RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--17
गतान्क से आगे…………………………………….
वकील बाबू ने उंगलियो का नृत्य बंद करके ताइजी की घोड़ी बनाई, दो हाथ उसे पकड़ा, उल्टा किया सर दीवान के सामने वाले बाजू पे रखा और अपने सूपदे की चमड़ी को पीछे करके उसपे थोड़ी सी थूक लगा डाली, सूपड़ा लाल काले रंग पर चमक रहा था …. वकील बाबुने ताइजी की गांद को दोनो हाथो से फैलाया… और निशाना लगा डाला…ताइजी के मुँह से चीख सी निकल गयी…वकिलबाबू प्रहार करते रहे अपनी कमर को आगे पीछे करते रहे …ताइजी चुदति रही ..कुछ तो बड़बड़ा रही थी …उन्हे शायद और दारू चाहिए थी ….. ताइजी की गांद एक दम मस्त हिल रही थी ….दीवान से कुई कुई की आवाज़ निकल रही थी …..लगभग 5 मिनट के बाद वकिलबाबू ढेर हो गये और पूरी वीर्य ताइजी की नदी मे छोड़ दिया ….ताइजी के उपर गिर पड़े…और बोले “तुझे चोदने के लिए क्या क्या नही करना पड़ता रंडी …. पर तुझे चोदने मे जो मज़ा है उसके सामने कुछ भी फीका है ….” उनका लंड बुर से बाहर निकल आया…बुर से वीर्य रस की गंगा बह रही थी … आधे से अधिक चादर दारू और वीर्य की वजह से गीला हो चुका था और ताइजी को पता भी नही था कि यहाँ पर क्या हो रहा है और कैसे उनका एक एक भाई उनकी ले रहा है ….
मेरी चादर मे पॅंट के अंदर पता नही कितनी बार तंबू बने और तंबू उखड़ गये….वकील बाबू दीवान से उठ खड़े हुए एक बॉटल मे थोड़ी सी दारू बाकी थी वो पी ली और कपड़े पेहेन्के चुपकेसे दारवाजा खोल के निकल गये…..
अभी जैसे कि कंट्रेटरबाबू और वकील बाबू अपना अपना काम करके चले गये थे, मुझे पूरी आशंका थी अभी और कोई नही रावसाब ही आएँगे…. पर बहुत टाइम होनेपर भी कोई नही आया…. उधर ताइजी थोडिसी नींद मे थी और तभी भी थोडिसी बड़बड़ा रही थी…. उसकी बुर पे हुए प्रहार से उन्हे मज़ा और सज़ा दोनो मिल रही थी… बुर पूरी तरह से सूजी थी …लाल लाल दिख रही थी …बुर के होठ तो ऐसे लग रहे थे जैसे खून छोड़ रहे है इतने लाल थे …उसके उपर वो मुलायम रेशमी बॉल एक दम आकर्षक और मस्त दिख रहे थे….. और उसमे उनके गोल मटोल बड़े बड़े लाल लाल निपल वाले दूध मेरी काम अग्नि को और जला रहे थे…..
बहुत वक़्त होने पर भी कोई नही आया.. मैं सोच रहा था कि अभी कोई तो आएगा पर बहुत वक़्त होनेपर कोई नही आया…. दरवाजा खुला ही था …. मैं सोच रहा था मैं भी हाथ सॉफ करलू…. वीर्य की वो खुशबू पूरे कमरे मे घूम रही थी और उससे मैं पूरा पागल हो गया था…. कब जाके ताइजी के उपर मैं चढ़ु ऐसे मुझे हो रहा था पर मैं यहा हू ये बात जो छुपी थी वो मैं छुपी ही रहने देना चाहता था इसलिए कुछ कदम उठाए बिना अपने लंड की नाराज़गी सहते हुए पड़ा ही रहा था….
लगभग एक घंटा हुआ पर कोई नही आया, अब मेरे मे हिम्मत आ गयी थी… पूरी सावधानी से मैं उठा और जाके दरवाजे को बंद कर दिया…. अपनी पॅंट उतार दी और अपने लंड थोड़ा सा सहलाया और जाके ताइजी के मम्मे पकड़ लिए… उनके वो चूतर और वो मम्मे मुझे कभी छोड़ने का मन ही नही कर रहा था… उनके मम्मे गोल मटोल और इतने रसभरे थे कि मैं उनको दांतो मे पकड़ के चूसने लगा, मम्मो के निपल्स पे दाँत के निशान गढ़े थे और निशान हल्के फुल्के नही बल्कि बहुत ही अंदर तक गये थे…. निपल्स पूरे उभर कर कठोर हो रखे थे. मैं एक एक करके चुसता गया वाह क्या आनंद था उन मम्मो को चूसने का…..
