RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
मैं इतना बड़ा परिवार अभी तक कही नही देखा था… अभी लगभग 7.30 बज रहे थे और खाना खाने का टाइम हो गया था… सब लोग सिवाय सेठ जी और सेठानी के, खाना खाने के लिए रसोईघर मे आ गये… रसोई घर बहुत ही बड़ा था और उधर 3-4 नौकरानी खड़ी थी…. नौकरानिया भी एक से एक खूबसूरत और भरी हुई थी…मुझे पूरा यकीन था कि रावसाब और बाकियोने इन सुंदरियोका मज़ा ज़रूर चखा होगा….राव साब हाथ धोने का बहाना करके रसोईघर के पीछे जाने लगे और जाते जाते एक नौकरानी की चुचि को ज़ोर्से चुटकी निकाल ली, हाथ धोके वापस आ गये…. सब लोग बैठ गये राव साब, वकील बाबू, कॉंट्रॅक्टर बाबू और मास्टर जी और मैं एक साथ एक साइड बैठ गये और हमारे सामने बाकी लोग बैठ गये तभी घर की सारी औरतो ने रसोईघर मे प्रवेश किया.
एक से एक बहुए थी सेठ जी की …. मा कसम क्या रूप था उनका….सफेद देसी घी की तरह उनका वो रंग… वो बड़ी बड़ी चुचिया…मैं तो सोच रहा था कि इनकी बुर कैसी होगी, उनके चुतताड़ो पे मैं अपना लंड घीसूँगा तो क्या स्वर्ग आनंद आएगा.... मेरा मन खाने से उड़के इनको चोदा कैसे जाए इस सोच मे लग गया. मैं सिर्फ़ छोटी बहू को जानता था और सेठानी को… बाकी सबके लिए मैं अंजान था… पर सेठानी ने सभी महिलाओ को मेरे बारे मे बताया था इसलिए मुझे सब जानते थे शायद….
हमारे सामने ताइजी के पति भी बैठे थे वो शांति से खा रहे थे… लग ही नही रहा था कि ताइजी के पति है वो रूपवती और ये छिछोरा…. मतलब रंग रूप मे वो गोरा था पर शरीर एकदम मध्यम था इसलिए ताइजी को जच नही रहा था….
खाना खाते खाते बहुत मज़ा आ रहा था जब भी कोई रोटी परोसने आता था तो मैं अपनी मुंदी उपर करके उनकी चोली के अंदर झाँक कर रसीली चुचीयोको हल्केसे देखता था…और जब जाती थी तब उनके चूतादो को निहार रहा था… मेरा लंड इस वजह से संभोग क्रिया पूर्व ही पानी छोड़ रहा था
तभी कॉंट्रॅक्टर बाबू बोले- “खाने मे आज क्या है…”
ताइजी बोली- “आम का रस…और लस्सी है और भी बहुत कुछ है.”
कॉंट्रॅक्टर बाबू ताइजी जो उनकी बहेन थी उनसे बोले “आम का रस है फिर मीठा तो होगा ज़रूर”
ताइजी बोली- “एक बार चख के देख लो….. पता चल जाएगा मीठा है या कड़वा…”
कॉंट्रॅक्टर बाबू- “2 दिन पहले ही चखा था इन्ही आमो का रस… बहुत ही मीठा लगा था तुम्हारे आमो का रस…”
रसोई घर मे बैठे और खड़े सभी इस संभाषण को भली भाँति समझ रहे थे और मन ही मन मुस्कुरा रहे थे….
उतने मे राव साब की पहली बीवी रूपवती बोली- “हमने आज अपने हाथो से लस्सी बनाई इसे भी चख के देख लो… मीठी है या नही ”
उसपे कॉंट्रॅक्टर बाबू आम रस पीते हुए बोले- “अरे पहले आम को तो चखने दो.. इतनी भी क्या जल्दी है…ताइजी के हाथो के आम रस का मज़ा ही कुछ और है…... लस्सी भी पी लेंगे…. ”
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