहा था …मैने उसे बाजू किया और घोड़ी बनी उसकी बीवी पे चढ़ा… और उसकी बुर मे उसके पति के थूक से लिच्पिच लंड घुसा दिया…. और पेलने लगा …उसके चूतर मस्त हिलने लगे….
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