RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अब आदेश तो आदेश…वैसे भी अकेले सोने से अच्छा किसिके साथ सोना चाहिए चुदाई के ज़्यादा आसार रहते है... मैं ताइजी के पीछे उनके मुलायम सारी के अंदर के चूतादो का नाप लेते लेते उनके साथ पहला माला चढ़ने लगा, जैसे ही वो पैर उपर रखती चूतड़ मस्त सुर ताल ले मे हिलता और मज़ा आ जाता….
मैं – आपका कमरा कौन्से माले पे है
ताइजी – तीसरे माले पे
मैं – इतना उपर क्यू
ताइजी – मुझे पसंद है…. उपर शान्ती होती है और उपर से सब गाव भी दिखता है ठंडी हवा आती है इसलिए
हम एक बड़े कमरे मे पहुच गये…कमरे मे दो दीवान-पलंग, एक बड़ी मेज, 2-3 कुर्सियाँ, सजने सवरने के लिए एक बड़ा आयना बहुत कुछ था…. ताइजी ने दूसरे पलंग पर पड़ा हुआ बिस्तर थोड़ा ठीक ठाक किया मैं वही खड़ा उनके दूध को और चूचुक(निपल) की मस्ती को देख रहा था… वो चादर डाल रही थी… इससे उनकी चोलिसे उनके मुलायम दूध बाहर आनेकी नाकाम कोशिश कर रहे थे… वो पीछे पीछे आ रही थी… अचानक उनकी बड़ी गांद मेरे जाँघोसे टकरा गयी…
ताइजी – अरे मैने देखा ही नही… माफ़ करदेना
मैं – अरे माफी क्यू.. आप हम से बड़े हो ऐसा मत बोलिए
ताइजी – (हस के)ठीक है… (और बिस्तर ठीक करने लगी)
वाह क्या चेहरा था क्या रुतबा था उस अदा मे, क्या कम्सीन अदा थी … सेठानी की पूरी जवानी और गरमी ताइजी मे उतरी थी… जब वो रास्ते से चलती होगी तो सबके लंड लार ज़रूर टपकाते होंगे…
ताइजी – ये हो गया तुम्हारा बिस्तर तैय्यार अभी तुम सो सकते हो आराम से..( उन्होने हॅस्कर कहा)
मैने हां भरी और पलंग पर गिर गया…
ताइजी बोली – थोड़ी ही देर मे रमिता, रजिता के पिताजी भी आ जाएँगे
मैं – रमिता, रजिता????
ताइजी – ये मेरी दो प्यारी और नटखट बेटियाँ है…जल्द ही मिलवाउंगी मैं तुम्हे उनसे… मैं नीचे जाके आती हू तुम सोजाओ और कुछ लगे तो चंपा को आवाज़ देना
ताइजी नीचे चली गयी… मेरा मान आज सेठानी और छोटी बहुको बहुत याद कर रहा था और याद कर रहा था वो हर एक पल जो मैने उनकी चुदाई करते हुए ट्रेन मे बिताए थे… पर यहा मुझे जागरूक रहना था.. सब परिस्तिथि का अंदाज़ा लेने के बाद ही मैं अपना असली रंग दिखानेवाला था क्यू कि किसिको पता नही चलना चाहिए था कि मैं क्या चीज़ हू नहितो मेरी पूरी आमदनी, नौकरी और पता नही क्या क्या जाना संभव था…
मैने आँख बंद की पर लंड महाराजा चादर को अपनी करतूतो से उपर उठा रहे थे… मैने उपर हाथ रखा पर इससे वहाँ पहाड़ बन गया… मैं एक बाजू पे सोने की कोशिश करने लगा पर वैसे मुझे जल्दी नींद नही आती थी….
लगभग आधा पौना घंटे के बाद कमरे मे किसीकि आहट हुई… दरवाजा बंद हुआ मैं जाग रहा पर आँखे बंद थी… मैने हल्केसे आँखे मिचमिची करके देखा कोई आदमी था… वो मेरे दीवान के पास खड़ा रहा.. काफ़ी अंधेरा था… वो 2-3 मिनट खड़ा रहा और फिर दरवाजा बंद करके मेरे पलंग पे बैठ गया.. मेरे मुँह की अपोजिट दिशा मे…
अब हल्केसे उसने मेरी गांद पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा… मैं अंदर हॅकबॅक्का रह गया… मुझे इस तरह कभी किसी पुरुष ने स्पर्श नही किया था… पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया पर थोड़ा अच्छा भी लगने लगा… वो गांद को सहलाते सहलाते मेरी जाँघो तक पहुच गया और उन्हे सहलाने लगा.. मेरे मन मे एक गुदगुदी होने लगी… मुझे पता नही पर मज़ा आ रहा था….
तभी उसने मेरा एक हाथ पकड़ा मैने भी पता नही क्यू… बेझिझक अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.. और अपनी चड्डी मे घुसा दिया और मेरे हाथो को अचानक से कुछ गरम लगा.. वो उसका लंड था.. वो मेरा हाथ उसके लंड पे रखके उपर से अपना हाथ रख के हिलाने लगा… उसका लंड बड़ा ही छोटा लग रहा था पर गरम बहुत था… मेरा लंड पूरा तन गया था पर इसका बिल्कुल ही छोटा सा क्यू था… उसका लंड गरम तो लग रहा था पर अभी भी सोया हुआ था और बहुत ही छोटा, बस करीब 2 इंच तक का लग रहा था…
|