RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--13
गतान्क से आगे......
सेठानी ने अभी लंड अपने मुँह मे से निकाला और लड़की की बुर से निकल रहे वीर्य को चाटने लगी.. अपनी जीब को वो लड़की की बुर के कोमल होंठो को बड़े आराम से अलग कर के अंदर डाल रही थी और उस वीर्य का स्वादिस्त मज़ा ले रही थी…
तभी पंडितजी बोले “अरे चलो यहाँ से नही तो कोई आ जाएगा तो अपनी पूरी योजना निष्प्रभाव हो जाएगी और सबको कानो कान खबर लग जाएगी”
पंडितजी ने अपने लंड को एक कपड़े से पोछते हुए कहा , सेठानी बोली “मेरी शांति तो आपने की ही नही” तब पंडित जी बोले “अरे तुम्हारी शांति अभी अगली बार ज़रूर करेंगे… बस इस लड़की को किसी बहाने इधर ही छोड़ जाना.. बहुत ही मजेदार चीज़ है…”
तो सेठानी बोली “अरे नही बाबा इसे मैं यहा रखूँगी तो इसे तुम चोद चोद के रंडी बना दोगे… और मैं सेठ जी को क्या जवाब दूँगी…”
पंडितजी बोले “ठीक है तो मैं ही कुछ इंतज़ाम करता हू हवेली पे फिर”
ये कह के पंडितजी उस कमरे से निकल गये सेठानी अपनी सारी ठीक ठाक करने लगी और वो भी निकलने की तैयारी करने लगी उसने लड़की के कपड़े ठीक करके उसके उपर चादर डाल के बड़े आराम से उसे सुला दिया जैसे कुछ हुआ ही नही पर सिर्फ़ मुझे ही पता था कि पिछले 15 मिनट मे यहा क्या हुआ था और कैसे हुआ था ये सारी जानकारी मुझे भविश्य मे बहुत ही उपयोगी आनेवाली थी ये मैं भी नही जानता था.
मैं जल्दिसे निकल आया और अपनी जगह पे जाके बैठने के लिए जल्दी जल्दी चल दिया मैं मंदिर पहुचा तो सब लोग खड़े थे और आरती चल रही थी मैं भी चुपके से उनमे समा गया और आरती चल रही थी.
राव साब ने एक महिला शिष्या की सफेद सारी मे अंदर पीछे से हाथ डाला हुआ था और पता नही पर उनकी हर्कतो से मालूम पड़ रहा था कि वो उसकी गांद को अच्छे से मसल रहे थे. सारी एक दम ढीली हो गयी थी और ऐसा लग रहा था कि किसी भी क्षण गिर सकती है… कॉंट्रॅक्टर बाबू और वकील बाबू दोनो हस रहे थे… वो महिला शिष्या गरम हो रही थी पर कोई ज़्यादा ध्यान नही दे रहा था मानो जैसे कुछ हो ही नही रहा है इससे पता चल रहा था कि इन लोगो की इधर कितनी चलती है.
महा पूजा ख़तम हो गयी थी… सब लोग निकलने लगे और अपनी अपनी गाडियो मे जाके बैठने लगे मैं इस बार पहलिवाली गाड़ी मे बैठ नही पाया जिसमे मैं आया था, मुझे सोभाग्यवश इस बार घर की महिलाओ की गाड़ी मे बैठने को बोला गया… गाड़ी मे ड्राइवर के साथ एक महिला बीच वाली सीट मे तीन महिला और पीछे मैं और 2 घर की महिला ऐसे सब मिलके आठ लोग बैठे थे..इनमे सेठानी नही थी..
मैं समझ नही पा रहा था कि सेठानी छोड़ के ये लोग तो चार भाइयो की चार बीविया होनी चाहिए तो ये लोग 6 कैसे है?
पर मेरे इस सवाल का जवाब मैं किसीसे नही पूछ सकता था. मैं शांति से पीछे बैठ गया और मेरे सामने वाली सीट मे 2 घर की महिला बैठ गयी जैसे कि लाइट चालू नही थी और रास्ता बहुत ही खराब था कुछ समझ नही आ रहा था कि सामने कौन बैठी है पर हां एक बात थी कि मास्टर जी की बीवी जिसको चोदते चोदते मैं ट्रेन से यहाँ आया थॉ वो पिछली वाली सीट मे नही थी वो शायद ड्राइवर के बाजुवाली सीट मे थी…
मेरा लंड पूरा तन चुका था और हर तरीके से उड़ने की कोशिश कर रहा था पर कोई भी दर्रार उसे नही मिलने के कारण वो हवा मे ही आग उबल रहा था….
तभी मैने जाना कि मेरे पैर पे किसी का पैर है मैने चप्पल पहनी थी, उस पैर मे चप्पल नही थी मैने सामने देखा तो कुछ समझ नही रहा था कि किसका पैर है…
उस पैर ने घिस घिस के मेरे पैर से चप्पल उतरवा दी और वो पैर अभी उपर उपर चढ़ने लगा तभी मैने पाया कि दूसरी और से एक और पैर आया और जाँघो पे ठहर गया. मैं अचंभे मे था कि रात के एक बजे इन लोगो को इतना मज़ा लेनेकी पड़ी है… मेरी जाँघॉपे जो पैर थॉवो भी मेरे लंड तक पहुच गया और मेरे लंड को सहलाने लगा मैं पीछे खिड़की से पूरी तरह चिपक गया और अपनी कमर को नीचे छोड़ दिया जिससे सामने वालो को शक नाहो कि पीछे कुछ हो रहा है
तभी मैने सामने होनेवाली हलचल से भाँपा कि कोई अपनी चोली के हुक खोल रहा है. जैसे ही हुक खोले मैने दो बड़ी चुचिया बाहर निकली पाई…. वाह मज़ा आ गया मुझे चुचिया दिख नही रही थी पर उनका आकर देख के मुझे बड़ा ही गरम लग रहा था… तभी मैने पाया एक हाथ मेरी गर्दन की तरफ आया और एक झटके मे मुझे उन चुचियो पे खिसका के ले गया अगले ही पल मेरा मुँह दोनो चुचियो के बीच और दो सीट के बीच की जगह मे घुटने के बल बैठा मैं… मेरा मुँह पूरी अच्छी तरह से चुचियो मे दबाया जा रहा था मेरी साँस तेज़्ज़ हो गयी थी..
मैने अपना मुँह पीछे करते हुए एक चुचि पे ध्यान देना चाहा और एक चुचि को अपने मुँह मे लेके चूसने की कोशिश करने लगा मुझे बड़े दबाव से चुचियो पे घिसे जा रहा था लग रहा था कि इस ओरत ने पिछले 5-6 महीने मे सम्भोग नही किया हो…. कुतिया की तरह मेरी जान के पीछे पड़ी थी…
|