RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
मैने थोडिसी साँस को काबू मे किया और फिरसे चुचि को चूसने की कोशिश करने लगा मैने जैसे ही एक चुचि की गुलाबी निपल को अपने मुँह मे लिया…वाह मज़ा आ गया… क्या अचंभा था …उसमे से स्वादिष्ट नमकीन मलाईदार दूध निकल के आया इसका मतलब ये था कि सेठ जी के घर मे अभी 2-2 गाये बच्चे जनि थी और दूध दे रही थी… मैने ट्रेन मे जो दूध पिया था उससे भी ये दूध मुझे बहुत अच्छा और स्वादिष्ट लग रहा था मैने कस कस के चुचि को दबाना चालू रखा और दूध को अपने मुँह से खिचता चला गया
5-10 मिनट के दूध ग्रहण करने के बाद मुझे दूसरी और खिचा गया और जब मुझे पता चला तो मैने पाया कि मेरी नाक मे नोकिले बाल जा रहे है और मेरा मुँह दूसरी महिला की बुर पे टिका हुआ है… उस बुर की वो नमकीन सुगंध से मैं और भी पागल सा हो गया मैने भी अपनी जीब निकाली और उस बालो की जंगली बुर मे डाल दी और उस बुर के मोती को चूसने लगा और अपनी अदाकारी से जीब को बुर के अंदर ही अंदर डालने लगा…
मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था क्यू कि इतनी रसीली बुर मैने कभी नही चूसी थी… बुर के होठ तो इतने कोमल थे कि मैं उनको अपने दांतो के बीच रखता तो भी वो मेरे दांतो के बीच से निकल जा रहे थे उस कोमल और रसीली बुर ने मुझे पागल बनाया था मैं उसमे और अंदर और अंदर अपनी जीब को घुसा रहा था और उससे निकल रहे योनिरस को पिए जा रहा था…
थोड़ी देर मे उस कोमल योनि से अचानक एक कोमल मादक रस की धार निकल आई उससे मुझे पता चल गया कि ये तो झाड़ गयी है… उस औरत ने मुझे उपर उठाया और मेरे होंठो को चूमने लगी उधर दूसरी ने मेरे पॅंट मे हाथ डाल के मेरे काले साँवले महाराज को बाहर निकाल दिया और जोरो से हिलाना शुरू किया मैं इस धक्के से अपने सीट पे बैठ गया और वो महिला बीच की जगह मे घुटनो के बल बैठी मेरा लंड अपना मुँह घुसाए जा रही थी और अपने पूरे बल से मेरे लंड की चमड़ी उपर नीचे उपर नीचे कर रही थी....
सबेरे से देखी जा रही इन सब घटनाओ से मैं पहले ही चरम सीमा पे था, इसलिए मुझे पता था कि ये गरम हाथ जब अपने लंड पे पड़ा है तो अभी मैं इसे ज़्यादा वक़्त नियंत्रण मे नही रख सकता उस औरत ने फिरसे मुँह मे मेरा लंड लिया और जोरोसे उसे चूसने लगी… मेरा बेलन इतना बड़ा मूसल शायद ही आधा उसके मुँह मे जा रहा था पर होनेवाली गर्मिसे मुझे अभी काबू जाता हुआ नज़र आया अगले ही पल मैने उस महिला के मुँह मे अपनी गंगा जमुना बहानी चालू की और उसके सर को अपने लंड पे जोरोसे दबाया…वो भी कच्ची खिलाड़ी नही लग रही थी उसने भी अपने मुँह से लंड को हरगिज़ बाहर नही निकाला और पूरा वीर्य निगल लिया….
इसके बाद हम तीनो लगभग शांत हो गये… और अभी गाव भी लगभग आही गया था तो हम पीछे अपने कपड़े सवारने लगे अगले 10 मिनट मे हम लोग हवेली के सामने थे……….
हवेली के सामने उतरते ही सब लोग अंदर चले गये. नौकर और ड्राइवर जो कुछ सामान था वो लेके अंदर जाने लगे. मैने अपने शरीर से थोड़ा आलस्य दूर किया और मैं भी अंदर आ गया. सब के चेहरे पे भारी नींद दिख रही थी. सब अपने अपने कमरो मे सोने के लिए चल पड़े. मुझे सेठ जी ने एक कमरा दिखाया मैं उधर जाके गद्दे पे लेट गया, कब आँख लगी पता ही नही चला…..
सबेरे खिड़की से सूर्य की शांत और लुभावनी किरणें मेरे चेहरे पे पड़ी तब मैं थोड़ा सा जाग गया और घड़ी मे वक़्त देखा, सुबह के 7 बजे थे.. मुझे पहलेसे ही कसरत का शौक था. मैने उठ कर अपने शरीर को उपर नीचे दाए बाए मोडके, फिर सूर्यनामस्कार किए और थोडा उठक बैठक करके अपनी कसरत को पूर्णविराम दिया.
मैं नीचे आके सोफे पे बैठ गया उतने मे उधरसे सेठ जी आए और बोले “तुम अभी नहा धोके जल्दी तैय्यार हो जाना… आज मुझे तुम्हे सब काम कैसे चलता है और सब हिस्साब किताब बताना है….”
और उन्होने आवाज़ लगाई “चंपा ….इन्हे जल्दी से तैय्यार करदो…” सेठ जी की आवाज़ सुनते ही चंपा अपने चूतादो को हिलाते हुए और अपनी मस्त चुचियो को हिलाते हुए आई और “हाँ सेठ जी” कह के मुझे अपने साथ चलने का इशारा करके चली गयी. मैं उसके पीछे पीछे चला गया उसने मुझे नाहने की जगह दिखाई वो एक बड़ा सा कमरा लग रहा था उसमे सब सुविधाए थी… मैं अंदर जाके नहा लिया और तैय्यार होके चंपा के हाथ का बना नाश्ता कर के सेठ जी के साथ निकल गया…
क्रमशः……………………..
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