RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
वो दीवान से उठा और फिरसे दरवाजे की तरफ जाके एक बड़ी कील को दरवाजे मे घुसा के अच्छे से बंद कर लिया…. वो फिर मेरे पास आके दीवान पे बैठा और चादर को मेरे मुँह की तरफ धकेला… मुँह पे पूरी चादर थी मेरा मुँह पूरा ढका गया.. मैं कुछ समझ नही पा रहा था… उसने एकदम फटाक से मेरी पॅंट को नीचे खिचा…. फिर मेरे निक्कर को भी नीचे खीच के मेरे काले पहाड़ को हाथ मे ले लिया और गपक कर मुँह मे भर लिया… मैं दंग रह गया पर मज़ा आ गया…वो बहुत ही कसा हुआ खिलाड़ी मालूम हो रहा था उसने पूरा लंड एक ही बार मे मुँह मे ले लिया और अपने मुँह मे अंदर तक घुसा दिया.. मेरा पूरा लंड मुँह मे जाने की वजह से उस की साँसे फूल गयी और कुछ पल बाद उसने आधे अधिक उसे बाहर निकाल दिया…. और अपनी लार उस पे टपका के चाटने लगा मैं सातवे आसमान पे था मुझे नही पता था कि आदमी भी औरत का मज़ा दे सकता है… वो मेरे सुपरे की चमड़ी अपने मुँह के अंदर बड़ी आसानी से उपर नीचे करके अपनी जीब से घिस रहा था…. अब वो मेरी गांद के नीचे हाथ डाल के मेरे निचले शरीर को उपर उठाते हुए लंड को मुँह मे अंदर ही अंदर भर रहा था… मेरा बालो का जंगल उसकी नाक मे दस्तक दे रहा था… उसकी साँसे फूली जा रही थी पर रुक ने का कुछ भी नाम नही था… घ्घ्घ्घ्ग्गाअताक्क्क…. गुपप्प्प्प….गाअत्ट….गगगगगगगग…..गुपप्प्प्प्प्प्प्प्प गुपप्प्प गुपप्प्प्प्प्प्प्ुउुुऊउक्
ककककककक…गगगगगगज्गगगग्गगुउुुुुउउप्प आवाज़े आ रही थी …मैं अपने आप को पूरी तरह नियंत्रण मे रखे हुए था
इतने मे उसने मेरे काले घोड़े को मुँह से निकाला और मेरी गोटियो को हाथ मे पकड़ के उनको तान के उनपर थुका.. और अपनी जीब उन पर फेरने लगा.. जीब फेरते फेरते उसने मेरी दोनो गोटियो को मुँह मे भर लिया और उनके साथ मुँह मे मस्ती करने लगा… जैसे वो गोटियो के साथ पकड़ा पकड़ी का खेल रहा हो मेरी गोटियो को बहुत ही मस्त मस्साज़ मिल रहा था….. गोतिया बाहर निकाल के वो मेरे मुण्ड पे थूकने लगा उसकी वो गाढ़ी थूक को वो फिर चाट के पूरे लंड पे पसार देता…. मेरा अभी रुकना नामुमकिन के बराबर था.. इतने मे उसने अपनी नाक मेरी दो गोटी के बीच की चमड़ी पे रगड़ना शुरू किया और एक हाथ मेरे सूपदे की चमड़ी को हिलाने लगा.... उसका वो कोमल चेहरा मेरे लंड महाराज से टकराने लगा … मेरा नियंत्रण अभी छूटने वाला था…
तभी उसने फिरसे मेरा लंड मुँह मे भर लिया और चूसने लगा… मैं चरम सीमा लाँघ चुका था… मैने अपनी मलाई उसके मुँह के अंदर ही छोड़ना चालू किया…. वैसे ही उसने मेरे लंड से निकलती पूरी मलाई को अपने जीब पे जमाए रखा और धीरे से निगलने लगा…..वो निगलता गया और मैं छोड़ता गया… मा कसम क्या मज़ा आया था…. उसने मेरे लंड को पूरी तरह चाट लिया….
तभी किसीकि दूर से आहट सुनाई दी उसने मेरी पैंट और चड्डी को उपर उठा दिया और मेरी चादर ठीक कर दी. और फाटक से जाके दरवाजे से कील निकाल ली और जाके बाजुवाले दीवान पे सो गया…
मैं अभी संभल गया था और कुछ समझ पा रहा था… इसका मतलब ये था कि रमिता और रजिता का बाप था ये… ताइजी का पति परमेश्वर.. पर ये तो लंड की तलाश मे था… मेरे सर मे बहुत सारे प्रश्नो का कोलाहल मच गया….
उतने मे दरवाजा खुला और ताइजी अंदर आ गयी. उन्होने मेज पे रखी मोमबत्ती जला दी…
मोमबत्ती के प्रकाश मे ताइजी का वो चिकना चेहरा, टमाटर जैसे लाल लाल गाल और चुचिया अति उभरकर दिखने लगी… उन्होने सफेद ब्लाउस को ठीक किया…
मैने पीछेसे देखा तो मुझे ब्लाउस के अंदर का अंतरवस्त्र(ब्रा) कीपत्तिया नही दिखी मतलब ताइजी ब्रा निकाल के आई थी… लाल सारी और सफेद ब्लाउस मे वो काम की देवी दिख रही थी…. उनके माथे का सिंदूर तो और भी चमक रहा था….
ताइजी ने बाल खोल दिए…उनके वो लंबे बाल ठीक गांद के उभार तक जाके गांद से चिपक गये .. ताइजी अपने पति के बाजू दीवान पे लेट गयी….. ताइजी का पति खिड़की के बाजू मे था उनके बाजू ताइजी और दूसरे दीवान पे मैं था… उन्होने लेटते ही अपनी सारी का पल्लू उन्होने अपनी चुचियो से हटा दिया.. और मैं देखते रह गया….
क्या दूध थे… एक से एक …तरबूज की तरह… पूरा दिन उनमे मुँह घुसाए रखो ऐसे….एक दम कड़क और मोटे….सीधी पीठ पे सोने से वो पहाड़ के जैसे उँचे उँचे ….चुचियोसे चूचुक आसमान को पुकार रहे थे ..
चूचुक(निपल्स) बड़े बड़े गुलाबी गुलाबी अंगूरो की तरह दिखने लगे…. ताइजी अभी मेरे बाजू मुँह कर के सोई… वैसे उनके वो दोनो चूचुक मेरे तरफ निसाना करके मुझे निमंत्रित करने लगे…. इससे मेरे लंड महाराज फिरसे उठने की कोशिश करने लगे और इससे थोड़ा मेरे लंड को दर्द होने लगा.
क्रमशः...................
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