मैने अब वक़्त जाया नही किया औरअपने नाग को थोडिसी थूक लगाई और बुर के प्रवेष्द्वार पे रख के ताइजी की दोनो टाँगे जितना फैला सकता था उतनी फैला दी… प्रवेष्द्वार पहले से ही बहुत सारे वीर्य रस से चिकना हो रखा था… मुझे थूक भी लगाने की ज़रूरत नही थी…उलटा बुर से ही उलटी गंगा बह रही थी जिसमे अब मैने देर ना करते हुए अपने लंड को पेल दिया और एक ही झटके मे आधा लंड बुर मे घुसा दिया…. वाह वाहह…अजब ….मस्त ……लाजवाब….. दिलखुश…. मन खुश … क्या अनुभव था ऐसा लग रहा था कि लंड इस जनम मे इस बुर से फिर कभी नही निकालु…..मैं हल्के हल्के लंड को पेलने लगा और एक हाथ से बुर के रेशमी बालो को सहलाने लगा क्या अदभुत क्षण था वो….
मेरा लंड अंदर जाते ही धक्को से पच्चक पच्छाक आवाज़ होने लगी मैने अपनी गति बढ़ा दी और लंड को ताइजी के चूतरो को हाथ मे पकड़ के बुर की आखरी सीमा तक घुसने लगा पूरा लंड अंदर जाने से ताइजी की आवाज़ अब ज़रा ज़्यादा निकल रही थी… और उससे उसका हुस्न और मस्त और लुभावना लग रहा था ….. मैं पेलता रहा… कुछ देर बाद मैं ताइजी पे गिर पड़ा और अपनी पिचकारी ताइजी की बुर मे रंग दी….. मुझे अंदर बहुत दबाव महसूस हुआ क्यू कि उसमे पहलेसे ही बहुत सारा रस भरा था …मैने अपने लंड को बाहर निकाला और ताइजी के पेटको पोछ के थोड़ा साफ किया और उनके मुँह के पास जाके उनके होटोसे लगा के होंठो को और रस भरित कर दिया…. क्या मज़ा आया था ….जिंदगी मे सबसे ख़ास चुदाई मे एक ये चुदाई थी…..
अब ताइजी पूरी तरह रस से भर गयी थी उनके हर एक अंग पर वीर्य ही वीर्य लगा हुआ था बालो मे वीर्य की बूंदे गिरी थी और उन्हे इस बात का ज़रा भी ख़याल नही था….. अब मैं क्या करूँ इस बात का मुझे ठिकाना नही था … क्यू कि सबेरे जब वो उठेगी तो मुझसे कुछ ना कुछ तो ज़रूर पूछेगी….?
मैने उनकी ब्रा पहेना के, उपर से ब्लाउस चढ़ा दी….. ब्लाउस के उपर से एक बार उनके मम्मो को चूस लिया और थोड़ा आगे पीछे करके उनके पूरे अंगो को सारी ढक दिया…
और अब मैं आके अपने दीवान पे शांति से सो गया… मैं पूरी तरह खुश हो गया था ताइजी की बुर मे अपना पानी छोड़ के…जिसकी गंध अभी भी पूरे कमरे मे घूम रही थी…..ऐसे ही सोते सोते मैं कब सो गया पता ही नही चला
सबेरे जब मैं उठा तो लगभग 7 बज गये थे. मैं उठ कर नीचे जाके नहा धो लिया और सेठ जी के साथ काम पे चल दिया…
आज मुझे खुदसे काम करना था… सेठ जी ने मुझे एक बड़ी लिस्ट दे दी और बोले कि ये लोग है जिनके कुछ पैसे आने है तुम ड्राइवर को साथ लेके जाओ और इन सबसे पूछ के आओ के पैसे कब देनेवाले हो…
मैं पैसे वसूलने के लिए निकल पड़ा, पहला कोई किसान था…मुझे ड्राइवर ने बोला कि ये जो किसान है ये बहुत ही स्याना है…. पैसे होनेपर ऐयाशी करता है…. इसके पास पैसे होनेपर भी सेठ जी का पैसा नही देता …जो भी इसके पास पैसे माँगने जाता है वो वापस से सेठ जी के पास उसे थोड़ा टाइम दे दो कहके बिना पैसे वैसे ही आता है …… थोड़ी देर मे हम जब उसके घर के पास पहुचे तो पाया कि उसका घर नदी के उस पार है उस पूल पे से गाड़ी नही जा सकती. मैने ड्राइवर को नदी के उस पार ही गाड़ी को संभालते हुए बैठने को बोला और मैं वो छोटे से पूल को पार करके उसके घर के पास पहुचा… नदी मे थोड़ा पानी था जो कि धीरे धीरे बह रहा था …. आजूबाजू हल्की हल्की हरियाली थी…. उस किसान का घर ठीक ठाक ही था… मैने उधर खड़े आदमी को पूछा कि इस नाम का व्यक्ति इधर रहता है तो उसने हां मे जवाब दिया… और मुझे उस घर के अंदर लेके गया…..
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